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भारतीय अर्थव्यवस्था

व्यापार घाटा 5 महीने के निचले स्तर पर

  • 16 Oct 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, सितंबर माह में भारत के व्यापार घाटे में पिछले पाँच महीने में सबसे कम गिरावट आई और यह 13.98 अरब डॉलर हो गया, जबकि निर्यात कई महीनों में पहली बार कम हुआ।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्र सरकार द्वारा किये गए भारत के व्यापार के अर्द्ध-वार्षिक आकलन के आँकड़ों से पता चलता है कि वाणिज्यिक निर्यात में रुपए के संदर्भ में 19.93% और अमेरिकी डॉलर के मामले में 12.54% की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • सरकारी आँकड़ों के अनुसार, सितंबर 2018 में वाणिज्यिक व्यापार घाटा 13.98 अरब डॉलर है, जो तेल की उच्च कीमतों के बावजूद पिछले पाँच महीनों में सबसे कम है।
  • सितंबर 2018 में वाणिज्यिक निर्यात में रुपए के संदर्भ में 9.65% की सकारात्मक वृद्धि हुई। डॉलर के मामले में सितंबर 2018 में वाणिज्यिक निर्यात में 2.15% की मामूली नकारात्मक वृद्धि देखी गई।
  • सरकारी बयान के अनुसार, निर्यात में आई गिरावट का मुख्य कारण उच्च आधार प्रभाव है। सितंबर 2017 में डॉलर के संदर्भ में करीब 26 फीसदी की बेहद उच्च तेज़ी दर्ज की गई थी, क्योंकि जीएसटी लागू होने से पहले कीमतों में काफी कटौती की गई थी, जिससे निर्यात में काफी तेज़ी आई थी।
  • फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइज़ेशन के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता के अनुसार, हालाँकि ये आँकड़े सितंबर के महीने में मुख्य रूप से पिछले वर्ष के उच्च आधार प्रभाव के कारण मामूली नकारात्मक वृद्धि दर्शाते हैं। इस वर्ष सितंबर में निर्यात का कुल मूल्य 2018 के अप्रैल, जून और जुलाई के महीने की तुलना में काफी अधिक है, जिसे 17% की उच्च वृद्धि के रूप में दर्ज किया गया है।
  • सितंबर 2018 के दौरान जिन प्रमुख जिंस समूहों के निर्यात में पिछले वर्ष के समान माह की तुलना में अमेरिकी डॉलर के लिहाज से उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है उनमें पेट्रोलियम उत्पाद (26.8%), कार्बनिक एवं अकार्बनिक रसायन (16.9%), दवा एवं फार्मास्यूटिकल्स (3.8%), कपास धागा/फैब्रिक्स/मेड-अप्स, हथकरघा उत्पाद इत्यादि (3.6%) और प्लास्टिक एवं लिनोलियम (28.2%) शामिल हैं।
  • अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में अप्रैल-सितंबर 2018 में आयात में 16.16% की सकारात्मक वृद्धि देखी गई।
  • सितंबर 2018 में, आयातों में अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में 10.45% की सकारात्मक वृद्धि (जो कि पिछले पाँच महीनों में सबसे कम है) और रुपए के संदर्भ में 23.78% की वृद्धि दर्ज की गई।

व्यापार घाटा 

  • व्यापार घाटे का अर्थ निर्यात की तुलना में आयात की अधिकता से है। जब किसी राष्ट्र का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है, तो वह व्यापार घाटे की स्थिति में चला जाता है।
  • ज़ाहिर है जब आयात अधिक होगा तो विदेशी मुद्रा, विशेष रूप से डॉलर में भुगतान होने के कारण देश में विदेशी मुद्रा (डॉलर) की कमी होगी।
  • जब विदेशी मुद्रा में भुगतान होता है, तो उसकी मांग भी बढ़ती है और रुपया उसके मुकाबले कमज़ोर होता है।  रुपए के कमज़ोर होने से उसकी कीमत में गिरावट आती है।
  • ऐसी परिस्थिति में आयातकों को विदेशों से माल के आयात के लिये अधिक कीमत चुकानी पड़ती है। इस तरह आयात महँगा हो जाता है। इसके विपरीत निर्यातकों को फायदा होता है।
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