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महिला एथलीटों के लिये टेस्टोस्टेरोन के नियम

  • 06 May 2019
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महिला एथलीट कॉस्टर सेमेनिया (ओलंपिक 800 मीटर रेस चैंपियन) द्वारा दायर एक अपील को कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (Court of Arbitration for Sport- CAS) ने खारिज कर दिया।

  • उल्लेखनीय है कि इन्होंने महिला एथलीटों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रतिबंधित करने के लिये शुरू किये गए नियम के खिलाफ यह अपील दायर की थी।

क्या है मामला?

  • कॉस्टर सेमेनिया ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता हैं, इनके ‘लैंगिक विकास में अंतर/विकार’ होने के कारण अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (International Association of Athletics Federations- IAAF) ने ‘सेमेनिया को ‘जैविक पुरुष’ के रूप में वर्गीकृत किया था।
  • IAAF ने यह भी निर्देश दिया कि यदि वह महिलाओं वाली खेल प्रतिस्पर्द्धा में भाग लेना चाहती हैं तो उन्हें अपना टेस्टोस्टेरोन (एक हॉर्मोन जो सामान्यतः पुरुषों में पाया जाता है) कम करना होगा।
  • IAAF के नियम के खिलाफ कॉस्टर सेमेनिया (Caster Semenya) ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (Court of Arbitration for Sport) में अपील दायर की थी।

खेल मध्यस्थता न्यायालय का निर्णय Court of Arbitration for Sport (CAS) judgement

  • न्यायालय ने फैसले में स्पष्ट कहा है कि निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के लिये लैंगिक विकास में विविधता वाले (Differences in sexual Development- DSDs) एथलीटों के लिये ऐसे नियमों की आवश्यकता है।
  • यह नियम 400 मीटर से लेकर एक मील तक की स्पर्द्धाओं में लागू होता है।

लैंगिक विकास में विकार/अंतर (Disorder/Differences in Sexual Development)

  • लैंगिक विकास में विविधता वाले लोगों में कुछ विशिष्ट या अलग प्रकार के लैंगिक गुण नहीं होते, बल्कि इनके हार्मोन, जीन तथा प्रजनन अंग पुरुष एवं महिला की विशेषताओं का मिश्रण हो सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप इनमें टेस्टोस्टेरोन का स्तर उच्च हो सकता है।
  • टेस्टोस्टेरोन एक हार्मोन है जो मांसपेशियों, सामर्थ्य तथा हीमोग्लोबिन स्तर को बढ़ाता है, जिससे सहनशीलता प्रभावित होती है।

लैंगिक विकास विकार (Disorder of Sexual Development- DSDs)

  • लैगिक विकास विकार ऐसी दुर्लभ स्थितियाँ है जहां प्रजनन अंग और जननेंद्रिय अपेक्षा के अनुरूप विकसित नहीं होते हैं।
  • इस विकार (DSDs) में पुरुष एवं महिला की मिश्रित लैंगिक विशेषता मौज़ूद होती है। इस विकार से ग्रसित व्यक्तियों में भी लिंग गुणसूत्र पाए जा सकते हैं, अर्थात् यदि वे महिला है तो XX गुणसूत्र एवं पुरुष होने की स्थिति में XY गुणसूत्र पाए जाएंगे, लेकिन उस व्यक्ति के प्रजनन अंग और जननेंद्रियाँ -

♦ या तो विपरीत लिंग के होंगे।

♦ या स्पष्ट नहीं होगा कि पुरुष हैं या महिला।

♦ या पुरुष एवं महिला दोनों का मिश्रण होगा।

IAAF के दिशा-निर्देश

IAAF के नए योग्यता विनियमों के अनुसार, एक एथलीट को किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा में भाग लेने के लिये निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है-

  • कानून के समकक्ष उसे या तो महिला या इंटरसेक्स (या समकक्ष) के रूप में पहचान प्राप्त हो।
  • कम से कम छह महीने तक लगातार उसके रक्त के टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) हॉर्मोन का स्तर 5 nmol/L से कम होना चाहिये।
  • उसके बाद जब तक वह स्वयं को योग्य साबित करना चाहती है तब तक उसे अपने रक्त के टेस्टोस्टेरोन का स्तर 5 nmol/L से नीचे रखना होगा।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कितने तार्किक हैं ये दिशा-निर्देश?

  • IAAF के दृष्टिकोण से लैंगिक विकास में विकार (DSDs) वाले एथलीटों में प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक पाया जाता है जिसका उन्हें प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ मिलता है।
  • हालाँकि ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के अनुसार, नए दिशा-निर्देश लैंगिक लाभ वाले कुछ मामलों के लिये अवैज्ञानिक उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। साथ ही मेडिकल प्रोफेशन सिर्फ सीरम टेस्टोस्टेरोन के स्तर के आधार पर जैविक लिंग या शारीरिक कार्य प्रणाली को परिभाषित नहीं करता।

लिंग संबंधी अवास्तविक भ्रांति

  • खिलाड़ियों के अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, जो खेल तथा मानव अधिकारों के मध्य द्वंदों को देखता है, के अनुसार, खेल में भाग लेने संबंधी किसी एथलीट के अधिकार लिंग या कोई अन्य पहचान-संबंधी कारक जिसमें सेक्स भी शामिल है तक सीमित नहीं हो सकते।
  • नियमों के होने का यह अर्थ नहीं कि वे साक्ष्य आधारित हैं नैतिक हैं या प्रभावी हैं। महिला एथलीटों के ‘लैंगिक परीक्षण’ की समस्या का एक लंबा इतिहास रहा है जो इन्हें विरासत में मिला है। यह महज संयोग नहीं है कि इन नियमों के कारण अधिकांशतः सिर्फ अश्वेत और दक्षिण क्षेत्रों की महिलाएँ प्रभावित हो रही हैं जो स्त्रीत्व संबंधी पश्चिमी आदर्शों के अनुरूप नहीं हैं।
  • इस तरह के कृत्रिम भेदभाव से न केवल एथलीट बल्कि सामान्य नागरिक के मामले में भी समाज में बड़े स्तर पर भेदभाव शुरू हो सकता है।
  • क्योंकि ऐसा पाया गया है कि 16% पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम है, जबकि और 14% महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक है।

द कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (The Court of Arbitration for Sport)

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय अर्द्ध-न्यायिक निकाय है।
  • यह खेल संबंधित विवादों के निपटान हेतु एक मध्यस्थ निकाय है।
  • इसका मुख्यालय लुसाने (स्विट्ज़रलैंड) में है।
  • इसके अन्य न्यायालय न्यूयॉर्क शहर और सिडनी में स्थित हैं।

इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन्स (International Association of Athletics Federations- IAAF)

  • इसकी स्थापना स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में 17 जुलाई, 1912 में की गई।
  • उस समय इसका नाम अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक महासंघ (International Amateur Athletic Federation- IAAF) था।
  • 10 दशकों के दौरान एथलेटिक्स में कई परिवर्तन किये गए जिसने दुनिया के राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक विकास को व्यापक रूप से प्रतिबिंबित किया।
  • 2001 में इसका नाम बदलकर इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन्स (International Association of Athletics Federations- IAAF) कर दिया गया।
  • IAAF की स्थापना एक विश्व शासी प्राधिकरण की आवश्यकता को पूरा करने, प्रतियोगिता कार्यक्रम आयोजित करने, मानकीकृत तकनीकी उपकरणों तथा आधिकारिक विश्व रिकॉर्ड की सूची के लिये की गई थी।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू

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