उच्चतम न्यायालय ने बजट की तिथि में परिवर्तन करने सम्बन्धी याचिका को ख़ारिज किया | 24 Jan 2017
सन्दर्भ :
केंद्र सरकार के 1 फरवरी को बजट पेश करने के खिलाफ दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है | अगले महीने से 5 राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए, 1 फरवरी को आम बजट पेश करने को लेकर लगातार केंद्र सरकार का विरोध हो रहा था|
पृष्ठभूमि :
- मोदी सरकार ने आम बजट एक फरवरी को पेश किए जाने की घोषणा की है।
- गौरतलब है, कि आम बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख को पेश होता है। लेकिन इस बार (2017-18) के वित्तीय वर्ष के लिए मोदी सरकार ने बजट को 1 फरवरी को पेश करने का फैसला लिया था। साथ ही, केंद्र सरकार ने रेल बजट के आम बजट में विलय का फैसला लिया था, जिसे राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति दे दी गई थी ।
- अगले महीने से 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए 1 फरवरी को आम बजट पेश करने को लेकर लगातार केंद्रीय सरकार का विरोध हो रहा था |
- चार फ़रवरी से आठ मार्च के बीच उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, पंजाब और गोवा राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं |
- ध्यातव्य है, कि राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीख घोषित होने के पश्चात् सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें 1 फरवरी को बजट पेश करने से रोकने की गुहार लगाई गई थी । याचिका में कहा गया था कि राज्यों होने वाले चुनावों को मद्देनजर रखते हुए सरकार को 1 फरवरी को बजट पेश करने से रोका जाना चाहिए |
- विदित हो, कि इस निर्णय से पूर्व- जनवरी के पहले सप्ताह में ही, उच्चतम न्यायालय ने पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले 2017-18 का आम बजट पेश नहीं किए जाने संबंधी याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया था |
- इस सन्दर्भ में, मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बजट को स्थगित किए जाने हेतु दायर याचिका पर कहा था कि इस पर उचित समय आने पर विचार किया जाएगा, किन्तु अभी नहीं ।
- अधिवक्ता एम एल शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा था कि इस मामले में सुनवाई तुरन्त करने की कोई जरूरत नहीं है | जब यह याचिका सामने आयेगी तो कानून के अनुसार इस पर विचार किया जाएगा |
- 23 जनवरी 2017 को उच्चतम न्यायालय ने याचिका को ख़ारिज कर दिया है |
बजट पर विपक्ष का विरोध :
- उल्लेखनीय है, कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने आम बजट विधानसभा चुनावों के बाद पेश किए जाने की मांग की थी । विपक्षी दल भी 1 फरवरी को बजट पेश किए जाने का विरोध कर रहे थे | उनका कहना था कि लोकलुभावन बजट पेश करके केंद्र चुनावों पर असर डाल सकता है इसलिए बजट को 1 फरवरी के बाद पेश किया जाना चाहिए |
- पाँच राज्यों में 4 फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा चुनावों से ठीक 3 दिन पहले आम बजट की प्रस्तुति को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग में भी अपना विरोध दर्ज कराया था |
- विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे केंद्र की सरकार को फायदा हो सकता है |
- कई विपक्षी दलों के नेता, बजट को चुनाव बाद पेश किए जाने की अपनी मांग को लेकर 5 जनवरी 2017 को मामले को लेकर चुनाव आयोग भी पहुँचे थे और मांग की थी, कि बजट को चुनाव के बाद प्रस्तुत किया जाये |
सत्तारूढ़ दल का पक्ष :
केन्द्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बजट पेश करने को लेकर विपक्ष की आपत्तियों पर कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं है ।
भाजपा का कहना है कि विपक्ष सरकार के संवैधानिक कर्तव्यों को लेकर राजनीति कर रहा है । पार्टी का कहना है कि बजट पेश करना सरकार का संवैधानिक दायित्व है और यह किसी एक राज्य से जुड़ा हुआ नहीं है। बजट पेश करने का निर्णय कोई अचानक नहीं लिया गया है । सभी पक्षों को सूचित करने के बाद यह निर्णय लिया गया है ।
चुनाव आयोग का निर्णय :
- चुनाव आयोग ने भी 23 जनवरी को केंद्र सरकार को आम बजट एक फ़रवरी को पेश करने को हरी झंडी दे दी है | हालाँकि आयोग ने ये हिदायत भी दी है कि बजट में विधानसभा चुनाव वाले पांच राज्यों जुड़ी किसी योजना का एलान न किया जाए |
- चुनाव आयोग ने ये भी हिदायत दी है कि वित्त मंत्री बजट प्रस्तुत करते हुए इस बात का ख्याल रखें कि चुनाव वाले राज्यों में केंद्र सरकार की उपलब्धियों का ज़िक्र न हो |
- चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से 2009-10 के उस परामर्श का भी ज़िक्र किया जिसमें चुनाव से पहले पूर्ण बजट की बजाय ‘वोट ऑन अकाउंट’ की बात कही गई थी |
- चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव से कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव तथा सबके साथ न्याय के लिए आयोग ये निर्देश देता है कि चुनाव वाले राज्यों से जुड़ी किसी योजना की घोषणा न की जाए, जिसका असर पाँच राज्यों के मतदाताओं को प्रभावित करने में हो सकता है |
उच्चतम न्यायालय का निर्णय :
- पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस खेहर ने याचिकाकर्ता से सवाल किया था कि आप बताइए कि सरकार ने इस मामले में कौन से कानून का उल्लंघन किया है ? संविधान के कौन से प्रावधान का उल्लंघन है? अगर कोई आधार मिला तो कोर्ट नोटिस जारी कर सकता है |
- कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता एक उदाहरण देकर बताए कि केंद्र के बजट से किसी राज्य के नागरिक के मन में चुनाव के हिसाब से क्या असर पड़ सकता है?
- केंद्र सरकार के 1 फरवरी को बजट पेश करने के खिलाफ दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है |
- कोर्ट ने कहा कि मामले में हस्तक्षेप करने का कानून में कोई प्रस्ताव नहीं है |
- साथ ही, याचिकाकर्ता ये भी नहीं बता पाए कि यह कौन से कानून या संविधान के प्रावधान का उल्लंघन है |
- कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि 1 फरवरी को बजट पेश किये जाने से राज्यों के चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला ।