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शासन व्यवस्था

ओडिशा की 5T पहल

  • 28 Oct 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ओडिशा की 5T पहल, टीम वर्क, राज्य स्तर पर नीति आयोग जैसा मॉडल, पारदर्शिता, प्रौद्योगिकी, समय और परिवर्तन, सार्वजनिक सेवाओं का प्रभावी वितरण

मेन्स के लिये:

ओडिशा की 5T पहल, राज्य स्तर पर नीति आयोग जैसा मॉडल, विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप तथा उनके डिज़ाइन एवं कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों?

ओडिशा का 5T पहल एक शासन व्यवस्था मॉडल है जो टीम वर्क, पारदर्शिता, प्रौद्योगिकी, समय-सीमा और बदलाव के लिये प्रयुक्त है, जिसे शासन व्यवस्था में सुधार तथा सार्वजनिक सेवाओं के कुशल वितरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।

  • 5T एजेंडा के अनुरूप ओडिशा सरकार ने अक्तूबर 2019 में 'मो सरकार' या 'माई गवर्नमेंट' पहल शुरू की, जिसे राज्य स्तर पर नीति आयोग जैसे मॉडल के रूप में भी देखा जाता है।
  • वर्ष 2022 में ओडिशा सरकार के प्रमुख ने 5T पहल में एक और T (यात्रा) को शामिल करते हुए 6T का मंत्र दिया, मंत्रियों से और अधिक 'भ्रमण' करने तथा ज़मीनी स्तर पर सुदृढ़ीकरण की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया। 

5T पहल:

  • टीम वर्क: 
    • यह सरकार के भीतर विभिन्न विभागों और एजेंसियों को एक टीम के रूप में कार्य करने की आवश्यकता पर बल देता है।
    • यह लोगों की आवश्यकताओं का प्रभावी समाधान करने के लिये विभिन्न सरकारी संस्थाओं के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देता है।
  • पारदर्शिता: 
    • यह 5T पहल का एक प्रमुख तत्त्व है। यह सरकारी प्रक्रियाओं और निर्णयों को जनता के प्रति अधिक पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाने पर केंद्रित है।
    • इसमें सूचनाओं तक सुगम पहुँच प्रदान करना, नौकरशाही-लालफीताशाही को कम करना और सरकार के भीतर नैतिक तथा जवाबदेह आचरण को बढ़ावा देना शामिल है।
  • प्रौद्योगिकी: 
    • यह सरकारी कार्यों को सुव्यवस्थित करने, सेवा वितरण को बढ़ाने और प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाने के लिये आधुनिक प्रौद्योगिकी तथा डिजिटल साधनों के उपयोग को प्रोत्साहित करती है।
  • समय-सीमा: 
    • समय-सीमा का पहलू समय पर सेवाएँ प्रदान करने के महत्त्व को रेखांकित करती है। 5T मॉडल का उद्देश्य सेवा वितरण में होने वाले विलंब को कम करना और नागरिकों को सरकारी सेवाएँ समयबद्ध तरीके से वितरित किया जाना सुनिश्चित करती है।
  • परिवर्तन: 
    • अंततः 5T पहल का उद्देश्य सरकारी एजेंसियों और विभागों के कामकाज़ में बदलाव लाना है। इसका उद्देश्य सरकार को अधिक उत्तरदायी, नागरिक-केंद्रित तथा परिणामोन्मुख बनाना है।

5T पहल की उपलब्धियाँ:

  • मार्च 2023 तक 5T पहल के तहत 6,872 हाई स्कूलों में विभिन्न बदलाव किये गए।
  • वर्ष 2019-20 में निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या 16,05,000 थी, किंतु वर्ष 2021-22 में छात्रों की संख्या घटकर 14,62,000 हो गई है। यानी सरकारी स्कूलों में नामांकन कराने व पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है।

मो सरकार पहल:

  • यह एक शासन व्यवस्था संबंधी कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं को वितरित करने के तरीके में बदलाव लाना और सार्वजनिक कार्यालयों की जवाबदेही तथा पारदर्शिता में सुधार करना है।
    • स्थानीय भाषा में "मो सरकार" का अर्थ है "मेरी सरकार"
  • रियलटाइम फीडबैक तंत्र "मो सरकार" पहल की उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक है।
    • यहाँ तक कि मुख्यमंत्री सहित शीर्ष अधिकारियों के पास सरकारी संस्थानों से जुड़े नागरिकों के फोन नंबर उपलब्ध होते हैं।
  • यह फीडबैक तंत्र नागरिकों के मुद्दों की पहचान करने, सरकारी अधिकारियों के प्रदर्शन का आकलन करने और आवश्यकता पड़ने पर उपचारात्मक कार्रवाई करने में मदद करता है।
  • "मो सरकार" पहल को नौकरशाहों के बजाय जनता को शक्ति प्रदान करते हुए शासन व्यवस्था को अधिक साक्ष्य-आधारित, कुशल तथा न्यायसंगत बनाने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है। 

राज्यों में नीति आयोग जैसी संस्था के कार्यान्वयन का प्रमुख कारण:

नीति (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) आयोग वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के दृष्टिकोण के साथ-साथ तेज़ और समावेशी आर्थिक विकास के लिये राज्यों को उनके योजना बोर्डों के स्थान पर अपने समान निकाय स्थापित करने में सहायता करेगा।

  • प्रारंभ में इसका लक्ष्य मार्च 2023 तक सभी राज्यों में समान निकाय स्थापित करने से पूर्व 8 से 10 राज्यों में ऐसे निकाय स्थापित करना है।
    • चार राज्यों यानी कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम ने इस संबंध में पहले ही कार्य शुरू कर दिया है।
    • महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और गुजरात में जल्द ही कार्य शुरू होने की संभावना है।
  • नीति आयोग की भूमिका:
    • यह राज्य योजना बोर्डों की मौजूदा संरचना की जाँच करने हेतु एक टीम के गठन में मदद करेगा।
    • आगामी 4-6 महीनों में स्टेट इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (SIT) की संकल्पना तैयार करेगा।
      • उच्च गुणवत्ता वाले विश्लेषणात्मक कार्य और नीति सिफारिशें करने के लिये SIT में पेशेवरों के पार्श्व प्रवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • राज्य योजना बोर्डों को SIT के रूप में पुनर्गठित करने के अतिरिक्त निम्नलिखित पर एक रूपरेखा तैयार की जाएगी:
    • नीति निर्माण में राज्यों का मार्गदर्शन करने हेतु।
    • सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की निगरानी एवं मूल्यांकन हेतु।
    • योजनागत लाभों के वितरण के लिये बेहतर तकनीक अथवा मॉडल का सुझाव देने हेतु।

राज्यों में नीति आयोग जैसी संस्थाएँ स्थापित करने की आवश्यकता:

  • राज्य भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास चालक होते हैं। रक्षा क्षेत्र, रेलमार्ग और राजमार्ग जैसे उद्योगों को छोड़कर राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद की कुल वृद्धि दर राष्ट्रीय जीडीपी वृद्धि कहलाती है
    • स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास मुख्यतः राज्य सूची के विषय हैं।
  • व्यापार करने में सरलता, भूमि सुधार, बुनियादी ढाँचे के विकास, ऋण प्रवाह और शहरीकरण में सुधार में राज्य सरकारों की भूमिका अहम होती है, ये सभी निरंतर आर्थिक विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • अधिकांश राज्यों ने अपने योजना बोर्डों या विभागों को नवीनीकृत करने के लिये कोई प्रयास नहीं किये हैं, जो पहले योजना आयोग के साथ मिलकर कार्य करते थे तथा केंद्र के साथ समवर्ती राज्य पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण में योगदान देते थे।
    • बड़ी संख्या में कार्यबल के साथ अधिकांश राज्यों के योजना विभाग लगभग निष्क्रिय हैं और उनके पास कार्यों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।

अन्य राज्यों में भी समान पहलें:

  • केरल राज्य योजना बोर्ड:
    • इस बोर्ड की प्राथमिक भूमिका के अंतर्गत वार्षिक आर्थिक समीक्षा तैयार करने के साथ-साथ पंचवर्षीय और वार्षिक दोनों योजनाएँ तैयार करना शामिल है।
    • यह इन योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करता है, योजनाओं से संबंधित विभिन्न विभागों के साथ मिलकर सहयोग करता है और विकेंद्रीकरण इकाई के संचालन की देख-रेख करता है।
    • यह बोर्ड आयोग पर शोध भी करता है, केंद्रीय और बाह्य रूप से वित्तपोषित कार्यक्रमों के लिये व्यावहारिक विश्लेषण तथा सिफारिशें प्रदान करता है व अध्यक्ष के लिये नीति विवरण तैयार करता है।
  • सकला मिशन:
    • कर्नाटक राज्य सरकार ने कर्नाटक राज्य में नागरिकों को निर्धारित समय-सीमा के भीतर सेवाओं के वितरण  की गारंटी प्रदान करने और उससे जुड़े तथा प्रासंगिक मामलों के लिये सकला मिशन शुरू किया।
    • इस अधिनियम को कर्नाटक नागरिकों को सेवाओं की गारंटी अधिनियम, 2011 कहा जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. अटल इनोवेशन मिशन की स्थापना किसके अंतर्गत की गई है? (2019)

(a) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
(b) श्रम और रोज़गार मंत्रालय
(c) नीति आयोग
(d) कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय

उत्तर: (c)


मेन्स: 

प्रश्न. “विभिन्न स्तरों पर सरकारी तंत्र की प्रभाविता तथा शासकीय तंत्र में जन-सहभागिता अन्योन्याश्रित होती है।” भारत के संदर्भ में इनके बीच संबंध पर चर्चा कीजिये।  (2016)

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