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द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ

  • 22 Mar 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2017 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में 2.74 मिलियन नए टीबी मरीज़ों की पुष्टि हुई है जो वर्ष 2016 के 2.79 मिलियन की तुलना में 0.5 मिलियन कम है। जबकि वैश्विक स्तर पर 10 मिलियन नए टीबी मरीज़ों की पुष्टि हुई है।

प्रमुख बिंदु

  • भारत में वर्ष 2017 में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 204 टीबी मरीज़ों की पुष्टि हुई है।
  • भारत ने वर्ष 2025 तक देश से टीबी के पूर्णतया उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है जो कि सतत् विकास लक्ष्य वर्ष 2030 से 5 वर्ष पूर्व प्राप्त किया जाना है।
  • द लैंसेट वैश्विक स्वास्थ्य आर्टिकल के अनुसार, भारत सहित तीन सर्वाधिक प्रभावित देशों में वर्ष 2015 के आँकड़ों के आधार पर टीबी मरीज़ों की संख्या में 2035 तक 57 % कमी तथा इससे होने वाली मृत्यु में 72 % की कमी की संभावना है।

भारत के संदर्भ में

  • देश में औषधि-संवेदनशील व औषधि-प्रतिरोधी टीबी रोग के निदान और उपचार में सुधार की आवश्यकता है।
  • टीबी रोग से ग्रस्त 8 मिलियन मरीज़ों को अगले 30 वर्ष में बचाया जा सकेगा, यदि टीबी से संबंधित जाँच में अनुदान और उपचार पूर्ण करने में आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। टीबी के कारण मौतों से होने वाली आर्थिक हानि 32 बिलियन डॉलर है, जबकि मात्र 290 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता से इन मौतों को बचाया जा सकता है।
  • लैंसेट कमीशन की संस्तुति के अनुसार, भारत को टीबी से संबंधित सेवाओं में सुधार तथा निजी क्षेत्र की संबद्धता से दवा की आपूर्ति के साथ ही द्वितीय श्रेणी की दवाओं हेतु सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2018 में 2.15 मिलियन टीबी के मामले दर्ज किये जा चुके हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में 16 % अधिक हैं।
  • पिछले वर्ष निजी क्षेत्र में 0.54 मिलियन मामले दर्ज किये गए जो की वर्ष 2017 की तुलना में 35% अधिक हैं।

वर्तमान चुनौतियाँ

  • टीबी सेवाओं का प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के साथ एकीकरण किया जाना जिससे उपचार में विलंब को रोका जा सके।
  • कुल टीबी मरीज़ों के 10 % की या तो उपचार से पूर्व ही मृत्यु को हो जाती है या उनका उपचार सही मेडिकल उपचार से पूर्व स्व उपचार के कारण विलंब से होता है। यहाँ तक कि प्राथमिक उपचार में भी 4.1 महीने तक का विलंब हो जाता है।

आगे की राह

  • संक्रमण चक्र के प्रभाव को कम करने के लिये टीबी मरीज़ों की पहचान हेतु राष्ट्रव्यापी अभियान चलाये जाने की आवश्यकता है। 

स्रोत- द हिंदू

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