शासन व्यवस्था
नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक, 2019
- 24 Jul 2019
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत में मध्यस्थता के बेहतर प्रबंधन हेतु एक स्वायत्त और स्वतंत्र संस्था स्थापित करने के उद्देश्य से लोकसभा में नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (New Delhi International Arbitration Centre) विधेयक, 2019 पेश किया गया। विधेयक के प्रावधान 2 मार्च, 2019 से प्रभावी होंगे।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ:
- नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (NDIAC): इस विधेयक के माध्यम से NDIAC को मध्यस्थता (Arbitration), बीच-बचाव(Mediation) और सुलह कार्यवाही की शक्तियाँ प्रदान की जाएगी।
- यह विधेयक NDIAC को राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान भी घोषित करता है।
- वैकल्पिक विवाद के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र संकल्प (International Centre for Alternative Dispute Resolution-ICADR): ICADR एक पंजीकृत सोसायटी है, जो वैकल्पिक विवाद समाधान (जैसे मध्यस्थता और बीच-बचाव) आदि के संकल्पों को बढ़ावा देता है।
- यह विधेयक मौजूदा ICADR को केंद्र सरकार को स्थानांतरित करता है। केंद्र सरकार की अधिसूचना पर ICADR के सभी अधिकार, शीर्षक और रूझान NDIAC को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
- संरचना (Composition): विधेयक के तहत NDIAC सात सदस्यों से मिलकर बना होगा। इसकी अध्यक्षता उच्चतम या उच्च न्यायालय का न्यायाधीश करेगा जिसके पास मध्यस्थता से संबंधित विशेष ज्ञान और अनुभव होना चाहिये।
- इसके अतिरिक्त मध्यस्थता से संबंधित पैनल में मध्यस्थता का विशेष ज्ञान रखने वाले दो सदस्य, तीन नामित सदस्य (जिसमें से एक सदस्य वित्त मंत्रालय से होगा और NDIAC की देख-रेख करने वाला मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल होगा) और उद्योग और वाणिज्य विभाग का एक अंशकालिक सदस्य होगा।
- अवधि और सेवानिवृति: NDIAC के सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा। साथ ही ये पुनर्नियुक्ति के पात्र भी होंगे।
- अध्यक्ष के लिये सेवानिवृत्ति की आयु 70 वर्ष की होगी जबकि अन्य सदस्यों की सेवानिवृत्ति आयु 67 वर्ष होगी।
- NDIAC के उद्देश्य और कार्य: NDIAC का मुख्य उद्देश्य अनुसंधान को बढ़ावा देना, प्रशिक्षण प्रदान करना, वैकल्पिक विवाद समाधान के मामले के लिये सम्मेलनों तथा सेमिनारों का आयोजन करना, मध्यस्थता तथा सुलह की कार्यवाही हेतु संचालन सुविधा प्रदान करना आदि है।
- NDIAC का प्रमुख कार्य मध्यस्थता को लागत प्रभावी और पेशेवर तरीके से सुगम बनाना है।
- वित्त और लेखा परीक्षा (Audit): NDIAC के तहत एक फंड बनाया जाएगा। इसमें केंद्र से प्राप्त अनुदान, NDIAC गतिविधियों से एकत्र की गई फीस और अन्य स्रोतों से प्राप्त धन को एकत्र किया जाएगा।
- संस्थागत समर्थन: विधेयक यह स्पष्ट करता है कि NDIAC एक चैंबर की स्थापना करेगा चैम्बर मध्यस्थता से संबंधित उपरोक्त पैनल की देख-रेख करेगा।
- भविष्य में NDIAC मध्यस्थता में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये एक अकादमी की भी स्थापना करेगा। NDIAC अपने कार्यों का प्रबंधन करने के लिये अन्य समितियों का गठन भी कर सकती है।