मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 | 20 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को अधिक समावेशी और कुशल बनाने हेतु लोकसभा ने मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 [The Protection of Human Rights (Amendment) Bill] पारित किया है।
प्रमुख बिंदु
- हालिया संशोधन के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त किसी ऐसे व्यक्ति को भी आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो।
- राज्य आयोग के सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 2 से 3 किया जाएगा, जिसमे एक महिला सदस्य भी होगी।
- मानवाधिकार आयोग में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और दिव्यांगजनों संबंधी मुख्य आयुक्त को भी सदस्यों के रूप में सम्मिलित किया जा सकेगा।
- राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों के कार्यकाल की अवधि को 5 वर्ष से कम करके 3 वर्ष किया जाएगा और वे पुनर्नियुक्ति के भी पात्र होंगे।
मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग और मानवाधिकार न्यायालयों के गठन की व्यवस्था करता है।
संशोधन से क्या लाभ होंगे?
पेरिस सिद्धांत (Paris Principles) के आधार पर इस प्रस्तावित संशोधन से राष्ट्रीय आयोग के साथ-साथ राज्य आयोगों को भी स्वायत्तता, स्वतंत्रता, बहुलवाद और मानव अधिकारों के प्रभावी संरक्षण तथा उनका संवर्द्धन करने हेतु बल मिलेगा।
पेरिस सिद्धांत (Paris Principles)
- 20 दिसंबर, 1993 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु पेरिस सिद्धांतों को अपनाया था।
- इसने दुनिया के सभी देशों को राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाएँ स्थापित करने के लिये निर्देश दिये थे।
- पेरिस सिद्धांतों के अनुसार, मानवाधिकार आयोग एक स्वायत्त एवं स्वतंत्र संस्था होगी।
- यह शिक्षा, मीडिया, प्रकाशन, प्रशिक्षण आदि माध्यमों से मानव अधिकारों को भी बढ़ावा देता हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission-NHRC) एक स्वतंत्र वैधानिक संस्था है, जिसकी स्थापना मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्तूबर, 1993 को की गई थी।
- मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- यह संविधान द्वारा दिये गए मानवाधिकारों जैसे- जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार और समानता का अधिकार आदि की रक्षा करता है और उनके प्रहरी के रूप में कार्य करता है।