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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पश्चिम एशिया में उभरता गतिरोध

  • 07 Jun 2018
  • 7 min read

संदर्भ

मई की शुरुआत में अमेरिका के ईरान परमाणु समझौते से बाहर हो जाने के बाद इस बात पर गहरी असहमति है कि यूरोप और संयुक्त राज्य किस प्रकार 2015 के ईरान परमाणु समझौते को आगे बढ़ाएंगे| इसके अलावा, यूरोप भी डील को सुरक्षित रखने की शर्तों पर ईरान से निपटने में परेशानी की स्थिति में है। ईरान परमाणु समझौता संकट निश्चित रूप से जटिल है और प्रबंधन की दृष्टि से कोई हल नहीं दिखाई दे रहा है।

क्या है ईरान परमाणु समझौता?

  • जुलाई 2015 में बराक ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्राँस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान ने परमाणु समझौता किया था।
  • इस समझौते के अनुसार, ईरान को अपने संवर्द्धित यूरेनियम के भंडार को कम करना था और अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिये खोलना था।
  • इसके बदले में उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में आंशिक रियायत दी गई थी। 
  • वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप का आरोप है कि ईरान ने दुनिया से छिपकर अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखा। वह किसी बड़ी साजिश को अंजाम दे रहा था। 

ईरान के समझौते में बने रहने के लिये प्रस्तावित शर्तें 

  • ईरान के सर्वोच्च नेता, अयोतुल्लाह अली खमेनी ने ईरान के समझौते में बने रहने के लिये तीन यूरोपीय हस्ताक्षरकर्त्ता देशों के लिये कुछ शर्तों को रेखांकित किया है जिन्हें स्वीकार करना ज़रूरी है|
  • सबसे पहले, उन्हें ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और मध्य पूर्व में किये गए किसी भी कार्रवाई पर वार्ता शुरू करने से बचने के लिये वचनबद्ध होना चाहिये।
  • दूसरा, यूरोपीय बैंकों को तेहरान के साथ "व्यापार की रक्षा" करनी चाहिये और ईरान से तेल की खरीद जारी रखना चाहिये।
  • तीसरा, यूरोपीय शक्तियों को "अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ खड़ा होना चाहिये" और समझौते का समर्थन करने वाले संयुक्त राष्ट्र संकल्प को तोड़ने के लिये ट्रंप प्रशासन की निंदा करनी चाहिये।

ईरान पर आर्थिक प्रभाव क्या पड़ेगा? 

  • पिछले हफ्ते  ब्रसेल्स में हुई बैठक में फ्राँस, ब्रिटेन और जर्मनी के विदेश मंत्रियों ने ईरान के तेल और निवेश प्रवाह को बढ़ाने का वचन देकर सौदे को संरक्षित करने का प्रयास किया था।
  • हालाँकि, परमाणु समझौते से निलंबित अमेरिकी प्रतिबंधों को अब बहाल कर दिया गया है।
  • जो लोग पहले से ही ईरान के साथ व्यापार में हैं, उनके पास अनुबंध समाप्त करने के लिये तीन से छह महीने का समय है, जबकि नवागंतुकों को ईरान में खरीद, बिक्री या निवेश से प्रतिबंधित किया गया है।
  • इसके अलावा, 80 प्रतिशत  अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी मुद्रा का उपयोग होता है, जो इसे अमेरिकी अनुमोदन के अधीन बनाता है।
  • नतीजतन, भारी जुर्माने से प्रभावित यूरोपीय बैंकों ने ईरान के साथ व्यापार फिर से शुरू करने से इनकार कर दिया है।
  • परमाणु करार और पेरिस जलवायु सम्मेलन जैसे कुछ अहम समझौतों से ट्रंप का किनारा करना विश्व-व्यवस्था के लिये बड़ी चोट है|

यूरोपियन रणनीति 

  • अमेरिकी प्रतिबंधों के मुकाबले के लिये यूरोप कई रणनीतियों पर योजना बना रहा है|
  • सबसे पहले, वित्तीय सर्किट को स्थापित करना जो डॉलर के बिना भी संचालित हो सके| 
  • दूसरा, यूरोपीय क्षेत्र पर कुछ अमेरिकी कानूनों के प्रभाव को अवरुद्ध करने वाले 1996 के विनियमन को अद्यतन करना।
  • तीसरा, यूरोप में अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ प्रतिकार के उपायों को अपनाना।
  • लेकिन प्रतिकार के इन उपायों में से कोई भी कम समय में नहीं हो सकता है।
  • इसलिये ईरान के साथ राजनयिक संबंध बनाए रखने की कोशिश करते हुए यूरोपीय कंपनियों के पास वाशिंगटन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का पालन करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है|
  • जिस प्रकार ट्रंप प्रशासन और उसके सहयोगियों का रुख है उसे देखते हुए परिस्थितियाँ काफी भिन्न दिखाई दे रही हैं।
  • बेरूत, दमिश्क, बगदाद और साना ने ईरान के लाभ वापस लेते हुए प्रतिबंधों को फिर से बहाल कर, अमेरिका, सऊदी अरब और इज़राइल ईरानी शासन को अपने घुटनों पर लाने की उम्मीद कर रहे हैं|
  • राज्य सचिव माइक पोम्पो ने स्पष्ट किया है कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ईरान के आकार में कटौती करने के लिये एक समन्वित क्षेत्रीय रणनीति तैयार कर रहा है। 
  • इस्लामी गणराज्य के दुश्मनों में से एक फारसी खाड़ी क्षेत्र में अरब देशों का भी उल्लेख किया जा सकता है, जो एक सशक्त और आक्रामक ईरान से लुप्तप्राय महसूस कर रहे हैं।
  • हालाँकि संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत जैसे देश पूरी तरह से आल आउट वार (all-out war) की तलाश में नहीं हैं, वे ईरान के जातीय अल्पसंख्यकों द्वारा उत्पीड़न को प्रोत्साहित करने के लिये लाखों खर्च करने के लिये तैयार हैं।
  • ईरान को सम्मिलित करना एक बड़ा काम है, अमेरिका और उसके सहयोगी इसे बेहतर तरीके से समझते हैं।
  • ट्रंप प्रशासन निश्चित रूप से मध्य पूर्व में एक नए सैन्य जोखिम में भाग नहीं लेगा, जबकि यह सीरिया से 2,000 से अधिक अमेरिकी सैनिकों को वापस लाने की योजना बना रहा है।
  • हालाँकि ट्रंप प्रशासन ईरान के खिलाफ शतरंज का खेल जीतने के लिये संकल्पित है।
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