CBI और ED निदेशकों का कार्यकाल विस्तार | 15 Nov 2021
प्रिलिम्स के लिये:केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय मेन्स के लिये:भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में प्रमुख संस्थानों की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रपति ने दो अध्यादेश जारी किये हैं, जो केंद्र सरकार को ‘केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो’ (CBI) और ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (ED) के निदेशकों के कार्यकाल को दो साल से बढ़ाकर पाँच वर्ष करने की अनुमति देते हैं।
- अध्यादेशों के माध्यम से ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946’ और ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003’ में संशोधन किया गया है, ताकि सरकार को दोनों संस्थानों के प्रमुखों को उनके दो वर्ष पूरे करने के बाद एक वर्ष के लिये अपने पदों पर रखने की शक्ति मिल सके।
- केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों का वर्तमान में निश्चित दो साल का कार्यकाल होता है, लेकिन अब उन्हें तीन वार्षिक विस्तार दिये जा सकते हैं।
प्रमुख बिंदु
- ‘दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम’ में संशोधन:
- सार्वजनिक हित में संबंधित समिति (प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता एवं भारत के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्त्व वाली समिति) की सिफारिश के आधार पर निदेशक के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
- बशर्ते कि प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पाँच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई विस्तार प्रदान नहीं किया जाएगा।
- सार्वजनिक हित में संबंधित समिति (प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता एवं भारत के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्त्व वाली समिति) की सिफारिश के आधार पर निदेशक के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
- ‘केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम’ में संशोधन:
- सार्वजनिक हित में संबंधित समिति (जिसमें सीवीसी प्रमुख, राजस्व और गृह सचिव शामिल हैं) की सिफारिश के आधार पर निदेशक के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
- बशर्ते कि प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पाँच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई विस्तार प्रदान नहीं किया जाएगा।
- सार्वजनिक हित में संबंधित समिति (जिसमें सीवीसी प्रमुख, राजस्व और गृह सचिव शामिल हैं) की सिफारिश के आधार पर निदेशक के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
‘केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो’:
- इसकी स्थापना वर्ष 1963 में गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव द्वारा की गई थी।
- वर्तमान में यह कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है।
- भ्रष्टाचार की रोकथाम पर संथानम समिति (1962-1964) द्वारा इसकी स्थापना की सिफारिश की गई थी।
- यह एक वैधानिक निकाय नहीं है। यह दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से अपनी शक्तियाँ प्राप्त करता है।
- यह केंद्र सरकार की प्रमुख जाँच एजेंसी है।
- यह केंद्रीय सतर्कता आयोग और लोकपाल को भी सहायता प्रदान करता है।
- यह भारत में नोडल पुलिस एजेंसी भी है, जो इंटरपोल सदस्य देशों की ओर से जाँच का समन्वय करती है।
- इसका नेतृत्व एक निदेशक करता है।
- CBI के पास आईपीसी के तहत शामिल 69 केंद्रीय कानूनों, 18 राज्य अधिनियमों और 231 अपराधों से संबंधित कानूनों के तहत जाँच करने का क्षेत्र है।
प्रवर्तन निदेशालय:
- प्रवर्तन निदेशालय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत एक विशेष वित्तीय जांँच एजेंसी है।
- 1 मई 1956 को विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 के तहत विनिमय नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग में एक 'प्रवर्तन इकाई' का गठन किया गया था।
- वर्ष 1957 में इस इकाई का नाम बदलकर 'प्रवर्तन निदेशालय' कर दिया गया।
- ED निम्नलिखित कानूनों को लागू करता है: