टूर ऑफ ड्यूटी | 16 May 2020
प्रीलिम्स के लिये:टूर ऑफ ड्यूटी मेन्स के लिये:टूर ऑफ ड्यूटी का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
भारतीय सेना द्वारा सामान्य नागरिकों को तीन साल के लिये सेना में शामिल करने के संबंधित एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। इस विचाराधीन प्रस्ताव को ‘टूर ऑफ ड्यूटी’(Tour of Duty) से संबोधित किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- यदि इस प्रस्ताव को मंज़ूरी मिल जाती है तो यह अपनी तरह का पहला प्रस्ताव होगा जो देश के आम नागरिकों को भी सेना में शामिल होने का अवसर प्रदान करेगा।
- इस प्रस्ताव के अनुसार, नागरिकों द्वारा सेना में शामिल होना पूर्णत: स्वैच्छिक होगा। इसके अलावा चयन मानदंडों में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं की जाएगी।
- प्रस्ताव के पारित होने से ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इसके परिणामस्वरूप सेना के वेतन और पेंशन खर्च में भारी कमी होगी तथा इस प्राप्त धनराशि का उपयोग सेना के आधुनिकीकरण के लिये किया जा सकेगा।
- सेना के वेतन और पेंशन बिल में पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है, जो बजट आवंटन का 60% है।
- पिछले पाँच वर्षों में, रक्षा बजट में 68% वृद्धि, रक्षा वेतन में 75% की वृद्धि तथा रक्षा पेंशन में 146% की वृद्धि हुई है।
- ‘टूर ऑफ ड्यूटी का उद्देश्य युवाओं को एक 'इंटर्नशिप /अस्थायी अनुभव' (Internship/Temporary Experience) प्रदान करना है। इसके लिये ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ की रैंक या फिर किसी अन्य अधिकारी रैंक के लिये किसी आकर्षक विच्छेद पैकेज ( Attractive Severance Packages), पुनर्वास पाठ्यक्रम (Resettlement Courses), पेशेवर नकदी प्रशिक्षण अवकाश (Professional Encashment Training Leave), पूर्व सैनिकों की स्थिति (Ex-Servicemen Status) तथा पूर्व-सैनिकों की अंशदायी स्वास्थ्य योजना (Ex-Servicemen Contributory Health Scheme-ECHS) इत्यादि की आवश्यकता नहीं होगी।
‘शार्ट सर्विस कमीशन’ तथा ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ में तुलना:
- शार्ट सर्विस कमीशन (Short Service Commission- SSC) के द्वारा सेना में आने पर न्यूनतम 10 वर्ष की अवधि के लिये सेवा प्रदान करनी होती है जबकि टूर ऑफ ड्यूटी में यह अवधि 3 वर्ष के लिये होगी।
- विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि, ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ के एक अधिकारी के लिये तीन साल की अवधि के लिये प्री-कमीशन प्रशिक्षण, वेतन, भत्ते, ग्रेच्युटी, प्रस्तावित विच्छेद पैकेज, छुट्टी का भुगतान और अन्य लागतों की संचयी अनुमानित लागत लगभग 5.12 करोड़ रुपए है जबकि शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के अधिकारी पर संचयी अनुमानित लागत 83 6.83 करोड़ रुपए है।
- शॉर्ट सर्विस कमीशन में समग्र लागत ओर अधिक हो जाती है क्योंकि, शॉर्ट सर्विस कमीशन के 50-60% अधिकारी स्थायी आयोग का चयन करते हैं तथा 54 वर्षों तक सेवा में रहते हैं जो बाद में पेंशन का भी लाभ प्राप्त करते हैं।
- ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ के द्वारा चयनित लोगों के लिये इसी तरह की लागत 80-85 लाख रुपए आकलित की गई है।
प्रस्ताव के लाभ:
- यह योजना उन लोगों को एक सुनहरा अवसर प्रदान करेगी जो सेना में पूर्ण कैरियर नहीं चाहते लेकिन वर्दी की इच्छा रखते हैं।
- ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ में चयनित उम्मीदवार को अपने उन साथियों की तुलना में अधिक वेतन प्राप्त होगा जिन्होंने कॉर्पोरेट क्षेत्र में अपना कैरियर शुरू किया था।
- तीन वर्ष की सेवा की समाप्ति के के बाद कॉर्पोरेट क्षेत्र में वापसी करने पर उन्हें तुलनात्मक रूप से अधिक वेतन दिया जाएगा।
- सेना को उम्मीद है कि ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ के द्वारा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान सहित सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों के युवाओं को सेना में आकर्षित किया जा सकेगा।
- प्रस्ताव में इस योजना को प्रोत्साहित करने के लिये कई कदम उठाए गए हैं जैसे- तीन वर्ष तक कर-मुक्त आय और अधिकारियों को तीन वर्ष के कार्यकाल पूर्ण होने पर लगभग एकमुश्त 5-6 लाख रुपए प्रदान किये जाएंगे और साथ ही अन्य रैंक के लिये 2-3 लाख रुपए प्रदान किये जायेंगे।
- प्रस्ताव में कहा गया है कि इसके माध्यम से राष्ट्र और कॉरपोरेट्स जगत दोनों को प्रशिक्षित, अनुशासित, आत्मविश्वासी, मेहनती और प्रतिबद्ध पुरुषों और महिलाओं से लाभान्वित होने की संभावना है।