ग्रेटर मालदीव रिज का विवर्तनिक विकास | 18 Feb 2022
प्रिलिम्स के लिये:ग्रेटर मालदीव रिज, टेक्टोनिक प्लेट, मोहो असंबद्धता, आइसोस्टेसी, ट्रांसफॉर्म फॉल्ट, भूकंपीय तरंगें। मेन्स के लिये:महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भूकंप, ज्वालामुखी, भौगोलिक विशेषताएँ और उनका स्थान, महाद्वीपों का विकास तथा प्लेट टेक्टोनिक्स। |
चर्चा में क्यों?
हाल के एक अध्ययन में भारतीय शोधकर्त्ता ने विवर्तनिक विकास और ग्रेटर मालदीव रिज (GMR) की प्रकृति का पता लगाया है।
- यह पश्चिमी हिंद महासागर में एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूगतिकीय विशेषता है, जिसका मूल कई वैज्ञानिक चर्चाओं का केंद्र रहा है।
- यह अध्ययन भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान, मुंबई (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान) द्वारा आयोजित किया गया था।
विवर्तनिक प्लेटें:
- विवर्तनिक प्लेट (जिसे लिथोस्फेरिक प्लेट भी कहा जाता है) ठोस चट्टान का एक विशाल, अनियमित आकार का स्लैब है, जो आमतौर पर महाद्वीपीय एवं महासागरीय स्थलमंडल दोनों से मिलकर बना होता है।
- लिथोस्फीयर में क्रस्ट और टॉप मेंटल दोनों शामिल होते हैं, जिसकी मोटाई समुद्री भागों में 5-100 किमी. और महाद्वीपीय क्षेत्रों में लगभग 200 किमी. तक होती है।
- विवर्तनिक प्लेट्स की अवधारणा पहली बार वर्ष 1967 में पेश की गई थी।
- विवर्तनिक/टेक्टोनिक प्लेट एक महाद्वीपीय प्लेट या एक महासागरीय प्लेट हो सकती है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि किसी विशिष्ट प्लेट में सबसे अधिक हिस्सा किसका है।
- पैसिफिक प्लेट मुख्य रूप से एक महासागरीय प्लेट है, जबकि यूरेशियन प्लेट एक महाद्वीपीय प्लेट है।
- विवर्तनिक/टेक्टोनिक प्लेट्स स्थिर नहीं होती हैं, बल्कि लगातार क्षैतिज रूप से दुर्बलमंडल में गतिमान होती हैं।
- कभी-कभी ये प्लेटें टकराती हैं, अलग हो जाती हैं, या एक-दूसरे के बगल में खिसक जाती हैं जिससे भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट होता है।
मध्य महासागरीय कटक:
- ‘मध्य महासागरीय कटक’ महासागरीय जल के नीचे की पर्वत शृंखला है, जो विवर्तनिक प्लेट्स द्वारा बनाई गई है।
मोहोरोविकिक असंबद्धता:
मोहोरोविकिक असंबद्धता’ (Mohorovicic Discontinuity), या ‘मोहो’ (Moho) क्रस्ट और मेंटल के बीच की सीमा है। दिये गए चित्र में लाल रेखा इस स्थान को दर्शाती है।
- भू-विज्ञान में "असंबद्धता" शब्द का प्रयोग उस सतह के लिये किया जाता है जिस पर भूकंपीय तरंगें अपननी गति को परिवर्तित करती हैं।
- इनमें से एक सतह समुद्र के बेसिन के नीचे 8 किलोमीटर की औसत गहराई पर और महाद्वीपों के नीचे लगभग 32 किलोमीटर की औसत गहराई पर मौजूद है।
- इस असंबद्धता पर भूकंपीय तरंगों की गति में तीव्रता देखी जाती है। इस सतह को मोहो असंबद्धता (Mohorovicic Discontinuity) के रूप में जाना जाता है या अक्सर इसे ‘मोहो’ कहा जाता है।
- मोहो असंबद्धता की खोज वर्ष 1909 में एक क्रोएशियाई भूकंपविज्ञानी एंड्रीजा मोहोरोविकिक (Andrija Mohorovicic) द्वारा की गई थी।
ग्रेटर मालदीव रिज:
- मालदीव रिज (Maldive Ridge) एक एसिस्मिक रिज (Aseismic Ridge) है जो भूकंपीय गतिविधियों से संबंधित नहीं है। भारत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित इस रिज की अच्छी तरह से जांँच नहीं की गई है।
- एसिस्मिक रिज की संरचना और भू-गतिकी को समझना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है (क्योंकि यह महासागरीय घाटियों के विकास को समझने के लिये महत्त्वपूर्ण सूचना प्रदान करता है)।
अध्ययन के बारे में:
- इसमें उपग्रह-व्युत्पन्न उच्च-रिज़ॉल्यूशन गुरुत्वाकर्षण डेटा (Satellite-Derived High-Resolution Gravity Data) की सहायता से पहली बार GMR के साथ संभावित भूगर्भीय क्रॉस-सेक्शन (Geological Cross-Sections) को चिह्नित किया है।
- सेटेलाइट ‘ग्रेविटी डिराइव्ड एनोमलीज़’ (Satellite-Derived Gravity Anomalies) क्रस्टल की संरचना को समझने में बहुत मददगार हैं जहांँ पारंपरिक शिपबोर्न जियोफिजिकल डेटा (Shipborne Geophysical Data) या तो उपलब्ध नहीं है या कम है।
- शोधकर्त्ताओं ने माना कि GMR एक समुद्री क्रस्ट के नीचे हो सकता है।
- यह पृथ्वी की भू-पर्पटी और मेंटल (Isostasy) के बीच बड़े चागोस-लैकाडिव रिज (CLR) प्रणाली के ग्रेटर मालदीव रिज को गुरुत्वाकर्षण संतुलन की स्थिति प्रदान करता है
- भू-संतुलन पृथ्वी के लिथोस्फीयर के एक हिस्से का ऊपर उठना या संतुलित होना है, यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब लिथोस्फीयर को ऊपर की ओर धकेलने वाले उत्प्लावक बल और लिथोस्फीयर को नीचे की ओर खींचने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के बीच संतुलन बनाए रखने के लिये भार को हटाया या जोड़ा जाता है।
- इनका अध्ययन मुख्य रूप से ब्रॉडबैंड भूकंपीय और अपवर्तन भूकंपीय डेटा के साथ गुरुत्वाकर्षण विसंगतियों (उपसतह के भीतर घनत्व के पार्श्व बदलावों के कारण गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव में छोटे अंतर) की व्याख्या पर आधारित है, पहली बार ग्रेटर मालदीव रिज और आसपास के महासागर घाटियों के साथ मोहो की भिन्नता की त्रि-आयामी तस्वीर प्रदान की गई।
- GMR के ऊपर पृथ्वी की भू-पर्पटी और मेंटल या मोहरोविकिक डिसकंटीनिटी (मोहो) के बीच की सीमा की गहराई वाले क्षेत्र को इफेक्टिव इलास्टिक थिकनेस (Effective Elastic Thickness) की महीन भिन्नता के साथ व्यवस्थित रूप से चित्रित किया गया था।
- अध्ययन में पाया गया कि मोहो एमआर (MR) सेगमेंट में गहरा है और डीप सी चैनल क्षेत्र (DSC) में दक्षिण की ओर उथला है।
- हालाँकि इफेक्टिव इलास्टिक थिकनेस (लिथोस्फीयर की ताकत के लिये एक प्रॉक्सी) का मान DSC क्षेत्र की तुलना में MR से कम था।
- रीयूनियन हॉटस्पॉट ज्वालामुखी (Reunion Hotspot Volcanism) से जुड़ी अंडरप्लेटेड सामग्री की उपस्थिति के साथ MR और DSC क्षेत्र संभवतः समुद्री प्रकृति का हो सकता है।
- अधिकांश ज्वालामुखी गतिविधियाँ प्लेट की सीमाओं के साथ या उसके आस-पास केंद्रित होती हैं, लेकिन कुछ महत्त्वपूर्ण अपवाद हैं जिनमें यह गतिविधि प्लेटों के भीतर होती है, जिन्हें हॉटस्पॉट कहा जाता है।
- दुनिया भर में लगभग 40 से 50 हॉटस्पॉट होने का अनुमान है।
- शोध से पता चलता है कि MR का गठन मध्य-महासागरीय रिज के निकट के क्षेत्र में हुआ होगा (जहाँ लिथोस्फीयरिक प्लेटों या प्रसार केंद्र की विचलन गति के कारण एक नए महासागर तल का निर्माण होता है)।
- इस बीच डीएससी क्षेत्र एक लंबे परिवर्तन तनाव (विस्तारण केंद्रों के बीच ऐसा ऑफसेट, जो न तो लिथोस्फीयर को बनाता है और न ही नष्ट करता है) की स्थिति में था, जिसने पिघलने की प्रक्रिया में बाधा डाली और ‘प्लम रिज इंटरेक्शन’ के दौरान चागोस और MR के बीच की दूरी में वृद्धि हुई।
- मेंटल प्लम पृथ्वी की क्रस्ट के नीचे का एक क्षेत्र है, जहाँ मैग्मा आसपास के मैग्मा की तुलना में अधिक गर्म होता है।
- भूविज्ञान और समुद्र विज्ञान में एक ‘ट्रांसफॉर्म फॉल्ट’, एक प्रकार का दोष है जिसमें दो टेक्टोनिक प्लेट्स एक-दूसरे से आगे निकल जाती हैं।
अध्ययन का महत्त्व:
- यह अध्ययन मूल रूप से गोंडवानालैंड के टूटने और उसके पुनः विस्तार में मदद कर सकता है जिसके कारण महाद्वीपों के वर्तमान विन्यास, महाद्वीपीय टुकड़े और हिंद महासागर में महासागरीय घाटियों का निर्माण हुआ।