फ्लिपकार्ट-वालमार्ट डील साबित हो सकती है गेम चेंजर | 30 May 2018
संदर्भ
फ्लिपकार्ट और वालमार्ट के मध्य हाल ही में संपन्न हुई बड़ी डील ने भारतीय ई-कॉमर्स बाजार को हिलाकर रख दिया है। इस डील के तहत वालमार्ट ने देसी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 77 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी खरीदकर इसका अधिग्रहण कर लिया है। इस 16 अरब डॉलर के अधिग्रहण से भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में एक अन्य प्रतियोगी कंपनी अमेज़न के साथ प्रतियोगिता में बेंगलुरू स्थित ऑनलाइन खुदरा विक्रेता की स्थिति में सुधार होने की संभावना है।
प्रमुख बिंदु
- यह डील भारतीय ई-कॉमर्स बाजार और खुदरा बाजार के संपूर्ण परिदृश्य को परिवर्तित करने की क्षमता रखती है। इससे मजबूत ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपभोक्ताओं से जुड़ा जा सकेगा। साथ ही, ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी में नौकरियों का सृजन हो सकेगा।
- यह डील अमेरिकी व्यापार समुदाय के भारत में निवेश के नए दृष्टिकोण को भी रेखांकित करती है, जो केवल लाभ-उत्पादक निवेश पर केंद्रित न होकर दीर्घकालिक एवं टिकाऊ साझेदारी के माध्यम से बड़े पैमाने पर समुदायों पर प्रभाव डालने पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
- विदेशी व्यवसायों का भारतीय बाजार के प्रति यह आकर्षण पिछले कुछ वर्षों में किये गए संरचनात्मक सुधारों का परिणाम है। इन सुधारों के अंतर्गत व्यापार सुगमता में वृद्धि, परमिट हासिल करने की प्रक्रिया में कमी, अल्पसंख्यक निवेशकों की सुरक्षा आदि को शामिल किया जा सकता है।
- पिछले साल लागू किया गया जीएसटी प्रावधान इसी प्रकार का एक बेहद महत्त्वपूर्ण सुधार है। साथ ही, दिवालियापन संहिता में सुधार; रक्षा, रेलवे, उड्डयन, फार्मास्यूटिकल जैसे क्षेत्रों में आर्थिक उदारीकरण संबंधी कदम उठाए गए हैं।
- इन पहलों और सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में अपने निवेश को बढ़ावा देने का विचार कर रही कंपनियों को महत्त्वपूर्ण समर्थन प्रदान किया है।
- वालमार्ट द्वारा अनुमान लगाया गया है कि इस डील के अंतर्गत स्थानीय स्वामित्त्व वाले व्यवसायों के साथ साझेदारी के माध्यम से लगभग 10 मिलियन नौकरियाँ पैदा की जा सकती हैं।
- साथ ही इससे, किसानों की आय में वृद्धि, डिजिटल प्रद्योगिकी के माध्यम से अधिक कुशल कृषि आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण, सर्विस डिलीवरी में सुधार, उपभोक्ताओं की पहुँच में बढ़ोतरी और स्किल इंडिया तथा स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों को समर्थन जैसे लाभ अपेक्षित हैं।
- यह डील अन्य उद्योगों पर भी प्रभाव डाल सकती है और भारत में प्रवेश करने का मन बना रही अन्य अमेरिकी कंपनियों के लिये उत्प्रेरक का काम कर सकती है, जिससे एफडीआई के प्रवाह में और बढ़ोतरी हो सकती है।
- वालमार्ट द्वारा किये इस निवेश से ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा।
- संगठित खुदरा क्षेत्र को घरेलू विनिर्माण, खपत और रोजगार उत्पादन के समर्थक पारिस्थितिक तंत्र के रूप में देखा जा रहा है।
- यह कड़वा सच है कि अभी भी सारे किसानों को बाजारों से प्रत्यक्ष रूप से और कुशलता पूर्वक नहीं जोड़ा जा सका है और अपर्याप्त भंडारण क्षमता और परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण बड़े पैमाने पर उत्पादों की हानि होती है। इस क्षेत्र में ई-कॉमर्स मॉडल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- इसके अतिरिक्त, ई-कॉमर्स क्षेत्र में एफडीआई संबंधी बाधाओं को कम करने से रोजगार सृजन होगा। साथ ही, विनिर्माण और लॉजिस्टिक सेक्टर में भी संवृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत का बढ़ता मध्यम वर्ग और युवा जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल इसे एक आकर्षक निवेश गंत्तव्य बनाता है।
- यदि भारत खुद को एक वास्तविक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बदलने के बारे में गंभीर है, तो सरकार को विश्व व्यापार संगठन के विकास एजेंडा के एक महत्वपूर्ण तत्त्व ई-कॉमर्स व्यापार को बढ़ावा देने की आवश्यकता होगी।
- वालमार्ट-फ्लिपकार्ट डील दोनों देशों के लिये सहयोगी व्यापार ढाँचा विकसित करने के लिये मंच प्रदान कर सकती है। जिससे दोनों देशों के संबंधों को एक नई दिशा प्रदान की जा सकती है।