अंतर्राष्ट्रीय संबंध
मूक-बधिर लोगों के लिये सांकेतिक भाषा की पहली डिक्शनरी
- 24 Jan 2017
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सन्दर्भ
अमूमन यह देखा गया है कि मूक-बधिर लोगों को अन्य लोगों से संवाद करने में दिक्कतें आती हैं| वे अपनी सांकेतिक भाषा में बातचीत करते हैं और लोग उनके संकेतों को समझ नहीं पाते हैं| इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए देश में सांकेतिक भाषा की पहली डिक्शनरी तैयार की जा रही है|
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- संकेतों का प्रयोग कर बनाई जा रही इस डिक्शनरी में 6 हज़ार शब्दों को शामिल किया जाएगा| इस डिक्शनरी को पढ़कर कोई भी मूक-बधिर लोगों की सांकेतिक भाषा को आसानी से समझ लेगा|
- विदित हो कि इस डिक्शनरी को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी किया जाएगा, वर्तमान समय में इस डिक्शनरी को बनाने का कार्य प्रगति पर है | इस डिक्शनरी को भारतीय साइन लैंग्वेज(Indian sign languages) का नाम दिया जाएगा|
- इस डिक्शनरी में हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में सांकेतिक भाषा के शब्द होंगे| सांकेतिक भाषा के प्रत्येक संकेत को कार्टून या स्केच के ज़रिये समझाया जाएगा और इसमें लीगल, मेडिकल और तकनीकी क्षेत्र से संबंधित शब्दों के सांकेतिक प्रदर्शन की भी व्यवस्था की गई है|
- इस डिक्शनरी का प्रयोग विद्यालयों में मूक-बधिर बच्चों को सांकेतिक भाषा सिखाने में भी किया जाएगा और इसके लिये अलग से एक शिक्षक की व्यवस्था की जाएगी|
- वस्तुतः मूक-बधिर लोगों के सांकेतिक भाषा में स्थान विशेष और भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के आधार पर विभिन्नता भी देखने को मिलती है अतः इस डिक्शनरी में सभी धर्मों एवं सम्प्रदायों का ध्यान रखते हुए उनकी संस्कृति से जुड़े शब्दों को भी शामिल किया गया है|
निष्कर्ष
- वर्ष 1980 में पहली बार सांकेतिक भाषा से संबंधित आँकड़े इकट्ठा करने का प्रयास किया गया था, लेकिन उन्हें डिक्शनरी का रूप नहीं दिया जा सका था| लेखक मदन वशिष्ठ ने अपनी किताब ‘एन इंट्रोडक्शन टू इंडियन साइन लैंग्वेज’ में दिल्ली,मुंबई कोलकाता और बेंगलुरु के मूक-बधिर लोगों के संकेतों को दर्शाने का प्रयास किया था| फिर बाद में रामकृष्ण मिशन विवेकानन्द विश्वविद्यालय ने 1600 शब्दों की एक डिक्शनरी बनाई थी| हालाँकि इन सभी कोशिशों के बाद भी मूक-बधिर लोगों के सांकेतिक भाषा को समझने के लिये कोई प्रभावी डिक्शनरी नहीं बन पाई है| अतः भारत सरकार का यह कदम निश्चित ही सराहनीय है|