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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-सिंगापुर द्वारा DTAA के तीसरे प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर

  • 03 Jan 2017
  • 7 min read

पृष्ठभूमि 

हाल ही में, भारत और सिंगापुर  ने कर तथा अन्य आर्थिक सूचनाओं के आदान-प्रदान और साझेदारी के प्रावधानों को दुरुस्त करने के लिये दोहरे कराधान से बचाव संबंधी समझौते (Double Taxation Avoidance Agreement-DTAA)  के तीसरे प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये हैं|

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • आय पर करों के संबंध में दोहरे कराधान और राजकोषीय अपवंचन की रोकथाम के  लिये भारत और सिंगापुर ने एक तीसरे प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करके  दोहरे कराधान से बचाव संबंधी समझौते (डीटीएए) में संशोधन किया है|  
  • संशोधन के अंतर्गत भारत ने राजस्व की हानि और काले धन को वापस लाने संबंधी समस्याओं के हल के रूप में जानकारी के आदान-प्रदान को स्वतःआधारित बनाने पर ज़ोर दिया है|
  • इससे पहले 10 मई, 2016  को भारत ने मॉरीशस के साथ अपने तीन दशक पुराने कर समझौते में संशोधन पर हस्ताक्षर किये थे, जिससे भारत को मॉरीशस रूट से आने वाले निवेश पर पूंजीगत लाभ कर लगाने का अधिकार मिल गया है। 
  • वस्तुतः इसी प्रकार के समझौते साइप्रस (18 नवंबर, 2016) और स्विट्ज़रलैंड  के साथ भी किये गए हैं|
  • सितम्बर 2019 से भारत के लिये यह संभव हो जाएगा कि वह स्विट्ज़रलैंड में रहने वाले भारतीयों के 2018 और इसके बाद के वर्षो में उपलब्ध खातों की वित्तीय जानकारी स्वतः आधार पर प्राप्त कर सकेगा|
  • गौरतलब है कि मानक लेखा प्रक्रियाओं द्वारा कर पारदर्शिता को सुधारने के उद्देश्य से आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के सदस्य देशों के साथ दो दशक लंबी वार्ताओं के बाद यह समझौता संपन्न हो पाया।
  • भारत सहित दुनियाभर के 101 देश इस समझौते को लेकर प्रतिबद्ध हैं| 
  • ओईसीडी नियमावली के अनुसार, इन सभी 101 देशों के बैंक दूसरे देशों के लोगों की पहचान करके उनसे जुड़ी जानकारियाँ संबंधित देशों के कर विभागों को उपलब्ध कराएंगे। 
  • यह सूचना अन्य देशों के साथ हर साल साझा की जाएगी। 
  • इसके तहत लोगों के बैंक खातों, खातों से संबंधित ब्योरे, खाते में अर्जित आय और खाताधारक की पहचान से संबंधित जानकारियाँ स्वत: साझा की जाएंगी।
  • पहचान सूचना में नाम, पता और कर पहचान संख्या (जैसे कि भारत में निजी खाता संख्या, पैन का चलन है) शामिल हैं। 
  • इस प्रक्रिया में शामिल देशों को दो श्रेणियों में बाँटा गया है- वेव 1 और वेव 2 श्रेणी के देश। वेव 1 में वे देश शामिल हैं, जो सूचनाओं का आदान-प्रदान वर्ष 2017 से ही करना शुरू कर देंगे।
  • वर्ष 2018 से सूचनाओं का आदान-प्रदान शुरू करने वाले देश वेव 2 श्रेणी में शामिल हैं। 
  • भारत एवं स्विट्ज़रलैंड के बीच सूचनाओं के स्वतः आदान-प्रदान (Automatic Exchange of Information – AEOI) हेतु जो समझौता हुआ है, वह इसी रूप में अस्तित्व में आएगा। हालाँकि,  भारत वेव 1 देशों की सूची में शामिल है, लेकिन स्विट्ज़रलैंड वेव 2 श्रेणी वाला देश है। 
  • वेव 2 देशों की सूची में पनामा, बहामास, कोस्टा रिका, मोनाको, सेंट किट्स ऐंड नेविस, मॉरीशस, सिंगापुर, हांगकांग जैसे ऐसे देश शामिल हैं, जिन्हें आमतौर पर कर ऐशगाह (Tax Heaven) माना जाता है, यहाँ लोग कर चोरी से बचाए गए अपने काले धन को जमा करते हैं।
  • मॉरीशस और सिंगापुर से भारत के पूंजी बाज़ार में विदेशी निवेश का बड़ा हिस्सा आता है।
  • भारत और सिंगापुर द्वारा हस्ताक्षरित डीटीएए का यह तीसरा प्रोटोकाल संशोधन कम्पनी में शेयरों के हस्तांतरण पर उत्पन्न पूंजी को स्रोत आधारित कराधान प्रदान करने के लिये 1 अप्रेल, 2017 से लागू होगा|
  • वर्तमान में भारत-सिंगापुर डीटीएए, एक कंपनी में शेयरों के पूंजीगत लाभ के लिये निवास आधारित कराधान प्रदान करता है|
  • 2019 से सिंगापुर भारतियों द्वारा किये गए निवेश की जानकारी भारत को देगा| इससे कर चोरी के माध्यमों को बंद किया जा सकता है| 
  • काले धन की समस्या से निजात दिलाने के साथ-साथ यह प्रोटोकॉल अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर सूचना के आदान-प्रदान से संबंधित प्रावधानों को अद्यतन करता है।
  • इसके लागू होने से अप्रैल 2017 के पश्चात् भारत में होने वाले निवेश के अंतर्गत शेयरों पर पूंजीगत लाभ के लिये स्रोत आधारित कराधान में सहूलियत होगी| 
  • इस प्रोटोकॉल के तहत अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन करते हुए भारत के लिये अनुकूल स्थितियों के अनुसार ज़्यादा अद्यतन प्रावधान प्रभाव में आएंगे|  

निष्कर्ष

डीटीएए संशोधन के इस प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये जाने से भारत और सिंगापुर के बीच कर स्थिरता सुनिश्चित होगी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, इससे दोनों देशों के बीच पारदर्शिता के साथ ही निवेश, प्रौद्योगिकी एवं सेवाओं का प्रवाह बढ़ेगा।

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