भूगोल
खनिज कानून (संशोधन) विधेयक, 2020
- 14 Mar 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:विधेयक संबंधी प्रावधान मेन्स के लिये:खान और खनिज (विकास और विनियम) अधिनियम, 1957 एवं कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 में संशोधन से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्यसभा ने खनिज कानून (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किया है।
प्रमुख बिंदु:
- यह विधेयक खान और खनिज (विकास और विनियम) अधिनियम, 1957 [Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957] तथा कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 [Coal Mines (Special Provisions) Act, 2015] में संशोधन का प्रावधान करता है।
- उपभोग, बिक्री अथवा किसी अन्य उद्देश्य हेतु केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट कोयला खानों की नीलामी में व्यापक भागीदारी की अनुमति दी जा सकेगी।
विधेयक का उद्देश्य
- संशोधित विधेयक में स्पष्ट प्रावधान है कि ऐसी कंपनियाँ जिनके पास भारत में कोयला खनन का अनुभव नहीं है और/अथवा उन्हें अन्य खनिज पदार्थों या अन्य देशों में खनन का अनुभव है, वे कोयला/लिग्नाइट ब्लॉकों की नीलामी में भाग ले सकते हैं।
- इससे न केवल कोयला/लिग्नाइट ब्लॉकों की नीलामी में भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि कोयला क्षेत्र में एफडीआई (FDI) नीति के कार्यान्वयन को सरल बनाया जा सकेगा।
- जो कंपनियाँ “स्पेसीफाइड इंड-यूज़ (Specified end-use)”में शामिल नहीं हैं, वे अनुसूची II और III की कोयला खानों की नीलामी में भाग ले सकती हैं।
- विधेयक में कोयला/लिग्नाइट ब्लॉकों के लिये लाइसेंस और खनन पट्टे (Prospecting Licence-Cum-Mining lease (PL-cum-ML) देने का प्रावधान है, इससे कोयला/लिग्नाइट ब्लॉकों की संख्या बढ़ेगी।
लाइसेंस संबंधी मुद्दे:
- नए पट्टे देने की तारीख से दो साल की अवधि तक के लिये अन्य मंजू़रियों के साथ पर्यावरण और वन मंजू़री स्वतः खनिज ब्लॉकों के नए मालिकों को हस्तांतरित हो जाएगी।
- यह विधेयक नए पट्टा धारक के लिये बगैर किसी समस्या के खनन कार्य जारी रखना सुनिश्चित की अनुमति देगा।
- अवधि खत्म होने से पहले ही, वे दो साल की अतरिक्त अवधि हेतु नए लाइसेंस के लिये आवेदन कर सकते हैं।
- यह सरकार को खनिज ब्लॉकों की नीलामी हेतु अग्रिम कार्रवाई करने में सक्षम बनाएगा ताकि मौजूदा पट्टे की अवधि समाप्त होने से पहले नए पट्टे धारक का फैसला किया जा सके ताकि देश में खनिजों का बाधारहित खनन हो सके।
विधेयक के लाभ:
- इस संशोधन से भारतीय कोयला और खनन क्षेत्र में “कारोबार में सुगमता (Ease of Doing Business)” को बढ़ावा मिलेगा।
- खनिज कानून (संशोधन) विधेयक, 2020 से देश में कोयला उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा एवं आयात पर निर्भरता कम होगी।
कोयले के अंतिम-उपयोग से प्रतिबंध हटाना:
- वर्तमान में नीलामी के माध्यम से अनुसूची II और अनुसूची III के तहत कोयला खानों का अधिग्रहण करने वाली कंपनियाँ केवल बिजली और इस्पात उत्पादन जैसे निर्दिष्ट के अंतिम उपयोगों के लिये कोयले का उपयोग कर सकती है।
- सफल बोलीदाताओं/आवंटियों को अपने किसी भी प्लांट अथवा सहायक कंपनी अथवा नियंत्रक कंपनी (Holding Company) में खनन किये गए कोयले का उपयोग करने का अधिकार होगा।
कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण:
- भारत में कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण वर्ष 1973 में हुआ था।
- कोयला क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के कुछ समय बाद ही 1975 में कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Ltd.) की स्थापना एक होल्डिंग कंपनी के रूप में हुई थी।
खान और खनिज (विकास और विनियम) अधिनियम, 1957:
यह भारत में खनन क्षेत्र को नियंत्रित करता है और खनन कार्यों के लिये खनन लीज़ प्राप्त करने और जारी करने संबंधी नियमों का निर्धारण करता है।
कोयला खान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015:
इस अधिनियम का उद्देश्य कोयला खनन कार्यों में निरंतरता सुनिश्चित करना और कोयला संसाधनों के इष्टतम उपयोग को बढ़ावा देना है, साथ ही प्रतिस्पर्द्धी बोली (Bidding) के आधार पर कोयला खानों के आवंटन में सरकार को सशक्त बनाना है।