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व्हाइट हाउस द्वारा एच-1बी वीज़ा नियमों में परिवर्तन करने को कहा गया

  • 01 Feb 2017
  • 9 min read

गौरतलब है कि अमेरिका ने सात देशों के नागरिकों के अमेरिका आगमन पर अस्थाई प्रतिबंध लगाते हुए अमेरिका की वीज़ा नीति में एक बड़ा बदलाव किया है| 31 जनवरी को अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा ने एच- 1 बी वीज़ा नियमों में सुधार संबंधी एक नया विधेयक प्रस्तुत किया है| इन नए नियमों के अनुपालन से अमेरिकी कम्पनियाँ विदेशी पेशेवरों को आसानी से रोज़गार प्रदान नहीं कर सकेंगी| इसका सबसे अधिक असर भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ेगा|

प्रमुख बिंदु

  • इस विधेयक में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण का कार्य (Optional Practical Training-OPT) तथा किसी भी अमेरिकी विश्वविद्यालय से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित (Science, Technology, Engineering, Math - STEM) के क्षेत्र में परास्नातक की डिग्री प्राप्त लोगों के लिये नौकरी संबंधी प्रशिक्षण पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया है|
  • हालाँकि भारत द्वारा एच-1 बी वीज़ा आवेदन के तहत परास्नातक डिग्री में छूट प्रदान करने की मांग की गई है क्योंकि ज़्यादातर आईटी पेशेवरों के पास परास्नातक की ही डिग्री होती है|
  • ध्यातव्य है कि इन नए वीज़ा नियमों के तहत न्यूनतम 88 लाख रुपये (1.30 लाख डॉलर) सालाना वेतन पाने वाले लोगों को ही वीज़ा प्रदान किया जाएगा|
  • यह मौजूदा 40 लाख रुपये के स्तर से (60 हजार डॉलर) से दोगुना है| ऐसे में अमेरिकी कम्पनियों के लिये भारतीयों को नौकरी देना बहुत मुश्किल हो जाएगा|
  • द हाई स्किल्ड इंटिग्रिटी एंड फेयरनेस अधिनियम (The High Skilled Intregriti and Fairness Act),2017 के तहत एच-1 बी वीज़ा के लिये 1989 से चले आ रहे 60 हजार डॉलर के न्यूनतम वेतन को दोगुने से ज़्यादा तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है|
  • इस विधेयक को कैलिफोर्निया के सांसद जोए लोफग्रेन के द्वारा प्रस्तुत किया गया है|

क्या है एच – 1 बी वीज़ा

  • गौरतलब है कि एच -1 बी वीज़ा अर्हता प्राप्त पेशवरों को ही प्रदान किया जाता है| इस वीज़ा नीति के आधार पर ही अमेरिकी कम्पनियाँ हर साल हजारों विदेशी पेशवरों को अपने यहाँ रोज़गार प्रदान करती हैं|
  • हाल ही में प्रस्तुत किये गए इस नए विधेयक में वर्णित नियमों के अनुसार, इसके पश्चात् एच- 1 बी वीज़ाधारक पेशेवरों को अधिक वेतन प्रदान किया जाएगा|
  • उल्लेखनीय है कि अमेरिकी लोगों के मुकाबले भारतीय पेशेवर कम वेतन पर काम करते हैं| ऐसे में आईटी कम्पनियों द्वारा बढ़े वेतन पर अमेरिकी लोगों को ही तरजीह देने की सम्भावना बढ़ जाती है|

अभी तक किसे कितना एच -1 बी वीज़ा प्रदान किया जाता है

  • गौरतलब है कि वर्तमान में अमेरिकी सरकार द्वारा कंम्पूटर के क्षेत्र में तकरीबन 86.5 फीसदी भारतीयों, 5.1 फीसदी चीनी नागरिकों तथा 0.8 फीसदी कनाडाई नागरिकों तथा 7.6 फीसदी एच- 1 बी वीज़ा अन्य लोगों को प्रदान किया जाता है |
  • इसके अतिरिक्त इंजीनियरिंग के क्षेत्र में तकरीबन 46.5 फीसदी भारतीयों, 19.3 फीसदी चीनी नागरिकों तथा 3.4. फीसदी कनाडाई नागरिकों  तथा 30.8 फीसदी एच – 1 बी वीज़ा अन्य लोगों को प्रदान किया जाता है|

अन्य पक्ष

  • हालाँकि इस विधेयक के लागू होने से भारतीय कंपनियों के समक्ष बहुत सी परेशानियाँ आएंगी तथापि इसके अंतर्गत सबसे प्रभावकारी बात यह है कि उक्त विधेयक के अंतर्गत 20% वीज़ा 50 अथवा उससे कम कर्मियों वाली कंपनियों को प्रदान किये जाने संबंधी प्रावधान भी किया गया है|
  •  इस विधेयक के अंतर्गत उक्त प्रावधान को शामिल किये जाने का मुख्य उद्देश्य वस्तुतः देश में स्टार्ट-अप कंपनियों को बढ़ावा प्रदान करना है| दूसरे अर्थों में देखा जाए तो वे लोग जो अपना स्वयं का कारोबार आरंभ करना चाहते हैं उनके लिये यह एक स्वर्णिम अवसर के रूप में प्रस्तुत होगा|
  • इसके अतिरिक्त इन नए वीज़ा नियमों में वीज़ाधारक के जीवनसाथी को काम करने की अनुमति प्रदान नहीं की गई है| अर्थात अभी तक पति या पत्नी में से किसी एक को भी यदि एच-1 बी वीज़ा प्राप्त होता था तो उस व्यक्ति के जीवनसाथी को भी अमेरिका में काम करने की मंजूरी प्राप्त हो जाती थी|
  • आमतौर ऐसे लोगों को एल-1 श्रेणी का वीज़ा प्रदान किया जाता है परन्तु इन नए नियमों के लागू होने के उपरांत इन्हें यह सुविधा प्रदान नहीं की जाएगी| 
  • साथ ही वीज़ा प्रदान करने के  संबंध में प्रयोग की जाने वाली लॉटरी प्रणाली में भी परिवर्तन करने की सम्भावना है|
  • वर्तमान में एक लाख से भी अधिक एच-1 बी वीज़ाधारक भारतीय अमेरिका में नौकरी कर रहे हैं| ऐसे में इस नए विधेयक में वर्णीत प्रावधानों को लागू किये जाने से इन पेशेवरों को वापस भारत लौटना पड़ सकता है| साथ ही इससे नए पेशेवरों को मिलने वाले काम की संख्या में कमी आने की प्रबल सम्भावना है|
  • इस विधेयक को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अनुमति प्राप्त होने के पश्चात् अमेरिकी सरकार द्वारा 90 दिनों के भीतर इस विधेयक में वर्णित प्रावधानों की समीक्षा की जाएगी तथा उन सभी कारणों का पता लगाया जाएगा जिनके कारण अमेरिका के हित प्रभावित हो रहे हैं|
  • ध्यातव्य है कि एच -1 बी वीज़ा के नए बिल के पेश होते ही इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो तथा टेक महिंद्रा के शेयर 3 से 5 फीसदी तक गिर गए है| अमेरिका में 60 फीसदी इंफोसिस के कर्मचारी एच – 1 बी वीज़ाधारक है|
  • इसके अतिरिक्त अमेरिकी सरकार द्वारा संघीय निरीक्षकों को भी नियुक्त करने पर विचार किया जा रहा है ताकि अतिथि श्रमिकों (Guest Workers) के तौर कर काम कर रहे लोगों के संबंध में नियमित रूप से जानकारी प्राप्त की जा सके|

निष्कर्ष

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी के कईं प्रान्त ऐसे हैं जहाँ भारतीय कंपनियों द्वारा अधिकतर अमेरिकी नागरिकों को प्रत्यक्ष रोज़गार प्रदान किया गया है| जिनमें न्यू जर्सी, कैलिफोर्निया, टेक्सास तथा न्यूयार्क प्रमुख हैं| इतना ही नहीं बल्कि कईं ऐसे भी प्रान्त हैं (टेक्सास, पेन्सिल्वेनिया, मिनिसोटा, न्यूयार्क इत्यादि) जहाँ भारतीय कंपनियों ने सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी किया है| स्पष्ट है कि भारतीय कम्पनियाँ अमेरिका में लगातार अपने निवेश एवं व्यापार को बढ़ावा प्रदान कर रही हैं| ऐसे में कमर्चारियों की छंटनी का प्रभाव केवल भारतीयों पर ही नहीं होगा वरन् अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी होगा| स्पष्ट है कि ऐसे में यदि अमेरिकी प्रशासन एच-1 बी वीज़ा के रूप में भारतीय कर्मचारियों पर शिकंजा कसता है,  तो इसका प्रभाव अमेरिका में भारतीय कंपनियों के रुख पर भी पड़ेगा|

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