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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट: 2020

  • 23 Jan 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विश्व आर्थिक मंच का वार्षिक सम्मेलन, विश्व आर्थिक मंच,

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन का विश्व पर प्रभाव, जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या, जलवायु परिवर्तन के लिये प्राकृतिक एवं मानव जनित कारण

चर्चा में क्यों?

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) ने दावोस में अपनी वार्षिक बैठक से पहले ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट:2020 (The Global Risks Report 2020) जारी की है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यह रिपोर्ट WEF द्वारा 21-24 जनवरी तक दावोस (स्विटज़रलैंड) में वार्षिक बैठक के आयोजन से पहले जारी की गई थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार, अगले दशक में पर्यावरण से संबंधित संभावित शीर्ष पाँच जोखिम हैं:
    • बाढ़ और तूफान जैसे चरम मौसम की घटनाएँ।
    • जलवायु परिवर्तन को रोकने और अनुकूलन में विफलता।
    • भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट और भू-चुंबकीय तूफान जैसी प्रमुख प्राकृतिक आपदाएँ।
    • प्रमुख जैव विविधता के नुकसान और पारिस्थितिकी तंत्र का पतन।
    • मानव निर्मित पर्यावरणीय क्षति और आपदाएँ।
  • यह रिपोर्ट वैश्विक जोखिमों की संभावना और प्रभाव के बारे में 750 से अधिक वैश्विक विशेषज्ञों और निर्णयकर्त्ताओं की धारणा पर आधारित है।

रिपोर्ट में निहित महत्त्वपूर्ण बातें

  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान युवा पीढ़ी जिसमें वर्ष 1980 के बाद जन्म लेने वाले लोग भी शामिल हैं, ने अल्प और दीर्घ समय के संदर्भ में पर्यावरणीय जोखिमों को अधिक महत्त्व दिया है।
    • लगभग 90% युवाओं का मानना है कि अत्यधिक उष्मीय तरंगें, पारिस्थितिक तंत्रों का विनाश और प्रदूषण से प्रभावित स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएँ अगली पीढ़ियों के लिये वर्ष 2020 में लगभग 70 प्रतिशत और बढ़ जाएंगी।
    • युवाओं का यह भी मानना ​​है कि वर्ष 2030 तक पर्यावरणीय जोखिमों के प्रभाव अधिक विनाशकारी होंगे।
  • WEF की रिपोर्ट में भविष्य में महामारी के खतरे को दूर करने के लिये गैर-संचारी रोगों और टीकों एवं दवा प्रतिरोधक क्षमता पर अनुसंधान की कमी के कारण बढ़ती आर्थिक और सामाजिक लागतों (Economic and Societal Costs) के बारे में चेतावनी दी गई है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में आर्थिक टकराव और राजनीतिक ध्रुवीकरण महत्त्वपूर्ण अल्पकालिक जोखिम हैं तथा भविष्य में भी आर्थिक टकराव में वृद्धि का अनुमान है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, यह टकराव भारत और अफ्रीका सहित दक्षिणी विश्व के लिये एक चेतावनी है जहाँ सामाजिक अशांति में वृद्धि देखी गई है।
    • उदाहरण के लिये दिल्ली में वर्ष 2011 के बाद सबसे अधिक सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन हुए हैं तथा अफ्रीका में ज़िम्बाब्वे गंभीर आर्थिक और जलवायु संकट का सामना कर रहा है। ध्यातव्य है कि ज़िम्बाब्वे में वर्ष 2020 में भी सूखे के हालात बने रहने की उम्मीद है।

जलवायु परिवर्तन से संबंधित हालिया संदर्भ

  • वर्ष 2019 में जलवायु परिवर्तन के दो सबसे बड़े प्रभाव दक्षिण अमेरिकी अमेज़न वर्षा वनों एवं ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगने वाली भीषण आग है जिससे लाखों जीव-जंतु, वनस्पति एवं मानव जाति प्रभावित हुए हैं।
  • स्टेट ऑफ इंडियाज़ एन्वायरनमेंट रिपोर्ट (State of India’s Environment Report), 2020 के अनुसार, वर्ष 2019 में चरम मौसमी घटनाओं के कारण दुनिया भर में बहुत से लोगों की मृत्यु हो गई।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2019 में वैश्विक रूप से चरम मौसमी घटनाओं के कारण मारे गए लोगों में से 18 प्रतिशत से अधिक व्यक्ति एशिया और अफ्रीका से संबंधित थे।

स्टेट ऑफ इंडियाज़ एन्वायरमेंट रिपोर्ट

(State of India’s Environment Report)

  • यह रिपोर्ट सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (Centre for Science and Environment - CSE) एवं डाउन टू अर्थ द्वारा जारी की जाती है।
  • इस रिपोर्ट में वनों, वन्य जीवन, कृषि, ग्रामीण विकास, जल एवं स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन से संबंधित पहलू शामिल होते हैं।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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