कर्नाटक में बाघ आरक्षित इको जोन को घटाया गया | 03 Aug 2017

संदर्भ
कर्नाटक में काली बाघ आरक्षित क्षेत्र के चारों ओर स्थित सुरक्षात्मक कवर के दायरे को घटा दिया गया है। सार्वजनिक दबाव के कारण राज्य सरकार ने पार्क के चारों ओर पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसिटिव जोन) को सीमित करने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु 

  • नवंबर 2016 में पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र (इएसजेड) पर ज़ारी एक ड्राफ्ट अधिसूचना में उत्तर कन्नड़ ज़िले के तीन तालुकाओं के 1,201.94 वर्ग किमी क्षेत्र को इएसजेड में बताया गया था, जबकि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की इएसजेड पर बनी विशेषज्ञ समिति को बताया गया है कि इसे 312.52 किलोमीटर तक ही सीमित रखा जाएगा।
  • यह बाघ आरक्षित क्षेत्र के परिधि में उस 75% की कमी को दर्शाता है, जो वन के लिये बफर क्षेत्र का कार्य करता है तथा निर्माण व अन्य गतिविधियों पर रोक लगाता है।
  • कर्नाटक में 10 वन्यजीव अभयारण्यों और आरक्षितों के लिये पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र घोषित किये गए हैं और अब तक किसी के भी बफर जोन में कमी नहीं की गई है। 
  • हालाँकि, बनरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान और कावेरी वन्यजीव अभ्यारण्य के लिये ईएसजी घोषणाएँ अभी तक तैयार नहीं की गई है, क्योंकि वहाँ राजनीतिक दबाव और स्थानीय आपत्तियाँ अधिक हैं।

इको सेंसिटिव जोन किसे कहते हैं ?

  • ये पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय उद्यानों और वन्य जीव अभ्यारण्यों के चारों ओर स्थित अधिसूचित क्षेत्र होते हैं। 
  • इनका उद्देश्य ऐसे क्षेत्रों के आसपास किसी भी तरह की निर्माण गतिविधियों को विनियमित कर उस क्षेत्र को सुरक्षित रखना है।

बफर जोन किसे कहते हैं ?

  • बफर जोन ऐसे क्षेत्र हैं, जो किसी संरक्षित क्षेत्र की सुरक्षा के लिये इसके चारों ओर बनाए जाते हैं। इन क्षेत्रों के अंदर पाए जाने वाले संसाधनों का उपयोग प्रतिबंधित रहता है। 
  • ये जैव विविधता की दृष्टि से संरक्षण रणनीतियों का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होते हैं।