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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

क्या रूस-अमरीका के बीच 'ट्रेड वॉर' छिड़ जाएगा

  • 03 Aug 2017
  • 3 min read

संदर्भ
गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस पर नए प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रस्तावित विधेयक पर हस्ताक्षर किये हैं| ध्यातव्य है कि इस विधेयक को सीनेट की मंज़ूरी पहले ही प्राप्त हो गई है|

प्रमुख बिंदु

  • विधेयक में ईरान और उत्तर कोरिया पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं|
  • इस विधेयक की सबसे खास बात यह है कि इसने राष्ट्रपति ट्रंप की उन शक्तियों को सीमित कर दिया गया है, जिनसे वह रूस पर लगे प्रतिबंधों को खुद-ब-खुद वापस ले सकटे थे|
  • वस्तुत: इस विधेयक का उद्देश्य गत वर्ष हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कथित दखलंदाज़ी और सीरिया और यूक्रेन में आक्रामकता के लिये रूस को दंडित करना है|

रूस की प्रतिक्रिया

  • गौरतलब है कि उक्त प्रतिबंधों के संबंध में रूस के द्वारा तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है| रूस के प्रधानमंत्री दिमित्रि मेदवेदेव के कथनानुसार, ऐसा निर्णय करके अमेरिका ने रूस के खिलाफ पूरी तरह से व्यापारिक जंग का एलान किया है|
  • ईरान ने स्वयं पर अधिरोपित प्रतिबंधों के संबंध में कहा है कि ये नए प्रतिबंध परमाणु समझौते में वर्णित प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं और वह अमेरिका के इस निर्णय का उचित एवं सही तरीके से जवाब देगा|
  • ध्यातव्य है कि रूस शुरूआत से ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में उसकी किसी भी तरह की दखलंदाज़ी से इनकार करता रहा है| हालाँकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भी इन आरोपों को हमेशा खारिज़ किया गया है| ऐसी स्थिति में अमेरिका का यह कदम बहुत से प्रश्नों को जन्म देता है| वस्तुतः विश्व की दो महाशक्तियों के बीच उभरी यह स्थिति समस्त विश्व के लिये चिंता का विषय है|
  • इसी क्रम में अमेरिका द्वारा अधिरोपित प्रतिबंधों की जवाबी कार्रवाई के रूप में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने 755 अमेरिकी राजनयिकों को रूस छोड़ने को कहा| 
  • वस्तुतः रूस का यह कदम इस बात की ओर इशारा करता है कि इन दोनों देशों के बीच संबंधों का यह एक कठिन दौर है| अब देखना यह होगा कि इसका विश्व की राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है?

प्रभाव

  • गौरतलब है कि अमेरिका के इस कदम के बाद अमेरिकियों के लिये रूसी एनर्जी प्रोजेक्ट में निवेश करना आसान नहीं होगा| इतना ही नहीं, बल्कि अमेरिकी कंपनियों के लिये रूस में व्यापार करना भी काफी मुश्किल हो जाएगा|
  • इस मामले में जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों ने इस क्षेत्र विशेष पर पड़ने वाले आर्थिक दुष्परिणामों की आशंका व्यक्त की है|
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