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टॉक्सिक एयर: द प्राइस ऑफ फॉसिल फ्यूल रिपोर्ट

  • 15 Feb 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

जीवाश्म ईंधन, वायु प्रदूषण एवं प्रदूषक, वायु प्रदूषण पर ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया की रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

वायु प्रदूषण से संबंधित मुद्दे, नवीकरणीय ऊर्जा बेहतर भविष्य का विकल्प, जीवाश्म ईंधन की उपयोगिता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया (Greenpeace Southeast Asia) नामक संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें जीवाश्म ईंधन के उपयोग के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से नुकसान की लागत का आकलन किया गया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु:

  • ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया एवं सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (Centre for Research on Energy and Clean Air- CREA) ने “टॉक्सिक एयर: द प्राइस ऑफ फॉसिल फ्यूल (Toxic Air: The Price of Fossil Fuels)” नामक रिपोर्ट में तेल, गैस और कोयले से होने वाले वायु प्रदूषण से नुकसान का आकलन किया है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान की वैश्विक लागत प्रतिवर्ष लगभग 2.9 ट्रिलियन डॉलर या प्रतिदिन 8 बिलियन डॉलर है। ध्यातव्य है कि यह लागत वैश्विक जीडीपी (Global GDP) का लगभग 3.3% है।
  • वायु प्रदूषण से प्रतिवर्ष होने वाले नुकसान की लागत चीन में लगभग 900 बिलियन डॉलर तथा अमेरिका में 600 बिलियन डॉलर है।
  • भारत में वायु प्रदूषण से प्रतिवर्ष होने वाले नुकसान की लागत लगभग 150 बिलियन डॉलर या देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5.4 % है। ध्यातव्य है कि वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान की लागत के मामले में भारत चीन व अमेरिका के बाद तीसरे पायदान पर है।
  • वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण के कारण हर साल 4.5 मिलियन लोगों की अकाल मृत्यु होने का अनुमान है। वैश्विक स्तर पर PM2.5 के कारण लगभग 3 मिलियन मौतें होती हैं, जो दिल्ली सहित उत्तरी भारतीय शहरों में प्रमुख प्रदूषकों में से एक है।

Fossil_fuels

  • जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न PM 2.5 और ओज़ोन से प्रतिवर्ष 7.7 मिलियन लोग में अस्थमा से पीड़ित होते हैं, जबकि केवल PM 2.5 के कारण लगभग 2.7 मिलियन लोग अस्थमा से प्रभावित होते हैं।
  • वायु प्रदूषण कम आय वाले देशों में बच्चों के स्वास्थ्य के लिये एक बड़ा खतरा है। ध्यातव्य है कि PM2.5 प्रदूषक के संपर्क में आने के कारण दुनिया भर में अनुमानतः 40,000 बच्चे अपने पाँचवें जन्मदिन से पहले मर जाते हैं।
  • PM 2.5 के कारण प्रत्येक वर्ष लगभग 2 मिलियन बच्चों का जन्म समय से पहले या अपरिपक्व अवस्था में होता है। गौरतलब है कि इन 2 मिलियन अपरिपक्व बच्चों में लगभग 981,000 बच्चों का जन्म भारत में और लगभग 350,000 से अधिक बच्चों का जन्म चीन में होता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) भी बच्चों में अस्थमा के लगभग 350,000 नए मामलों का कारण है। ध्यातव्य है कि NO2 जीवाश्म ईधन के दहन से निकलने वाला उप-उत्पाद है और NO2 से वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगभग 350 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जीवाश्म ईंधन के उपयोग के कारण होने वाला वायु प्रदूषण लगभग 490 मिलियन कार्य दिवसों के नुकसान का कारण है।

लागत को कम करने के उपाय

  • जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर नवीकरणीय ऊर्जा की ओर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। ध्यातव्य है कि नवीकरणीय और स्वच्छ ऊर्जा-संचालित जन परिवहन प्रणाली न केवल विषाक्त वायु प्रदूषण को कम करती है, बल्कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करने के लिये भी महत्त्वपूर्ण है।
  • ध्यातव्य है कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को इतनी जल्दी कम नहीं किया जा सकता है, इसलिये जब तक पूर्ण रूप से नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग संभव न हो तब तक जीवाश्म ईंधन से प्राप्त ऊर्जा के दुरुपयोग को कम करके एवं ऊर्जा संरक्षण के अन्य उपायों के माध्यम से भी जीवाश्म ईंधन की खपत को कम किया जा सकता है।
  • इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य संबंधी अवसंरचनाओं को भी सुदृढ़ किये जाने की आवश्यकता है।

आगे की राह

  • जीवाश्म ईंधन के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने हेतु वैश्विक स्तर पर विकसित एवं विकासशील देशों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। साथ ही जलवायु परिवर्तन पर पेरिस सम्मेलन के दिशा-निर्देशों के अनुसार वैश्विक एवं राष्ट्रीय नीतियाँ बनाई जानी चाहिये।
  • वायु प्रदूषण एवं इसके दुष्प्रभावों तथा ऊर्जा संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक किये जाने की आवश्यकता है, ताकि सैद्धांतिक रूप से ही नहीं बल्कि वास्तविक रूप से भी वायु प्रदूषण को कम किया जा सके।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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