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शासन व्यवस्था

हेपेटाइटिस को नियंत्रित करने हेतु अभियान

  • 21 May 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ने वायरल हेपेटाइटिस को पूरे विश्व में और खासकर भारत में बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में सूचीबद्ध किया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में एक करोड़ से ज़्यादा लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित हैं। यह संख्या एचआईवी / एड्स रोगियों की संख्या की 6 गुना है।

प्रमुख बिंदु 

  • डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी किये गए पत्र में कहा गया है कि हेपेटाइटिस रोकथाम योग्य और इलाज योग्य है,लेकिन फिर भी यह रोग वैश्विक स्तर पर और दक्षिण-पूर्व एशिया में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है।
  • वायरल हेपेटाइटिस से हर साल दक्षिण-पूर्व एशिया में लगभग 3,50,000 लोगों की मौत होती है। यह संख्या मलेरिया और एचआईवी द्वारा संयुक्त रूप से होने वाली मौतों से से भी अधिक है।
  • संक्रमणीय रोगों से होने वाली मौतों के मामले में यह टीबी के बाद दूसरे स्थान पर है।
  • वैश्विक स्तर पर और दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में वायरल हेपेटाइटिस से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अतः इसके प्रसार को रोकने हेतु तत्काल कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम (National Programme for Control of Viral Hepatitis) के लिये बजट में अगले तीन वर्षों हेतु  ₹600 करोड़ का आवंटन किया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि इसकी सहायता से सुभेद्य आबादी की पहचान की जा सकेगी और आवश्यकतानुसार मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जा सकेगा।
  • डब्ल्यूएचओ ने वर्तमान हालात पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि रोगियों की इतनी बड़ी संख्या अस्वीकार्य है, क्योंकि हेपेटाइटिस बी के लिये प्रभावी टीका और उपचार उपलब्ध है और हेपेटाइटिस सी वाले 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को ठीक किया जा सकता है।
  • हेपेटाइटिस सी रक्त-जनित वायरस के कारण उत्पन्न होता है, जो यकृत को प्रभावित करता है। यह इंजेक्टेबल दवाओं, असुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल आदि के माध्यम से फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह यौन गतिविधियों द्वारा संक्रमित हो सकता है, लेकिन ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं|
  • राष्ट्रीय हेपेटाइटिस नीति के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर निगरानी और पानी तथा रक्त से उत्पन्न हेपेटाइटिस वायरल संक्रमण का पता लगाने में सहायता मिलेगी।
  • सरकार इस रोग पर प्रभावी नियंत्रण पाने हेतु जल्द ही परीक्षण शालाओं की स्थापना करेगी और प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध काराएगी।
  • डॉक्टरों का कहना है कि भारत में पानी और रक्त-जनित वायरल हेपेटाइटिस एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है। कार्यक्रम के तहत सुरक्षित और पीने योग्य पानी की उपलब्धता, प्रारंभिक स्क्रीनिंग, टीकाकरण और डिस्पोजेबल सुइयों और सिरिंजों के दुरुपयोग की रोकथाम से उपचार योग्य वायरल हेपेटाइटिस के उन्मूलन में मदद मिलेगी।
  • सूक्ष्म स्क्रीनिंग, प्रभावी टीकाकरण और नई खोजी गई दवाओं की उचित कीमतों पर उपलब्धता भारत को 2030 तक वायरल हेपेटाइटिस से मुक्त बनाने में सहायता करेगी। यह डब्ल्यूएचओ द्वारा हेपेटाइटिस हेतु अपनाई गई ग्लोबल हेल्थ सेक्टर स्ट्रैटेजी के साथ मेल खाता है, जिसमें वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस के उन्मूलन की बात की गई है।
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