गंभीर आपदा के बाद केरल के पुनर्निर्माण की चुनौती | 23 Aug 2018
चर्चा में क्यों?
केरल और कर्नाटक के कोडागु ज़िले में बाढ़ के पानी के धीरे-धीरे घटने के बाद मुख्य ध्यान राहत कार्यों की बजाय पुनर्निर्माण में बदलना शुरू हो गया है।
प्रमुख बिंदु
- गंभीर श्रेणी की आपदा के बाद केरल में कम समय में पुनर्निर्माण का कार्य करना एक चुनौती भरा कदम है।
- इसकी गंभीरता का अनुमान इन आँकड़ों से लगाया जा सकता है कि केरल में अब 10,000 किमी. सड़कों के साथ-साथ 100,000 घरों का पुनर्निर्माण किये जाने आवश्यकता होगी।
- केरल में चल रहे राहत कार्यों को देश-भर से समर्थन मिला है। साथ ही इस संदर्भ में केरल सरकार ने केंद्र सरकार से पुनर्निर्माण हेतु 2,600 करोड़ रुपए की मांग की है।
- इसके अलावा, राज्य सरकार ने नई दिल्ली से बॉण्ड मार्केट से उधार ली जाने वाली राशि को बढ़ाने के लिये भी कहा है और इस मांग का केंद्र सरकार ने समर्थन भी किया है।
- उल्लेखनीय है कि राज्य सरकारों ने वित्तीय कानूनों पर हस्ताक्षर किये हैं जो राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों के आधार पर उधार ले सकते हैं।
- दुनिया भर में इस तरह के वित्तीय कानूनों में लचीलापन है जो विशेष परिस्थितियों जैसे-तेज़ी- मंदी या युद्ध अथवा प्राकृतिक आपदाओं के मामले में उधार सीमा को बढ़ाने की अनुमति देतें हैं।
- केरल और कुछ हद तक कर्नाटक ने इन गंभीर प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है, अतः इन राज्यों की वित्तीय बाधाओं को दूर करने के लिये उचित तरीकों को अपनाने की दी जानी चाहिये।
मुद्रा बाज़ार और वित्त बाज़ारों की भूमिका
- भारतीय रिज़र्व बैंक विशेष तरीकों और अग्रिम (डब्लूएमए) विंडो के माध्यम से तत्काल तरलता समर्थन भी प्रदान कर सकता है।
- इसके साथ ही पुनर्निर्माण की लागत को कम करने का एक संभावित तरीका ब्याज दरों पर विशेष बॉण्ड जारी करना हो सकता है, जो मार्केट बॉण्ड की तुलना में कम व्याज दर पर हो।
- यह एक ऐसे बॉण्ड की संरचना करेगा जहाँ उधार पर ब्याज लागत तीन इकाइयों द्वारा साझा किया जा सकता है, जिसमें केंद्र सरकार करों को छोड़ सकती है; केरल डायस्पोरा समेत दुनिया भर के व्यक्ति, कम ब्याज दरों को स्वीकार कर सकते हैं; और राज्य सरकार पर ब्याज दर आरोपित किया जा सकता है, जो एक-तिहाई भुगतान करेगी अन्यथा निवेशकों को भुगतान करना होगा।
- इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसे बॉण्ड का इस्तेमाल केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिये।
- देश में भविष्य के ऐसे किसी मामले, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में वित्तीय बाज़ारों की संभावित भूमिका हो सकती है।
- भारत में आपदा बॉण्डस (Catastrophe bonds) बाज़ार होना चाहिये जो लोगों को अत्यधिक जोखिम वाली आपदाओं के खिलाफ बीमा सुरक्षा की गारंटी डे सके।
- ये बॉण्ड आपदा के एवज़ में जोखिम सुरक्षा मुहैया कराएंगे साथ ही उच्च व्याज दर के बावजूद इच्छुक निवेशकों को आकर्षित करेंगे ।
- उल्लेखनीय है कि आपदा बॉण्डस का महत्त्व दुनिया भर में बढ़ रहा है और खासकर मेक्सिको में अधिक लोकप्रिय है और हाल ही में यहाँ विश्व बैंक के समर्थन से वर्ष 2017 में आपदा बॉण्डस जारी किये गए थे।
- हालाँकि, केरल में पुनर्निर्माण कार्य किये जाने में अभी काफी समय लगेगा किंतु बाढ़ ने राज्य सरकार को इसके बुनियादी ढाँचे के बारे में सोचने का अवसर प्रदान किया है।