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ग्रामीण विद्युतीकरण के कल्याणकारी प्रभाव

  • 21 Apr 2018
  • 13 min read

संदर्भ 
ग्रामीण विद्युतीकरण न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने में मदद करेगा, बल्कि भारत के द्वारा की गई जलवायु परिवर्तन संबंधी प्रतिबद्धताओं को भी पूरा करने में मदद करेगा।

प्रमुख बिंदु 

  • ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति की लागत काफी अधिक है। सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये प्रत्येक घर तक सस्ती बिजली की पहुँच एक आवश्यक शर्त है। हालाँकि, पिछले एक से डेढ़ दशकों के दौरान विकास एजेंडे में ग्रामीण विद्युतीकरण की तरफ ध्यान दिया गया है। 
  • 2005 में केंद्र सरकार ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) लॉन्च की, जिसमें ग्रामीण विद्युतीकरण से संबंधित पहले से चल रही सभी अन्य योजनाओं को समाहित कर दिया गया था। 
  • यह योजना विकेंद्रीकृत वितरित उत्पादन (decentralized distributed generation) के कार्यान्वयन के माध्यम से गाँवों के विद्युतीकरण पर केंद्रित योजना थी। 
  • राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को बाद में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) में शामिल किया गया था, जिसे वर्तमान में सौभाग्य योजना के नाम से जाना जाता है। 
  • इसके अतिरिक्त यह योजना मुख्य रूप से फीडर अलगाव, उप-संचरण, वितरण नेटवर्क में सुधार और नुकसान को कम करने के लिये मीटरिंग इत्यादि पर केंद्रित है।
  • इन सभी योजनाओं ने ग्रामीण विद्युतीकरण में काफी सहायता की है और अब केवल कुछ गाँव बाकी हैं जिनमें अभी तक 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका है। 
  • नवीनतम सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, केवल 910 गाँवों को विद्युतीकृत नहीं किया गया है, जो कि अप्रैल 2015 की स्थिति के अनुसार भारत के कुल गैर-विद्युतीकृत गाँवों का लगभग 5 प्रतिशत ही है। इनमें निर्वासित गाँवों (uninhabited villages) को शामिल नहीं किया गया है। 
  • हालाँकि, ग्रामीण घरेलू विद्युतीकरण का प्रदर्शन उत्साहवर्द्धक नहीं है। लगभग 35 मिलियन घरों का अभी तक विद्युतीकरण नहीं किया गया हैं जो कि कुल ग्रामीण घरों का लगभग 11 प्रतिशत है।
  • ग्रामीण विद्युतीकरण की सफलता को केवल कनेक्शन के आधार पर ही नहीं मापा जाना चाहिये, बल्कि चरम घंटों (peak hours) के दौरान विश्वसनीय और गुणवत्तापरक  बिजली आपूर्ति के प्रावधान के आधार पर भी मापा जाना चाहिये। लेकिन, अभी भी भारत के ग्रामीण परिवारों द्वारा लगातार इन दोनों समस्याओं का सामना किया जा रहा हैं। 
  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के अनुसार "ऊर्जा प्लस" दृष्टिकोण की सिफारिश की गई। बिजली की आपूर्ति प्रकाश व्यवस्था के लिये आवश्यक है, लेकिन यह ग्रामीण आजीविका विकास के लिये पर्याप्त नहीं है। यह ढाँचा निर्माण आय उत्पादन और आजीविका सुनिश्चित करने के लिये बिजली के उत्पादन एवं उपयोग के साथ संयोजन करते हुए ऊर्जा पहुँच पर ज़ोर देता है।
  • हालाँकि, बिजली का उपयोग करने के लिये बिजली की बाज़ार में उपलब्धता, बिजली उत्पादन के लिये वित्तीय और तकनीकी सहायता की अपेक्षा उपभोक्ताओं के पास आवश्यक आय का होना और बिजली के उपकरणों का स्वामित्व होना अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । 
  • बिजली का उपभोग उपकरणों के स्वामित्व, उपभोक्ताओं की घरेलू आर्थिक स्थिति एवं बिजली की उपलब्धता और गुणवत्ता पर निर्भर करता है। इससे यह समस्या और भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है। 
  • इसके अलावा, घर पर एवं आय पैदा करने वाली गतिविधियों तक ऊर्जा की बहुत कम मात्रा में पहुँच गरीबी, कम उत्पादकता, अत्यधिक कार्यभार, महिलाओं से संबंधित सुरक्षा मुद्दों, बेहतर शैक्षणिक अवसरों का अभाव और उच्च स्वास्थ्य संबंधित जोखिमों के साथ जुड़ी हुई है।
  • ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति की लागत भी काफी अधिक है। चूँकि अधिकांश ग्रामीण परिवार उच्च लागत वाली बिजली की आपूर्ति को क्रय नहीं कर सकते हैं, इसलिये आपूर्तिकर्त्ता भी इन क्षेत्रों में आवश्यक गुणवत्ता और बिजली की पर्याप्त मात्रा की आपूर्ति करने के लिये इच्छुक नहीं हैं। 
  • बिजली उत्पादन/ खरीद के मामले, बिजली क्षमता में वृद्धि एवं वितरण संबंधित बाधाओं के मुद्दे से अलग हैं। 
  • हालाँकि, स्थानीय स्व-सहायता समूहों की सहायता से स्मार्ट मीटर, आधारभूत संरचना विकास, फ़्रैंचाइजी व्यवस्था जैसे कुछ उचित उपायों को लागू करके अधिक प्रभावी बिलिंग, निगरानी और संग्रह व्यवस्था के द्वारा कुछ हद तक स्थिति में सुधार किया जा सकता है ।
  • हाल ही में इन समस्याओं का समाधान करने के लिये ‘सौभाग्य योजना’ शुरू की गई है। 
  • इसका उद्देश्य पूरे भारत में ही दिसंबर तक ग्रामीण और शहरी इलाकों में 40 मिलियन से अधिक परिवारों को बिजली कनेक्शन प्रदान कर पर्यावरण संरक्षण, सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा और कनेक्टिविटी में सुधार करना है। 
  • राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड की पहुँच से बाहर वाले परिवारों को ग्रामीण विद्युतीकरण निगम नोडल एजेंसी की सहायता से बैटरी बैंकों के साथ सौर ऊर्जा पैक प्रदान किये जाने का प्रस्ताव है।
  • भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है।
  • सौभाग्य योजना भारत की वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद करेगी। इसके साथ ही यह  प्रकाश के लिये केरोसिन की जगह बिजली को प्रतिस्थापित करेगी। 
  • इससे साथ ही यह आर्थिक गतिविधियों को बढा़वा देकर और रोज़गार सृजन के द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और कनेक्टिविटी में सुधार करने में मदद करेगी।
  • पी.सी. मैथानी और डी. गुप्ता ने अपनी पुस्तक ‘अचीविंग यूनिवर्सल एनर्जी एक्सेस इन इंडिया: चैलेंज एंड द वे फॉरवर्ड’ में तर्क दिया है कि 16% वैश्विक आबादी होने के बावजूद, वैश्विक ऊर्जा उपयोग में भारत का हिस्सा केवल 4.2% और वैश्विक बिजली खपत में भारत का हिस्सा 3.5% है।
  • ऊर्जा की न्यूनता अथवा गरीबी महिलाओं और लड़कियों को अधिक प्रभावित करती है क्योंकि उन्हें लकड़ी एकत्रित करने, खाना पकाने और अन्य घरेलू कामों की प्राथमिक ज़िम्मेदारी उठानी पड़ती है। ये सब कार्य उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं और उनके घरेलू कार्यों  और प्रजनन बोझ को बढ़ाते हैं। 
  • इस प्रकार, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में ग्रामीण विद्युतीकरण की भूमिका का पता लगाने की भी आवश्यकता है, जो कि महिला सशक्तीकरण के साथ समावेशी विकास और सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का एक अभिन्न हिस्सा है।
  • वर्तमान में, विकास कार्यक्रम महिला शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर, वित्त तक महिलाओं की पहुँच सुनिश्चित करके और कौशल विकास कार्यक्रर्मों तक महिलाओं की पहुँच सुनिश्चित करके, महिलाओं को उद्यमिता आदि के लिये प्रोत्साहन प्रदान करके लिंग समानता में वृद्धि कर सकते हैं। 
  • हालाँकि, भारत में किसी भी ऊर्जा पहुँच कार्यक्रम में लिंग समानता के लक्ष्य को हासिल करने को शामिल नहीं किया है। 
  • चूँकि भारत वर्तमान में एसडीजी की उपलब्धि पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। महिला केंद्रित ऊर्जा पहुँच कार्यक्रम विभिन्न एसडीजी जैसे लक्ष्य 1 (गरीबी को समाप्त करना), लक्ष्य 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण), लक्ष्य 5 (लिंग समानता) और लक्ष्य 7 (सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा) की उपलब्धियों को प्राप्त करने  में अधिक प्रभावी ढंग से योगदान देगा। 

सौभाग्य योजना

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 31 दिसंबर, 2018 तक देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 4 करोड़ से अधिक परिवारों को बिजली कनेक्शन प्रदान करने के लिये प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना 'सौभाग्य' (Pradhan Mantri Sahaj Bijli Har Ghar Yojana ‘Saubhagya) का शुभारंभ किया गया।
  • इस योज़ना की कुल लागत 16,320 करोड़ रुपए है।  केंद्र सरकार इस योज़ना के लिये राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को बड़े स्तर पर वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
  • बजट 2018-19 में इस योज़ना के तहत 4 करोड़ घरों का विधुतीकरण  करने का लक्ष्य रखा गया है।

योजना के लाभ

  • देश के सभी घरों तक बिजली की पहुँच सुनिश्चित की जाएगी। 
  • प्रकाश प्रयोजन के लिए उपयोग होने वाले मिट्टी के तेल (केरोसिन) के प्रतिस्थापन (Substitution) से पर्यावरण उन्नयन।
  • हर समय बिजली उपलब्ध होने से शैक्षिक एवं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा। 
  • रेडियो, टेलीविज़न, मोबाइल आदि के माध्यम से परस्पर जुडाव में वृद्धि होगी।
  • आर्थिक गतिविधियों और रोज़गार के अवसरों में वृद्धि होगी। 
  • महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार होगा एवं इससे विशेष रूप से महिलाओं को दैनिक कार्यों में बहुत सुविधा प्राप्त होगी।

क्रियान्वयन 

  • योजना के अंतर्गत नि:शुल्क बिजली कनेक्शन के लिये लाभकर्त्ता का चयन वर्ष 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना ( SECC) के आधार पर किया जाएगा। 
  • इसके साथ ही सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना के तहत बिना बिजली वाले घरों में भी मात्र 500 रुपए के भुगतान द्वारा कनेक्शन प्रदान किये जाएंगे।
  • यह राशि बिजली बिल की 10 किस्तों में वापस की जाएगी। 
  • दुर्गम और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में बिना बिजली वाले घरों में बैटरी बैंक सहित 200 से 300 डब्ल्यू पी वाले सौर पैक प्रदान किये जाएंगे। इसमें 5 एलईडी लाइट, एक डीसी पंखा और एक डीसी पॉवर प्लग सम्मिलित है।   
  • ग्रामीण विद्युतीकरण कार्पोरेशन (REC) देश भर में योज़ना के संचालन के लिये नोडल एजेंसी होगी।
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