राम मंदिर में टाइम कैप्सूल | 04 Aug 2020
प्रीलिम्स के लिये:टाइम कैप्सूल मेन्स के लिये:टाइम कैप्सूल |
चर्चा में क्यों?
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण स्थल पर ज़मीन के नीचे एक ‘टाइम कैप्सूल’ (Time Capsule) या काल पत्र (Kaal Patra) रखे जाने की खबरों को लेकर विभिन्न प्रकार के दावे पेश किये जा रहे हैं।
प्रमुख बिंदु:
- यद्यपि ‘राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट’ द्वारा टाइम कैप्सूल रखे जाने की बात का खंडन किया गया है, परंतु ट्रस्ट के कुछ सदस्यों के अनुसार, टाइम कैप्सूल रखा जा रहा है तथा यह भगवान राम और उनके जन्मस्थान के बारे में एक संदेश लेकर जाएगा और इसे हज़ारों वर्षों तक संरक्षित रखा जाएगा।
टाइम कैप्सूल (Time Capsule):
- यह किसी भी आकार या आकृति का एक कंटेनर होता है, जिसमें वर्तमान समय के दस्तावेज़, फोटो और कलाकृतियों को रखा जाता है तथा आने वाली पीढ़ियों की खोज के लिये इसे भूमिगत दफन किया जाता है।
- टाइम कैप्सूल के निर्माण के लिये विशेष इंजीनियरिंग की आवश्यकता होती है ताकि लंबी समयावधि के बाद भी कैप्सूल में रखी गई सामग्री का क्षय न हो।
- कैप्सूल के निर्माण के लिये एल्यूमीनियम, स्टेनलेस स्टील जैसी सामग्री तथा अम्लता रहित पेपरों का प्रयोग किया जाता है।
वैश्विक स्तर पर टाइम कैप्सूल:
- यद्यपि ‘टाइम कैप्सूल’ शब्द का प्रयोग 20वीं शताब्दी से प्रयुक्त किया जाने लगा है, परंतु इसका प्रारंभिक उदाहरण वर्ष 1777 का है, जिसे दिसंबर 2017 में पुनर्बहाली कार्य के दौरान स्पेन के एक चर्च से प्राप्त किया गया।
- नियोजित 'टाइम कैप्सूल' का प्रारंभ वर्ष 1876 से माना जाता है, जब न्यूयॉर्क पत्रिका के प्रकाशक द्वारा फिलाडेल्फिया में 'सेंचुरी सेफ' (Century Safe) नाम से टाइम कैप्सूल को दफन किया गया।
- इंटरनेशनल टाइम कैप्सूल सोसाइटी (ITCS); जो दुनिया में 'टाइम कैप्सूल' की संख्या का अनुमान लगाती रहती है, के अनुसार संपूर्ण विश्व में अभी भी 10,000-15,000 'टाइम कैप्सूल' हैं।
भारत में टाइम कैप्सूल:
लाल किला:
- भारत मे टाइम कैप्सूल के कई प्रमुख उदाहरण देखने को मिलते हैं। एक ‘टाइम कैप्सूल’ लाल किले के बाहर वर्ष 1972 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा भूमिगत रखा गया था। जिसको लेकर सरकार और अन्य पार्टियों के बीच काफी विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला तथा जनता पार्टी की सरकार द्वारा इसे खोदकर निकाल लिया गया।
आईआईटी कानपुर:
- 6 मार्च, 2010 को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा IIT कानपुर के कैंपस में टाइम कैप्सूल दफन किया गया था।
- इसमें संस्थान का एक हवाई नक्शा, वार्षिक रिपोर्ट, हॉस्टल मेस का मेनू जैसी कुछ सामग्री रखी गई थी।
अन्य टाइम कैप्सूल:
- मुंबई के एक स्कूल, जालंधर में लवली पब्लिक यूनिवर्सिटी, गांधी नगर के महात्मा मंदिर आदि में भी टाइम कैप्सूल दफन किये गए हैं।
टाइम कैप्सूल का महत्त्व:
- 'टाइम कैप्सूल' का उपयोग भविष्य की पीढ़ियों के साथ संचार स्थापित करने की एक विधि के रूप में किया जाता है।
- 'टाइम कैप्सूल' भविष्य के पुरातत्त्वविदों, मानवविज्ञानी, या इतिहासकारों को अतीत की मानव-सभ्यता के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करते हैं।
टाइम कैप्सूल की आलोचना:
- कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह अनिवार्य रूप से एक 'व्यक्तिपरक अभ्यास' है, जिसे वर्तमान में महिमामंडन के रूप में पेश किया जा रहा है।
- 'टाइम कैप्सूल' में पर्याप्त जानकारी का अभाव होता है, कई स्थानों से प्राप्त 'टाइम कैप्सूल' में उस समय के लोगों के बारे में बहुत कम जनकारी प्राप्त हुई है।
निष्कर्ष:
- 'टाइम कैप्सूल' इतिहास को दर्शाने का एक मान्य तरीका नहीं है। टाइम कैप्सूल में रखे जाने वाले दस्तावेज़ों का प्रमाणन नहीं किया जाता है, अत: टाइम कैप्सूल में प्रदान की जाने वाली जानकारी को अन्य स्रोतों के साथ सत्यापित किया जाना चाहिये।