सामाजिक न्याय
द वर्ल्ड एट रिस्क रिपोर्ट
- 21 Sep 2019
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चर्चा में क्यों ?
सितंबर, 2019 में ग्लोबल प्रिपेयर्डनेस मॉनीटरिंग बोर्ड (Global Preparedness Monitoring Board- GPMB) द्वारा द वर्ल्ड एट रिस्क रिपोर्ट (The World AT Risk Report) जारी की गई है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- वर्तमान समय में विश्व अनेक प्रकार के नए संक्रामक रोगों का सामना कर रहा है। एन्फ्लूएंज़ा, इबोला, ज़ीका और प्लेग जैसे रोग तेज़ी से फैल रहे हैं, जिनके प्रभावों को आसानी से समाप्त नहीं किया जा सकता है।
- इस प्रकार के रोगों से गरीब सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं। बुनियादी एवं सार्वजनिक प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं व अवसंरचना से अभावग्रस्त देशों को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ता है, जिसमें मृत्यु, विस्थापन और आर्थिक तंगी आदि समस्याएँ शामिल हैं।
- जहाँ एक ओर वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित करने का प्रयास हो रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रतिरोधक क्षमता युक्त नवीन बीमारियों का भी जन्म हो रहा है। इससे वैश्विक स्तर पर महामारियों के प्रसार की आशंका है।
- महामारी केवल जीवन या स्वास्थ्य को ही नुकसान नहीं पहुँचाती है बल्कि इससे देशों की अर्थव्यवस्थाएँ भी प्रभावित होती हैं, जिसका परिणाम विभिन्न देशों की GDP में गिरावट के रूप में देखा जाता है। वस्तुतः इससे व्यापार एवं पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- ग्लोबल प्रिपेयर्डनेस मॉनीटरिंग बोर्ड (Global Preparedness Monitoring Board) द्वारा स्वास्थ्य आपात स्थितियों का सामना करने हेतु 7 आवश्यक कार्यवाहियों पर बल दिया गया है, जो निम्नलिखित हैं:
- सभी देशों की सरकारों को प्रतिबद्धता प्रदर्शित करनी चाहिये, साथ ही इन बीमारियों से निपटने हेतु अधिक निवेश पर बल देना चाहिये।
- अंतराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठनों द्वारा इन बीमारियों को रोकने हेतु कार्यक्रमों का नेतृत्व किया जाना चाहिये।
- सभी देशों को प्रभावी नीतियों एवं प्रणाली का निर्माण करना चाहिये।
- विपरीत परिस्थितियों के लिये देशों और बहुपक्षीय संस्थानों को पूर्व निर्धारित तैयारी करनी चाहिये।
- विकास सहायता कोष में धन प्रवाह को बढ़ाया जाना चाहिये।
- संयुक्त राष्ट्र के समन्वय तंत्र को मज़बूत करना चाहिये।
ग्लोबल प्रिपेयर्डनेस मॉनीटरिंग बोर्ड
(Global Preparedness Monitoring Board- GPMB):
- यह एक सलाहकारी और स्वतंत्र निगरानी तंत्र के रूप में स्थापित निकाय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा विश्व बैंक द्वारा इसे मई 2018 में स्थापित किया गया।
- वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य आपात स्थितियों पर प्रतिक्रिया देने, प्रभावों को कम करने एवं इन स्थितियों में प्रभावी नीतियों को तैयार करने के लिये इसकी स्थापना की गई है।
- यह राजनीतिज्ञों, एजेंसियों के प्रमुखों और विशेषज्ञों का 15 सदस्यीय बोर्ड है।
महामारी (Pandemic) क्या है?
- महामारी का आशय विश्व में किसी बीमारी के प्रसार से है।
- एन्फ्लूएंज़ा महामारी का रूप तब लेती है जब एक एन्फ्लूएंज़ा वायरस तेज़ी से विस्तृत क्षेत्र में फैल जाता है।
- एन्फ्लूएंज़ा महामारी काफी हद तक मौसमी होती है और लगभग एक बिलियन लोगों को प्रभावित करती है तथा प्रतिवर्ष हज़ारों लोगों के मृत्यु का कारण बनती है। इसलिये यह विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है।
- उदाहरणस्वरूप H5N1 (जिसे एवियन एन्फ्लूएंज़ा या "बर्ड फ्लू" कहा जाता है) एक प्रकार का एन्फ्लूएंज़ा वायरस है, जो पक्षियों में अत्यधिक संक्रामक गंभीर श्वसन रोग का कारण बनता है।