गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की एक पहल | 31 Mar 2017

समाचारों में क्यों ?

स्‍कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, स्‍कूली शिक्षा को रोज़गारोन्‍मुख और गुणवत्‍तापरक  बनाने के लिये कई कदम उठा रहा है। विभाग विभिन्‍न आर्थिक क्षेत्रों और वैश्विक बाज़ार के लिये युवाओं को शिक्षित करने, रोज़गार लायक और प्रतिस्पर्द्धी बनाने के उद्देश्‍य से केंद्र प्रायोजित “राष्ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान” (Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyaan) योजना के अंतर्गत माध्‍यमिक और उच्‍चतर माध्‍यमिक शिक्षा के व्यावसायिक घटक को कार्यान्वित कर रहा है। इसमें शिक्षित और रोज़गार लायक युवाओं के बीच के अंतर को भरने, माध्‍यमिक स्‍तर पर स्‍कूल छोड़ने वालों की दर कम करने और उच्‍चतर स्‍तर पर शिक्षण के दबाव को कम करने पर भी ध्‍यान दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस योजना में नौ से बारहवीं कक्षा तक सामान्‍य शैक्षिक विषयों के साथ ही खुदरा व्‍यापार, ऑटोमोबाइल, कृषि, दूरसंचार, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, ब्‍यूटी एंड वेलनेस, आईटी, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, सुरक्षा, मीडिया और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों के रोज़गारोन्‍मुख व्‍यावसायिक विषय शुरू किये गए है।
  • राष्‍ट्रीय व्‍यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी) से संबद्ध औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थानों (आईटीआई) के छात्रों को शैक्षिक समानता प्रदान करने के लिये 15 जुलाई, 2016 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्‍वायत्‍त संगठन - नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्‍कूलिंग (एनआईओएस) ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के प्रशिक्षण महानिदेशालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किये।
  • एमओयू के तहत् क्रमश: आठवीं और दसवीं कक्षा के बाद दो वर्ष का आईटीआई कोर्स करने वाले आईटीआई छात्रों/पासआउट के लिये माध्‍यमिक और उच्‍चतर माध्‍यमिक प्रमाणपत्र प्रदान करने की व्‍यवस्‍था की गई है।
  • माध्‍यमिक स्‍तर पर छात्रों को गुणवत्‍तापरक शिक्षा प्रदान करने के लिये आरएमएसए के अंतर्गत विभिन्‍न पहलों को वित्‍तीय सहायता दी गई है। इनमें निम्‍नलिखित शामिल हैं-

• छात्र- शिक्षक अनुपात में सुधार के लिये अतिरिक्‍त शिक्षक
• शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के लिये नेतृत्‍व प्रशिक्षण सहित इंडक्‍शन और इन-सर्विस ट्रेनिंग
•  गणित और विज्ञान किट
• स्‍कूल में आईसीटी सुविधाएँ
• प्रयोगशाला उपकरण
• सीखने को बढ़ावा देने के लिये विशेष प्रशिक्षण

  • सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) के अंतर्गत राज्‍य सरकारों और केंद्रशासित प्रशासनों को शैक्षिक मानकों में सुधार की कई पहलों के लिये समर्थन दिया गया है।
  • इनमें नियमित इन-सर्विस टीचर्स ट्रेनिंग, नए भर्ती किये गए शिक्षकों के लिये इंडक्‍शन ट्रेनिंग, व्यावसायिक योग्‍यता प्राप्‍त करने के लिये गैर-प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण, छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार के लिये अतिरिक्‍त शिक्षक, ब्‍लॉक और क्‍लस्‍टर रिसोर्स सेंटर के जरिये शिक्षकों के लिये शैक्षिक सहायता, छात्रों की क्षमता को मापने में शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिये लगातार और व्‍यापक मूल्‍यांकन और आवश्‍यकतानुसार सुधार करना तथा उचित शिक्षण-सीखने की सामग्री विकसित करने के लिये शिक्षक और स्‍कूल के लिये अनुदान आदि शामिल हैं।
  • बच्‍चों के लिये नि:शुल्‍क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 में शिक्षकों के वैधानिक कर्तव्‍य और उत्‍तरदायित्‍व निर्दिष्‍ट किये गए हैं और प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिये पात्रता की न्‍यूनतम योग्‍यता बताई गई है। 
  • एसएसए के अंतर्गत प्राथमिक स्‍तर पर 150 रुपये प्रति बच्‍चे और उच्‍च प्राथमिक स्‍तर पर 250 रूपये प्रति बच्‍चे की अधिकतम सीमा में  सरकारी/स्‍थानीय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्‍त स्‍कूलों में सभी बच्‍चों को पाठ्यपुस्‍तकें प्रदान की जाती हैं।
  • इनमें राज्‍य पाठ्यक्रम शुरू करने के इच्‍छुक मदरसे भी शामिल हैं।
  • एसएसए के तहत वंचित समुदायों के बच्‍चों अर्थात सभी लड़कियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और गरीबी रेखा से नीचे के लड़कों को चार सौ रुपये प्रति व्‍यक्ति की दर से दो जोड़े यूनिफॉर्म भी दी जाती हैं।
  • पहली और दूसरी कक्षा में ‘पढ़े भारत, बढ़े भारत’ के नाम के उप कार्यक्रम के जरिये शुरुआत से ही पढ़ने, लिखने और समझने तथा शुरुआती गणित कार्यक्रमों के लिये राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता भी की जाती है।
  • इसका उद्देश्‍य कक्षा के अंदर और बाहर अवलोकन, प्रयोग, निष्‍कर्ष निकालने और मॉडल तैयार करने के जरिये विज्ञान, गणित और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 6 से 18 वर्ष के बच्‍चों को शामिल करना तथा प्रोत्‍स‍ाहित करना है।

निष्कर्ष

देश-विदेश से प्रकाशित अनेक रिपोर्टों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भारत में माध्यमिक स्तर पर आकर बहुत से बच्चे स्कूल जाना छोड़ देते हैं, अतः माध्यमिक स्तर पर शिक्षा में सुधार लाने का सरकार का यह प्रयास निश्चित ही सराहनीय है|