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जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों का आरोप 'शक्तिशाली गैर-ओडिया' कर रहे साजिश
- 07 Jul 2018
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चर्चा में क्यों?
जगन्नाथ मंदिर में सेवकों की वंशानुगत नियुक्ति को समाप्त करने के संबंध में पुरी ज़िला न्यायाधीश की सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के बाद प्रभावशाली पुजारियों के एक वर्ग ने "राज्य में शक्तिशाली गैर-ओडिया" पर साजिश का आरोप लगाया है| इस बीच, जगन्नाथ मंदिर के पंडितों का मानना है कि वंशानुगत प्रणाली कानूनी रूप से दूर नहीं की जा सकती है। पंडितों ने यह भी कहा कि मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर विचार करने के संबंध में अदालत का सुझाव "हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों के साथ असंगत" है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- मंदिर प्रशासन की स्थिति को लेकर एक सामाजिक कार्यकर्त्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर पहली सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पुरी जिला न्यायाधीश को मंदिर में सुधारों के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
- सुनवाई के दौरान जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर की पीठ ने खुलासा किया कि रिपोर्ट में “वंशानुगत सेवकों / सेवकों की नियुक्ति" को खत्म करने की सिफारिश की गई है”। रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं किया गया है कि नियुक्ति की वैकल्पिक प्रणाली क्या होगी।
- मंदिर में करीब 12,147 सेवक हैं और प्रत्येक की अलग-अलग भूमिका है जैसे, पानी लाना, फूल लाना, मूर्ति की सजावट करना आदि। इन सेवकों का कहना है कि यह कार्य पीढ़ियों से कुछ विशेष परिवारों को ही सौंपा गया है।
- श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन के मुताबिक, कानून में वंशानुगत अधिकारों को खत्म करने के लिये कोई प्रावधान नहीं है| मंदिर के खिलाफ ये सभी हमले राज्य में शक्तिशाली गैर-ओडिया की साजिश है|
- प्रसाद के संग्रहण के खिलाफ अदालत के आदेश का जवाब देते हुए सेवकों द्वारा यह कहा गया कि हज़ारों सेवकों का परिवार अपनी आजीविका के लिये मंदिर पर निर्भर है।
- राज्य सरकार को उनके भोजन, आवास, कपड़े के संबंध में प्रावधान करना चाहिये तत्पश्चात् आदेशों को लागू करना चाहिये।
श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम (1952) के तहत अधिकारों के रिकॉर्ड
- जगन्नाथ मंदिर के एक विद्वान का कहना है कि अधिकारों के रिकॉर्ड (ROR) के अनुसार, सेवकों के वंशानुगत विशेषाधिकारों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नहीं हटाया जा सकता है। उन्होंने कहा मुझे नहीं पता कि ज़िला न्यायाधीश ने किस आधार पर इस तरह की सिफारिश की है।
- श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम (1952) के तहत अधिकारों के रिकॉर्ड, मंदिर के सेवकों के कर्त्तव्यों और विशेषाधिकारों का विस्तृत विवरण प्रदान करता है। दस्तावेज़ के मुताबिक, लगभग 36 श्रेणियों के सेवकों का संबंध वंशानुगत है।
पृष्ठभूमि
- गौरतलब है कि याचिकाकर्त्ता मृणालिनी पाधी ने जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है| उन्होंने अपनी याचिका में बताया कि मंदिर के सेवक देश विदेश से आए श्रद्धालुओं का किस तरह से शोषण करते हैं|
- साथ ही याचिका में कहा गया है कि इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर के आस-पास उतनी साफ-सफाई नहीं है, जितनी ज़रूरत है, साथ ही मंदिर परिसर में अतिक्रमण है|
- कोर्ट मामले में केंद्र, ओडिशा सरकार और मंदिर मैनेजमेंट कमिटी को नोटिस जारी कर चुका है। मंदिर में कथित तौर पर श्रद्धालुओं के शोषण के मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने 8 जून को तमाम निर्देश जारी किये थे।