पालघाट दर्रा | 17 May 2023
पालघाट दर्रा जिसे अक्सर पश्चिमी घाटों में एक महत्त्वपूर्ण विच्छिन्नता कहा जाता है, लगभग 40 किमी. चौड़ा एक अद्भुत भौगोलिक क्षेत्र है, जो नीलगिरि और अन्नामलाई पहाड़ियों को अलग करता है, दोनों की ऊँचाई समुद्र तल से 2,000 मीटर है।
पालघाट दर्रा का महत्त्व:
- उत्पत्ति और गठन: गोंडवाना भू-भाग से ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के विभाजन के बाद महाद्वीपीय तल खिसकने लगे, जिससे पालघाट दर्रे की उत्पत्ति हुई।
- इस दर्रा का निर्माण भारत और मेडागास्कर के विभाजन के कारण लगभग 100 मिलियन वर्ष पूर्व हुआ।
- वनस्पति: पश्चिमी घाट के उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के विपरीत पालघाट दर्रा में वनस्पति को शुष्क सदाबहार वन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- महत्त्व:
- ऐतिहासिक:
- केरल का प्रवेश बिंदु: केरल में एक महत्त्वपूर्ण प्रवेश बिंदु के रूप में पालघाट दर्रा का ऐतिहासिक महत्त्व रहा है, जो कोयम्बटूर और पलक्कड़ के बीच सड़क और रेल मार्ग की सुविधा प्रदान करता है।
- साथ ही भरतपुझा नदी पालघाट दर्रा से होकर बहती है जिससे परिवहन मार्ग के रूप में इसका महत्त्व बढ़ जाता है।
- केरल का प्रवेश बिंदु: केरल में एक महत्त्वपूर्ण प्रवेश बिंदु के रूप में पालघाट दर्रा का ऐतिहासिक महत्त्व रहा है, जो कोयम्बटूर और पलक्कड़ के बीच सड़क और रेल मार्ग की सुविधा प्रदान करता है।
- भौगोलिक:
- अपरूपण क्षेत्र: पालघाट दर्रा एक भूवैज्ञानिक अपरूपण क्षेत्र है जो पूर्व से पश्चिम की ओर है और यह पृथ्वी की भू-पर्पटी में एक कमज़ोर क्षेत्र है।
- इस भूवैज्ञानिक विशेषता से कोयंबटूर क्षेत्र में कभी-कभी आने वाले भूकंपों के विषय में जानकारी मिलती है।
- जलवायु: पालघाट दर्रा के उत्तर में उत्तरी-पश्चिमी घाटों में वार्षिक वर्षा अधिक होती है, जबकि दक्षिणी-पश्चिमी घाटों में वर्ष भर अधिक समान रूप से वर्षा होती है।
- अपरूपण क्षेत्र: पालघाट दर्रा एक भूवैज्ञानिक अपरूपण क्षेत्र है जो पूर्व से पश्चिम की ओर है और यह पृथ्वी की भू-पर्पटी में एक कमज़ोर क्षेत्र है।
- पारिस्थितिक:
- जैव-भौगोलिक अंतर: ऐसा माना जाता है कि पालघाट दर्रा के दोनों ओर की विशिष्ट वनस्पतियाँ और जीव प्राचीन नदी प्रणालियों अथवा समुद्री जल का तटीय क्षेत्रों में प्रवेश का परिणाम हैं।
- आनुवंशिक विविधताएँ: आनुवंशिक अध्ययनों से पता चला है कि अन्नामलाई और पेरियार अभयारण्यों की तुलना में नीलगिरि के किनारे पाई जाने वाली हाथियों की आबादी के माइटोकॉन्ड्रियल DNA में अंतर है।
- पक्षी प्रजाति भिन्नता: IISc बंगलूरू द्वारा किये गए शोध में व्हाइट-बेल्ड शॉर्टविंग, एक स्थानिक और खतरे वाली पक्षी प्रजातियों में आनुवंशिक भिन्नता पर प्रकाश डाला गया है।
- नीलगिरि ब्लू रॉबिन और व्हाइट-बेल्ड ब्लू रॉबिन आबादी ऊटी और अन्नामलाई पहाड़ियों के आसपास अपने स्थान के आधार पर उपस्थिति में मामूली भिन्नता प्रदर्शित करती है।
- प्रजाति समृद्धि और फाइलोजेनेटिक विविधता: हैदराबाद स्थित CCMB और अन्य संस्थानों के समूहों द्वारा हाल ही में किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि पालघाट दर्रा के दक्षिण में स्थित पश्चिमी घाट के दक्षिणी क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में प्रजातीय समृद्धता और फाइलोजेनेटिक विविधता पाई जाती है।
- इस क्षेत्र में 450 से अधिक वृक्ष प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें मैगनोलिया चम्पाका (चंपा; तमिल: सांबागन) जैसी प्राचीन प्रजातियाँ शामिल हैं, यह 130 मिलियन वर्षों से अधिक समय से समृद्ध है।
- ऐतिहासिक:
- अन्य दर्रा:
- थालघाट (मुंबई और नासिक)
- भोरघाट (मुंबई और पुणे)
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