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सिक्किम के उच्च तुंगता वाले जंगलों की रक्षा करते कठोर भूखंड

  • 09 Apr 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में सिक्किम के संदर्भ में शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि उच्चे और पहुँच से बाहर होने के कारण संभवतः सिक्किम के उष्णकटिबंधीय जंगल अभी तक सुरक्षित है। अध्ययन में पाया गया कि आसानी से सुलभ होने वाले निम्न क्षेत्रों में भूमि उपयोग के पैटर्न में बहुत तेज़ी से बदलाव आया है, जिससे सिक्किम हिमालय के प्राथमिक चौड़ी पत्तियों वाले वन कवर में 16% की गिरावट आई है।

ATREE का शोधपत्र 

  • जब बंगलूरू के अशोक ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड एन्वायरन्मेंट (Ashoka Trust for Research in Ecology and Environment - ATREE) की शोधकर्त्ता राधिका कनाड ने इस क्षेत्र में निम्न स्थानों पर (लगभग 1,000 मीटर) प्राथमिक वनों के संदर्भ में काम करना शुरू किया तो यह उपर्युक्त जानकारी प्रकाश में आई।
  • सिक्किम हिमालय के प्राथमिक चौड़ी पत्तियों वाले वन क्षेत्र, जो कि मूल वनस्पति की मेज़बानी करते हैं और अभी तक मानव गतिविधियों द्वारा बाधित नहीं हैं, में वैश्विक स्तर पर गिरावट आ रही है।
  • वैश्विक स्तर पर 2000 के बाद से इस तरह के तकरीबन 40 मिलियन हेक्टेयर से अधिक जंगल को अन्य उपयोगों के लिये परिवर्तित किया गया है। इनमें से अधिकांश उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में हैं, जहाँ औद्योगिक विकास के लिये जंगलों की कटाई एक गंभीर चिंता का विषय है।
  • मानव गतिविधियों ने प्राथमिक वनों को कृषि भूमि और माध्यमिक वनों (जिनका सामान्य पैटर्न और कृत्य प्रभावित हो) में परिवर्तित किया है।
  • दुर्भाग्य से भारत के सिक्किम हिमालय के व्यापक वन क्षेत्र में यह समस्या धीरे-धीरे आम होती जा रही है। ये वन क्षेत्र समुद्र तल से औसतन 1,000-2,800 मीटर ऊपर अवस्थित होते हैं।
  • इस जानकारी के अनुसार, अभी भी तकरीबन 2,000 से 2,800 मीटर की ऊँचाई पर (ऐसे इलाके जहाँ पहुँचना कठिन है) मौजूद वन क्षेत्र प्राथमिक वनों की स्थिति को संभाले हुए हैं।

क्या भू-भौगोलिक स्थिति, जैसे कि ढलान वाले इलाकों की उपस्थिति से वनों की स्थति के संदर्भ पर किसी प्रकार का प्रभाव पड़ता हैं?

  • इस विषय में कनाड और रॉबर्ट जॉन (भारतीय विज्ञान और भारतीय अनुसंधान संस्थान, कोलकाता) द्वारा 1990 से 2013 तक की उपग्रह छवियों का अध्ययन किया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि सिक्किम की तीस्ता नदी के करीब की भूमि उपयोग में आए परिवर्तनों से इस संदर्भ में क्या प्रभाव परिलक्षित हुए हैं?
  • एप्लाइड जियोग्राफी (Applied Geography) नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, पूर्वी हिमालय बायोडाइवर्सिटी हॉटस्पॉट (Eastern Himalaya biodiversity hotspot) में प्राथमिक वन आवरण में 16% की गिरावट दर्ज की गई।
  • यह अब तक का सबसे निम्न स्तर है, जैसा कि 2015 में ग्लोबल फॉरेस्ट रिसोर्सेज़ एसेसमेंट (Global Forest Resources Assessment) के अंतर्गत दक्षिण-पूर्व एशियाई वन आवरण में (8.4% की गिरावट) अनुमानित किया गया था। 
  • इस अध्ययन के दौरान जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई वह यह कि 23 साल की अवधि के दौरान 14,740 हेक्टेयर प्राथमिक जंगल माध्यमिक वनों में तब्दील हो गए, जिनका कुछ हिसा बाद में माध्यमिक वनों से कृषि भूमि क्षेत्र में परिवर्तित हो गया।

क्या निष्कर्ष सामने आया?

  • इस संदर्भ में वैज्ञानिकों का अनुमान सही साबित हुआ। ऊँचाई, ढलान और अन्य पहलू (किसी ढलान की दिशा) के कारण भूमि उपयोग के पैटर्न में प्रभाव आता है।
  • कृषि क्षेत्रों में तेज़ी से विस्तार हुआ है, मुख्यतः निचले क्षेत्रों में। अन्तर्विभाजित प्राथमिक चौड़ी पत्ती वाले वन अब केवल उच्च तुंगता वाले क्षेत्रों तक ही सीमित हो गए हैं।
  • इनके सुरक्षित बने रहने का मुख्य कारण कृषि और कृषि वानिकी जैसी गतिविधियों हेतु इन क्षेत्रों तक अपेक्षाकृत कठिन पहुँच होना है।
  • ये उच्च तुंगता वाले क्षेत्र कानूनी तौर पर भी संरक्षित हैं, यह पक्ष इनके संरक्षण में एक बेहद महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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