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EAT­-Lancet आयोग की रिपोर्ट

  • 05 Apr 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्वस्थ आहार पर EAT­-Lancet आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट के बारे में

  • EAT­-Lancet रिपोर्ट ने पहली बार वैज्ञानिक तौर पर स्वस्थ आहार में शामिल होने वाले आहारों के बारे में बताया गया है।
  • यह रिपोर्ट 37 अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई है जिनमें 2 भारतीय विशेषज्ञ भी शामिल हैं।
  • पिछले 50 वर्षों में हम लोग आहार की पोषकता के मामले में पिछड़ गए हैं। यह आहार प्रणाली में हुए वैश्विक परिवर्तन का नतीजा है।
  • दुनिया भर में करोड़ों लोग भूखे रहते हैं और अधिकांश लोग अस्वस्थ आहार प्रणाली अपना रहे हैं।
  • इसकी वज़ह से होने वाली मौतों की संख्या एल्कोहल, ड्रग्स और तंबाकू को मिलाकर होने वाली मौतों से भी ज़्यादा है।
  • आहार प्रणाली में परिवर्तन के लिये आयोग ने कुछ उपाय सुझाए हैं जिनमें अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर कर प्रत्यारोपण, स्वस्थ आहार के लिये सब्सिडी देना, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में मज़बूत नेतृत्व तथा नागरिक समाज को स्वस्थ आहार के प्रति जागरूक करना इत्यादि शामिल हैं।
  • आयोग का कहना है कि उसके द्वारा अनुशंसित आहार से वयस्क मौतों की संख्या 19 से 23.6% तक कम हो सकती है।
  • स्वस्थ आहार को अपनाकर हर वर्ष दुनिया भर में समय से पूर्व होने वाली मौतों की संख्या (लगभग 10-11 मिलियन) को कम किया जा सकता है।
  • भारत की तरफ से इस अध्ययन में शामिल दो विशेषज्ञों में से एक डॉक्टर के श्रीनाथ रेड्डी हैं, जो पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट हैं।
  • उनके अनुसार, भारत को चावल और गेहूँ के अलावा कम कीमत में विभिन्न प्रकार के अनाज, फलों और सब्जियों की खपत को बढ़ावा देने और उनकी व्यापक स्तर पर उपलब्धता सुनिश्चित कराने की ज़रूरत है।
  • साथ ही आयरन, जिंक, फोलेट और विटामिन’A’ जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से संपन्न खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने की जरूरत है, जो शरीर में इन तत्त्वों की कमी को पूरा कर सकते हैं।

EAT

  • EAT आहार प्रणाली में अनुकूल परिवर्तन के लिये एक विज्ञान आधारित वैश्विक मंच है।
  • इसकी स्थापना स्टॉरडेलन फाउंडेशन, स्टॉकहोम रेजिलिएंस सेंटर और वेलकम ट्रस्ट द्वारा की गई है।
  • यह एक गैर-लाभकारी संस्था है।

निष्कर्ष

  • वैज्ञानिकों के अनुसार, वर्तमान में हमारी अस्वास्थ्यकर आहार प्रणाली से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है, ताज़े पानी की आपूर्ति घट रही है, भूमि उपयोग से समझौता हो रहा है, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस चक्र समाप्त हो रहा है और जैव विविधता समाप्त हो रही है।
  • अत: यदि हम आहार प्रणाली में उचित बदलाव नहीं लाते हैं तो हम संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकेंगे।

स्रोत: द हिंदू, eatforum.org

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