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शासन व्यवस्था

मध्य प्रदेश का टाइम बैंक

  • 09 Sep 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश के आनंद विभाग (Happiness Department) ने एक टाइम बैंक (TimeBank) स्थापित करने की योजना बनाई है। इस टाइम बैंक के ज़रिये अर्जित समय का उपयोग बिना किसी कागज़ी मुद्रा या प्रत्ययी नोट का भुगतान किये किसी नए कौशल को सीखने के लिये किया जा सकता है।

अंतर्निहित विचार

  • इस विचार के पीछे मुख्य तर्क यह है कि सभी मानव स्वयं में संपत्ति हैं जो पारस्परिकता से प्रेरित हैं। प्रत्येक व्यक्ति पर ध्यान केंद्रित किये जाने से श्रम की समानता और गरिमा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
  • यह सामाजिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये अप्रयुक्त सामाजिक क्षमता को जोड़ने का एक नया तरीका है।
  • जब भी बैंक के किसी सदस्य को किसी सेवा की आवश्यकता होती है या वह किसी प्रकार का कौशल जैसे- बागवानी या गिटार बजाना, अर्जित करना चाहता है, तो वह विशेष कौशल प्राप्त किसी अन्य सदस्य के साथ एक घंटे के क्रेडिट का आदान-प्रदान कर सकता है।
  • शुरुआत में स्थानीय नेटवर्क के माध्यम से विभाग के साथ पंजीकृत 50,000 स्वयंसेवक सामुदायिक स्तर के बैंक बनाएंगे और उन सेवाओं तथा कौशल को सूचीबद्ध करेंगे जिन्हें वे प्रदान कर सकते हैं। इससे लोगों को आपसी विश्वास कायम करने में सहायता मिलेगी।
  • कुछ समय बाद एक अनुभवी स्वयंसेवक नए सदस्यों को शामिल करेगा और सभी लेन-देन का रिकॉर्ड रखेगा।
  • इसे आधुनिक वस्तु विनिमय प्रणाली (Modern Barter System) माना जा सकता है।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1827 में टाइमबैंक की परिकल्पना की गई थी। लेकिन वर्ष 1973 में जापान में पहली बार टाइमबैंक स्थापित किये जाने के साथ इस अवधारणा को लोकप्रियता मिली।
  • बाद में अमेरिका में टाइम बैंक के CEO ने टाइम डॉलर के विचार को लोकप्रिय बनाया।
  • वर्तमान में 32 देशों में 500 से अधिक ऐसे समुदाय हैं।
  • यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि इससे पहले अक्तूबर 2018 में विकलांगता और बुज़ुर्ग व्यक्तियों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission-NHRC) के एक पैनल ने “टाइम बैंक" योजना की सिफारिश की थी। पैनल का तर्क था कि इसकी सहायता से लोग ऐसे वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल कर सकेंगे जो बिना किसी सहायता या साथ के अपने परिवार से दूर अकेले रह रहे हैं।

आनंद विभाग

  • मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने वर्ष 2016 में आनंद विभाग का निर्माण किया।
  • वर्तमान में राज्‍य आनंद संस्‍थान, मध्‍य प्रदेश शासन के अध्‍यात्‍म विभाग के अंतर्गत संचालित है।
  • राज्य आनंद संस्थान एक स्वतंत्र पंजीयकृत सोसाईटी है जो विभाग के लक्ष्यों की पूर्ति के लिये कार्य करेगी।

विभाग के कार्य

  • आनंद एवं सकुशलता को मापने के पैमानों की पहचान करना तथा उन्हें परिभाषित करना।
  • राज्य में आनंद का प्रसार बढ़ाने की दिशा में विभिन्न विभागों के बीच समन्वयन के लिये दिशा-निर्देश तय करना।
  • आनंद की अवधारणा का नियोजन नीति निर्धारण और क्रियान्वयन की प्रक्रिया को मुख्यधारा में लाना।
  • आनंद की अनुभूति के लिये एक्शन प्लान एवं गतिविधियों का निर्धारण।
  • निरंतर अंतराल पर निर्धारित मापदण्डों पर राज्य के नागरिकों की मन:स्थिति का आंकलन करना।
  • आनंद की स्थिति पर सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कर प्रकाशित करना।
  • आनंद के प्रसार के माध्‍यमों, उनके आंकलन के मापदण्डों में सुधार के लिये लगातार अनुसंधान करना।
  • आनंद के विषय पर एक ज्ञान संसाधन केंद्र के रुप में कार्य करना।

स्रोत: द हिंदू

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