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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘डीएनए विधेयक’ के महत्त्वपूर्ण प्रावधान

  • 27 Oct 2017
  • 6 min read

संदर्भ

इस वर्ष जुलाई में ही भारत के विधि आयोग ने ‘डीएनए आधारित प्रौद्योगिकी (उपयोग और विनियमन) विधेयक’, 2017 का मसौदा भारत सरकार के समक्ष रखा था।   विधि आयोग का दावा था कि लापता व्यक्तियों, आपदा पीड़ितों की पहचान करने के लिये भारत में कोई उचित कानूनी प्रक्रिया मौजूद नहीं है।   इस डीएनए विधेयक का उद्देश्य डीएनए परीक्षण के लिये मानव की ‘डीएनए प्रोफाइलिंग’(DNA profiling) का नियमन तथा मानक प्रक्रियाओं को स्थापित करना है।  

प्रमुख बिंदु

  • इस मसौदा विधेयक ने पूर्व विधेयक में महत्त्वपूर्ण संशोधन किये और इसमें जाँच के उद्देश्यों तथा लापता व्यक्ति की पहचान करने हेतु ‘डीएनए के नमूनों’(DNA samples) का उपयोग करने के लिये भी विभिन्न उपाय सुझाए गए हैं।  
  • इस विधेयक में एक सांविधिक निकाय (जिसे डीएनए प्रोफाइलिंग बोर्ड कहा जाएगा) और एक ‘डीएनए डाटा बैंक’ के गठन की भी सिफारिश की गई है।   
  • इस विधेयक में राष्ट्रीय व राज्यों में क्षेत्रीय स्तरों पर एक डीएनए डाटा बैंक के गठन की भी सिफारिश की गई है।  

डीएनए प्रोफाइलिंग बोर्ड के कार्य

  • डीएनए प्रयोगशालाओं को स्थापित करने की प्रक्रिया का निर्धारण करना और उनके लिये मानक तय करना तथा ऐसी प्रयोगशालाओं को मान्यता प्रदान करना।  
  • डीएनए प्रयोगशालाओं से संबंधित मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों और विभागों को सलाह देना।  
  • प्रयोगशालाओं के पर्यवेक्षण, निगरानी, निरीक्षण की ज़िम्मेदारी भी इसी बोर्ड की होगी।  
  • यह बोर्ड डीएनए संबंधी मामलों का समाधान करने के लिये पुलिस और अन्य जाँच एजेंसियों को प्रशिक्षण देने हेतु दिशा-निर्देश भी जारी करेगा।  
  • अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप डीएनए परीक्षण से संबंधित मुद्दों पर नैतिक और मानवीय अधिकारों के संबंध में सलाह देना।  
  • यह बोर्ड डीएनए परीक्षण और संबंधित मुद्दों पर अनुसंधान और विकासात्मक गतिविधियों की भी सिफारिश करेगा।  

डाटा बैंक का कार्य

  • यह मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं द्वारा भेजे गए डीएनए प्रोफाइल्स का संग्रहण करेगा और डाटा की विभिन्न श्रेणियों के लिये कुछ सूचकांकों जैसे-अपराध स्थल सूचकांक, संदिग्ध सूचकांक, आपराधिक सूचकांक, गायब व्यक्ति सूचकांक और अज्ञात मृत व्यक्ति सूचकांक का प्रबंधन करेगा।
  • इस प्रकार लापता व्यक्तियों के परिवारों को उनके शारीरिक नमूनों के आधार पर उनकी सूचना दी जा सकेगी ।   
  • डीएनए प्रोफाइल और उनके उपयोग के रिकॉर्ड के संबंध में विश्वनीयता बनाए रखना।  
  • डीएनए प्रोफाइल को विदेशी सरकारों अथवा सरकारी संगठनों अथवा एजेंसियों के साथ केवल अधिनियम में उल्लिखित उद्देश्यों के लिये ही साझा किया जाएगा।  
  • इन प्रावधानों के उल्लंघनकर्त्ताओं के लिये कारावास तथा जुर्माने का प्रावधान होगा।   परन्तु कारावास की समयावधि को बढ़ाकर 3 वर्ष जबकि जुर्माना राशि में वृद्धि कर 2 लाख किया जा सकता है।  

डीएनए प्रोफाइलिंग 

  • यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति अथवा उसके ऊतक के नमूने से एक विशेष डीएनए पैटर्न (जिसे प्रोफाइल कहा जाता है) लिया जाता है।   
  • यद्यपि सभी व्यक्ति अलग होते है।   वास्तव में हमारे अधिकांश डीएनए अन्य लोगों के समान ही होते हैं जबकि कुछ में काफी भिन्नता होती है। भिन्नताओं वाले इन्हीं डीएनए को ‘बहुरूपी’ (polymorphic) कहा जाता है।  
  • प्रत्येक व्यक्ति अपने माता-पिता से ‘बहुरूपों’ का एक विशेष संयोजन प्राप्त करता है।   डीएनए प्रोफाइल प्राप्त करने के लिये ‘डीएनए के बहुरूपों’(DNA polymorphisms) की ही जाँच की जाती है।  

डीएनए प्रोफाइलिंग का उपयोग

  • किसी अपराध या अपराध के दृश्य से जुड़े शारीरिक द्रव के नमूने के संभावित स्रोत की पहचान करना।  
  • नज़दीकी पारिवारिक रिश्तों(जैसे- माता-पिता अथवा संतान) की पहचान करना।  
  • आपदा पीड़ितों की पहचान करना।
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