अंतर्राष्ट्रीय संबंध
रीवा में सौर प्रशुल्क का निम्न स्तर
- 20 Feb 2017
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पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि वर्तमान में भारत में सौर ऊर्जा बहुत ही सस्ती एवं सुलभ हो गई है| जिसका सबसे जीवंत उदाहरण फरवरी माह के प्रारंभ में मध्य प्रदेश राज्य में अवस्थित रीवा संयंत्र की तीन इकाइयों के लिये उत्क्रमित नीलामी बोली (reverse auction bid) में प्राप्त हुए ऐतिहासिक निम्न सौर प्रशुल्क है| हालाँकि इन निम्न सौर प्रशुल्कों के मद्देनज़र कई प्रश्न चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, जिनका भारत के सौर उद्योग में क्या महत्त्व है यह एक विचारणीय प्रश्न है?
चर्चा का कारण
- उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय उत्क्रमित नीलामी बोली में तकरीबन 25 वर्ष के एक ऊर्जा खरीद समझौते (Power Purchase Agreement) के संबंध में सहमति प्रकट की गई है| इस समझौते के अंतर्गत मध्य प्रदेश स्थित रीवा सौर ऊर्जा संयंत्र के 250 मेगावाट क्षमता वाले तीन ब्लॉकों में से प्रत्येक ब्लॉक के लिये 2.97 रुपए का प्रशुल्क तथा 3.3 रुपए का स्तरीय प्रशुल्क (Levelised Tariff) लगाया गया है|
- विदित हो कि प्रत्येक बोलियों के विजेता महिंद्रा रिन्यूवेल्स (Mahindra Renewables), एसीएमई (ACME) और सोलनबर्ग पॉवर (Solenberg Power) हैं|
- ध्यातव्य है कि रीवा सौर ऊर्जा संयंत्र भारतीय सौर ऊर्जा निगम (Solar Energy Corporation of India) और मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम (Madhya Pradesh Urja Vikas Nigam - MPUVN) का एक संयुक्त उद्यम है|
- संभवतः ऐसे किसी भी परिदृश्य में उत्क्रमित नीलामी एक ऐसी स्थिति होती है जहाँ कम्पनियाँ निम्न प्रशुल्कों के माध्यम से एक इकाई के लिये बोली लगाती हैं तथा इसके पश्चात् कम्पनियाँ इन्हीं निम्न प्रशुल्कों पर उस इकाई द्वारा उत्पादित ऊर्जा को बेचती भी हैं| परिणामतः इसमें सबसे निम्न प्रशुल्क की बोली लगाने वाली कंपनी ही इस नीलामी की विजेता होती है|
इतने निम्न मूल्य कैसे प्राप्त किये गए?
- वस्तुतः रीवा में अवस्थित सौर ऊर्जा वाली इकाइयों के लिये बोली लगाने वाली कम्पनियाँ विभिन्न कारकों (जैसे-कुछ ने उद्योगों को उन्नत करने के लिये तथा अन्यों ने स्वयं को विशिष्ट बोली लगाने की पहचान दिलाने के लिये) के कारण ही इस प्रकार के निम्न प्रशुल्क लगाने को तैयार हुईं|
- यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि उद्योग आधारित कारकों में इस तथ्य को भी शामिल किया जाता है कि भारत के अधिकतर सौर ऊर्जा उत्पादनकर्ता चीन से सस्ते फोटोवोल्टिक पैनलों (Photovoltaic Panels) का आयात होने के कारण अपने मूल्यों में निरंतर कमी करते जा रहे हैं|
- उल्लेखनीय है कि नवीकरणीय ऊर्जा के संदर्भ में तय किये गए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये (मुख्यतः 2022 तक 100 GW सौर ऊर्जा प्राप्त करना) भारत सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में भी तेजी लाई गई है|
- इसके साथ-साथ सरकार द्वारा सौर ऊर्जा संयन्त्र को स्थापित करने के लिये अत्यावश्यक विभिन्न अवयवों पर लगने वाले उत्पाद शुल्क (Excise duties) में भी भारी कमी की गई है|
- विदित हो कि रीवा सौर ऊर्जा संयंत्र के लिये लगी बोली के अंतर्गत मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ‘शक्ति खरीद समझौते’ नामक प्रोजेक्ट में कुछ अनुकूल और अद्वितीय संरचनाओं का क्रियान्वयन भी किया गया है|
सौर ऊर्जा प्रशुल्कों के सस्ता होने का वास्तविक अर्थ क्या है?
- वस्तुतः सौर ऊर्जा के सन्दर्भ में निम्न प्रशुल्कों का अर्थ यह कतई नहीं है कि इससे सौर ऊर्जा सस्ती हो जाएगी| बल्कि कई औद्योगिक विशेषज्ञों द्वारा दी गई चेतावनी के अनुसार, ऐसे कम शुल्कों पर प्रायः कम लाभ की प्राप्ति होती है अत: यह कहना ज़ल्दबाज़ी होगी कि इससे सौर ऊर्जा पूरी तरह से सस्ती हो जाएगी|
- हालाँकि इसका एक अर्थ यह अवश्य हो सकता है कि आगतों के मूल्यों (जैसे कि चीन से होने वाले आयातों में) में होने वाली थोड़ी सी भी बढ़ोतरी इनमें से कई परियोजनाओं का रुख गैर-लाभकारी स्थिति की और अवश्य मोड़ देगी|