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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

गर्भ ब्लड-बैंकिंग की अवधारणा 

  • 09 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

स्टेम सेल 

मेन्स के लिये:

स्टेम सेल से जुड़े मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘पूना सिटीज़न डॉक्टर फोरम’ (Poona Citizen Doctor Forum- PCDF) जो नागरिकों और डॉक्टरों के बीच विश्वास के पुनर्निर्माण तथा नैतिक-चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करता है, ने ‘गर्भ ब्लड सेल बैंकिंग’ क्षेत्र में अनेक अनैतिक तथ्यों को उजागर किया है।

मुख्य बिंदु

  • पिछले एक दशक में ‘स्टेम सेल बैंकिंग’ का आक्रामक रूप से विपणन किया गया है, जबकि इसका उपयोग अभी भी प्रायोगिक चरण में है।
  • स्टेम सेल बैंकिंग कंपनियाँ भावनात्मक विपणन रणनीति (Emotional Marketing Tactics) के माध्यम से माता-पिता का शोषण कर रही हैं।

क्या है समस्या?

  • फोरम के अनुसार, स्टेम सेल बैंकिंग कंपनियाँ डिलीवरी से पहले अपने संभावित ग्राहकों से संपर्क करना शुरू कर देती हैं और प्रतिस्पर्द्धी पैकेज पेश करती हैं।
  • निजी कंपनियाँ जो कि इस क्षेत्र में कार्य कर रही हैं, 50 हज़ार से 1 लाख रुपए के बीच पैकेज प्रदान कर रही हैं। हालाँकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), वाणिज्यिक स्टेम सेल बैंकिंग की सिफारिश नहीं करता है।

ICMR का दृष्टिकोण:

  • ICMR का मानना है कि ‘गर्भ ब्लड सेल बैंकिंग ’ का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, साथ ही इसके साथ नैतिक एवं सामाजिक चिंताएँ भी जुड़ी हैं। 
  • गर्भनाल रक्त का निजी भंडारण उस समय उचित है जब परिवार में बड़े बच्चे का इलाज इन कोशिकाओं के माध्यम से किया जा सकता है तथा मां अगले बच्चे की उम्मीद कर रही होती है। अन्य स्थितियों में माता-पिता को स्टेम सेल बैंकिंग की सीमाओं के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिये।
  • इस तरह के दिशा-निर्देशों के बावजूद स्टेम सेल बैंकिंग कंपनियों का विपणन लगातार बढ़ रहा है।

भारत में स्टेम सेल नियमन:

  • भारत में स्टेम सेल थेरेपी अनुमोदित उपचार विधि नहीं है। स्टेम सेल थेरेपी अनुसंधान के लिये राष्ट्रीय दिशा-निर्देश वर्ष 2017 के अनुसार, केवल रक्त संबंधी कैंसर तथा अन्य विकारों के प्रत्यारोपण के लिये गर्भ ब्लड बैंकिंग के स्रोत के रूप में हेमटोपोइएटिक स्टेम सेल (अस्थि मज्जा, परिधीय रक्त, या गर्भनाल से उत्पन्न रक्त) की सिफारिश की जाती है।
  • अन्य सभी स्थितियों के लिये स्टेम कोशिकाओं के स्रोत के रूप में गर्भनाल रक्त का उपयोग करना अभी तक प्रमाणित, सुरक्षित और प्रभावकारी नहीं माना गया है। 

स्टेम सेल बैंक:

  • स्टेम सेल बैंकिंग शिशु को स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में किया गया एक प्रयास है। माता-पिता अब गर्भनाल को स्टेम सेल बैंक में जमा करने का विकल्प अपनाने लगे हैं, ताकि इन जीवनदायी स्टेम सेल्स और ऊतकों का भविष्य में बीमारियों की स्थिति में उपयोग किया जा सके।
  • स्टेम सेल बैंकिंग दो प्रकार की होती है- पब्लिक व प्राइवेट।

पब्लिक स्टेम सेल बैंकिंग:

  • इसके तहत अभिभावक स्वेच्छा से अपने शिशु की गर्भनाल रक्त कोशिकाएँ बैंक को डोनेट करते हैं। इनकी मदद से किसी भी ज़रूरतमंद व्यक्ति का इलाज किया जा सकता है। 

प्राइवेट स्टेम सेल बैंकिंग:

  •  इसके तहत जिस शिशु की गर्भनाल रक्त कोशिकाएँ स्टोर की जाती हैं, उसके या उसके परिवार के किसी सदस्य के इलाज के लिये उन सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है।

स्टेम सेल से जुड़े मुद्दे:

  • चिकित्सा के रूप में स्टेम कोशिकाओं पर केंद्रित बहस में सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और नैतिक मुद्दे शामिल हैं। डिज़ाइनर शिशुओं से संबंधित चिंताओं ने गंभीर बायोएथिकल मुद्दों को उठाया है।
  • विश्व में अभी तक स्टेम सेल से इलाज के लिये जो तरीका मान्यता प्राप्त है, वह अस्थि-मज्जा प्रत्यारोपण (Bone Marrow Tranplantation) का ही है तथा कानूनन अन्य सभी प्रयोग अभी शोध के चरण में हैं। इन पर सवाल यह उठाया जाता है कि जिस तकनीक के अभी तक क्लिनिकल ट्रायल ही नहीं हुए उस तकनीक को मरीज़ों पर इस्तेमाल करना कितना सही है?

स्टेम सेल थेरेपी पर दशकों से दुनिया भर में शोध चल रहे हैं। कई बार नैतिकता के आधार पर तो कई बार किन्हीं और वजहों से इस पर रोक भी लगाई गई, लेकिन ऐसा तय माना जा रहा है कि लाइलाज बीमारियों में इस तकनीक से सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं, अत: इस दिशा में उचित विधिक नियमों का निर्माण करते हुए शोध कार्यों को आगे बढ़ाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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