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जैव विविधता और पर्यावरण

लूसेर पारितंत्र के विनाश में शीर्ष कंपनियों की मिलीभगत

  • 25 Sep 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये 

लूसेर पारितंत्र 

मेन्स के लिये 

पाम ऑयल के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी,  भारत सरकार की पहलें 

चर्चा में क्यों?

खाद्य कंपनियाँ अपने उत्पादों में शून्य ट्रांसफैट सीमा को पूरा करने के लिये पाम ऑयल का उपयोग कर रही हैं। इसका प्रभाव इंडोनेशिया के उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों पर पड़ रहा है, जो इन अधिकांश कंपनियों के लिये पाम तेल का प्रमुख स्रोत है।

प्रमुख बिंदु 

  • ग्लोबल वॉचडॉग ‘रेनफॉरेस्ट एक्शन नेटवर्क’ (Rainforest Action Network-RAN) की एक जाँच से से पता चला है कि खाद्य और कॉस्मेटिक्स उत्पादों के निर्माण में संलग्न कंपनियों और वित्तीय संस्थानों की मिलीभगत के कारण लूसेर पारितंत्र (Leuser Ecosystem) पर नष्ट होने का खतरा मँडरा रहा है।
  • जाँच में दावा किया गया कि निम्नलिखित कंपनियों ने रॉयल गोल्डन ईगल (Royal Golden Eagle-RGE) समूह से पाम ऑयल की खरीद की। RGE समूह द्वारा अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से लूसेर पारितंत्र में विनाशकारी पाम  ऑयल और पल्प के बागान (Oil Palm and Pulp Plantations) स्थापित किये गए हैं -
    • खाद्य कंपनियाँ, जैसे- नेस्ले (Nestle), मोंडेलज़ (Mondelez) इंटरनेशनल (International), इंक (Inc) और यूनिलीवर (Unilever)।
    • कॉस्मेटिक्स कंपनियाँ, जैसे- कोलगेट-पामोलिव (Colgate-Palmolive) और काओ कॉर्प (Kao Corp)। 
    • बैंक, जैसे- जापान के मित्सुबिशी यू.एफ.जे फाइनेंशियल ग्रुप (Mitsubishi UFJ Financial Group of Japan), इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना (Industrial and Commercial Bank of China) और ABN AMRO बैंक ऑफ डेनमार्क (ABN AMRO Bank of Denmark)
  • जाँच में दावा किया गया है कि RGE एक मिल से पाम तेल खरीदता है, जिसे लूसेर पारितंत्र में स्थापित टी. तुआलंग राया द्वारा आपूर्ति की जाती है।
  • पी.टी. तुआलंग राया के बारे में कहा जाता है कि इसके द्वारा पिछले छह माह में कम से कम 60 हेक्टेयर भूमि में वर्षा वनों को साफ किया गया। पिछले छह माह में वर्षा वनों को साफ  करने की दर तीन गुना अधिक रही है।
  • RAN की जाँच में बताया गया है कि इनमें से कई कंपनियों और बैंकों ने पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया था। उदाहरण के लिये, उपभोक्ता वस्तुओं के विनिर्माण में संलग्न जापानी कंपनी काओ  ‘No Deforestation, No Peatland and No Exploitation’ नीति अपनाने वाली पहली कंपनी थी।
  • इसी प्रकार MUFG और ABN AMRO, जो RGE को वित्तपोषित करते हैं, उत्तरदायी बैंकिंग के संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों पर हस्ताक्षरकर्ता हैं। इनके द्वारा टिकाऊ पाम तेल (Sustainable Palm Oil) के वित्तपोषण पर नीतियाँ भी निर्मित की गई हैं।
  • जैसे-जैसे दुनिया खाना पकाने के माध्यमों में औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांसफैट को शून्य करने की स्थिति की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे पाम ऑयल को अधिक अपनाया जा रहा है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से संतृप्त है।

पाम ऑयल के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी   

  • पाम ऑयल विश्व के उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों के समान भौगोलिक क्षेत्रों में पनपने वाली फसल है, जो खाद्य और घरेलू उत्पादों के प्रयोजन हेतु प्रयुक्त की जाती है। पाम ऑयल वनस्पति तेल के मुख्य वैश्विक स्रोत के रूप में उभरा है, जो दुनिया के उत्पादन मिश्रण का लगभग 33% है। 
  • भारत दुनिया में पाम ऑयल का सबसे बड़ा आयातक है, जो इंडोनेशिया और मलेशिया से कुल वैश्विक मांग का लगभग 23%आयात करता है। 
  • इंडोनेशिया, मलेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड और कम्बोडिया आदि देश विश्व में FFB (Fresh Fruit Brunches) के कुल उत्पादन में 90% से अधिक हिस्सा रखते हैं।
  • वर्तमान में भारत में आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु पाम ऑयल के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। आंध्र प्रदेश देश के कुल पाम ऑयल के 80% से अधिक उत्पादन के साथ प्रथम स्थान पर है।  

भारत सरकार की पहलें 

  • पाम ऑयल की खेती के महत्त्व को देखते हुए कृषि सहकारिता एवं किसान कल्‍याण विभाग ने 1991-92 में संभावित राज्यों में तिलहन और दलहन पर प्रौद्योगिकी मिशन (TMOP) शुरू किया था।
  • आठवीं और नौवीं पचवर्षीय योजना के दौरान एक व्यापक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में तेल पाम विकास कार्यक्रम (OPDP) शुरू किया गया। 
  • दसवीं और ग्यारहवीं योजना के दौरान, भारत सरकार ने तिलहन, दलहन, पाम ऑयल और मक्का की एकीकृत योजना (ISOPOM) के अंतर्गत पाम ऑयल की खेती के लिये सहायता प्रदान की। 
  • पाम ऑयल की खेती को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार ने वर्ष 2011-12 के दौरान राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत पाम ऑयल के क्षेत्र विस्तार (OPAE) पर एक विशेष कार्यक्रम का समर्थन किया, जिसका उद्देश्य पाम ऑयल की खेती के अंतर्गत 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र को लाना था, जो मार्च 2014 तक जारी रहा। 
  • बारहवीं योजना के दौरान, तिलहन और पाम ऑयल (NMOOP) पर राष्ट्रीय मिशन (NMOOP) शुरू किया गया, जिसमें मिनी मिशन- II (MM-II) पाम ऑयल क्षेत्र के विस्तार और उत्पादकता में वृद्धि के लिये समर्पित है। 
  • भारत में लंबी समयावधि से पाम ऑयल के रोपण की संभावनाओं का पता लगया जा रहा है। वर्ष 2019 में अंडमान और निकोबार प्रशासन ने नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र में एकल कृषि वृक्षारोपण पर 16 वर्ष पूर्व लगाए गए प्रतिबंध को हटाने के लिये उच्चतम न्यायालय दरवाजा खटखटाया था। 
  • वर्ष 2014 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अधिकारियों से पाम ऑयल पर विचार करने का आग्रह किया था क्योंकि द्वीप की गर्म और आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु इसके विकास के लिये उपयुक्त थी।

 लूसेर पारितंत्र (Leuser Ecosystem)

  • यह इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर एक वन क्षेत्र है। लूसेर पारितंत्र सबसे प्राचीन और जीवन-समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र है।
  • यह पृथ्वी पर अंतिम स्थान है जहाँ सुमात्रा के ऑरंगुटान (orangutans) , हाथी (elephants), बाघ (tigers), गैंडे (rhinos) और सन बियर्स (Sun Bears) अभी भी एक ही पारिस्थितिकी आवास में घूमते हैं।

आगे की राह

 जब तक कॉर्पोरेट समूह (Corporate Groups)  ‘No Deforestation, No Peatland and No Exploitation’ बेंचमार्क के साथ अपने अनुपालन पर खरा नहीं उतरता, तब तक इन खाद्य और कॉस्मेटिक्स कंपनियों तथा बैंकों को रॉयल गोल्डन ईगल समूह और उसकी सभी सहायक कंपनियों से सोर्सिंग/संयुक्त-उद्यम/वित्तपोषण को निलंबित करना चाहिये।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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