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जैव विविधता और पर्यावरण

सब्जियों में विषाक्त धातुओं की मौजूदगी

  • 29 Jul 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (National Environmental Engineering Research Institute- NEERI) द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, यमुना के बाढ़ के मैदानों में उगाई जाने वाली सब्जियों में सीसा (Lead) की मात्रा काफी अधिक पाई गई है, जिसका लंबे समय तक उपभोग किये जाने से कैंसर जैसी कई प्रकार की बीमारियाँ हो सकती हैं। 

अध्ययन के निष्कर्ष 

  • NEERI के अध्ययन के अनुसार, सात तरह की सब्जियों- पत्तागोभी, फूलगोभी, मूली, बैंगन, धनिया, मेथी और पालक में धातु की सांद्रता की मौजूदगी का पता लगाने के लिये पूर्वी दिल्ली के तीन स्थानों से नमूने एकत्र किये गए।
  • सीसे का सबसे अधिक संदूषण पूर्वी दिल्ली से एकत्र किये गए हरे धनिये (Green Coriander) में पाया गया।
  • विक्रेताओं से एकत्र की गई सभी सब्जियों (पत्तागोभी को छोड़कर) में सीसे का स्तर मानक से अधिक पाया गया। पालक में सीसे का स्तर सबसे अधिक (14.1 मिलीग्राम/किग्रा.) पाया गया। सीसे के संभावित स्रोत ऑटोमोबाइल, बैटरी, पेंट, पॉलिथीन, कीटनाशक और सीसा प्रसंस्करण इकाई हैं।
  • यद्यपि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India- FSSAI) द्वारा सब्जियों में सीसे की सुरक्षित सीमा 2.5 मिलीग्राम/किग्रा. निर्धारित की गई है, लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से एकत्र किये गए सब्जियों के नमूनों में सीसे का स्तर 2.8 मिलीग्राम/किग्रा. से 13.8 मिलीग्राम/किग्रा. तक पाया गया है। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, सब्जियों में कैडमियम, मरकरी और निकल जैसी अन्य धातुएँ FSSAI के मानकों से कम पाई गई।
  • NEERI द्वारा यह अध्ययन फ़रवरी 2019 में किया गया था। इसके निष्कर्ष मई 2019 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT) के समक्ष प्रस्तुत किये गए।

पृष्ठभूमि

  • यद्यपि यमुना नदी का केवल 2% हिस्सा दिल्ली से होकर गुजरता है तथापि राजधानी के प्रदूषित जल का 70% इस नदी में गिरता है। 
  • वर्ष 2015 में NGT ने यह कहते हुए यमुना नदी के किनारे फ्लड प्लेन में सब्जियों और चारे की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि इन क्षेत्रों की सब्जियाँ अत्यधिक संदूषित थीं। लेकिन NGT के प्रतिबंध के बावजूद इन क्षेत्रों में सब्जियों आदि की खेती जारी है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव 

  • भारी धातुओं की मौजूदगी वाले खाद्य पदार्थ लंबे समय तक खाने से मानव शरीर में कई जैविक और जैव रासायनिक प्रक्रियाएँ बाधित हो सकती हैं।
  • भारी धातुओं की विषाक्तता ऊर्जा का स्तर कम कर सकती है और मस्तिष्क, फेफड़े, किडनी और यकृत संबंधी  विकार उत्पन्न कर सकती है।
  • यह रक्त  बनने की प्रक्रिया और अन्य महत्त्वपूर्ण अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं। 
  • लंबे समय तक ये मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से कैंसर भी हो सकता है।
  • सीसे की विषाक्तता (Lead Poisoning) से बच्चों में मानसिक विकलांगता आ सकती है।

राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग और अनुसंधान संस्थान (NEERI)

National Environmental Engineering Research Institute (NEERI)

  • NEERI वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific & Industrial Research-CSIR) की 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में से एक है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं।
  • इसका उद्देश्य देश में जल आपूर्ति, सीवेज निपटान, संचारी रोगों और औद्योगिक प्रदूषण एवं व्यावसायिक रोगों पर ध्यान केंद्रित करना है। 
  • इसका लक्ष्य सतत् पोषणीय विकास के लिये पर्यावरण विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करना  है।
  • CSIR भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है। 

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

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