प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट, 2021: UNCTAD | 06 Mar 2021
चर्चा में क्यों?
प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट, 2021 के हालिया ‘कंट्री रेडीनेस इंडेक्स’ के अनुसार, भारत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की तुलना में सीमांत प्रौद्योगिकियों में सबसे बड़े 'ओवर परफॉर्मर' के रूप में उभरा।
- इस रिपोर्ट को ‘व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ (UNCTAD) द्वारा जारी किया गया।
प्रमुख बिंदु:
रिपोर्ट के संबंध में:
- रिपोर्ट को व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा जारी किया गया।
- यह उन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों, साधनों और संस्थागत सुधारों को भी संबोधित करता है जिनकी आवश्यकता सभी के लिये एक समान दुनिया बनाने के लिये होती है, जो किसी को भी पीछे नहीं छोड़ते।
महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- सीमांत तकनीकी बाज़ार: रिपोर्ट बताती है कि सीमांत प्रौद्योगिकियाँ पहले से ही 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार का प्रतिनिधित्त्व कर रही हैं, जो कि वर्ष 2025 तक 3.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह विकासशील देशों में नवाचार क्षमता के निर्माण के लिये मज़बूत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान के साथ-साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा देता है।
- समावेशन: इस रिपोर्ट में परिकल्पना की गई है कि यह डिजिटल क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाती है, तकनीकी मूल्यांकन करती है और सतत् विकास पर सीमांत प्रौद्योगिकियों के प्रभाव पर एक समावेशी बहस को बढ़ावा देती है।
- मनुष्य और मशीनों के कार्यों की तुलना: तकनीकी परिवर्तन के माध्यम से नौकरियों, मज़दूरी और निम्न तरीकों से असमानताओं में वृद्धि होती है:
- ऑटोमेशन क्षेत्र की नौकरियाँ।
- रोज़गार विस्थापन के साथ रोज़गार का ध्रुवीकरण भी हो सकता है, जो मध्य स्तरीय वेतन वाली नौकरियों में संकुचन के साथ संयुक्त रूप से उच्च और निम्न स्तरीय वेतन वाली नौकरियों में विस्तार को संदर्भित करता है।
- सीमांत प्रौद्योगिकियों का उपयोग डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से उन सेवाओं को प्रदान करने के लिये किया जा रहा है, जिन्होंने ’गिग अर्थव्यवस्था’ के निर्माण को प्रेरित किया है।
भारत संबंधी निष्कर्ष:
- भारत की वास्तविक सूचकांक रैंकिंग 43 है, जबकि अनुमानित प्रति व्यक्ति आय पर आधारित रैंक 108 है।
- इसका मतलब यह है कि भारत ने 65 देशों से अच्छा प्रदर्शन किया। फिलीपींस के बाद भारत का स्थान था जिसने 57 देशों से अच्छा प्रदर्शन किया।
- भारत ने अनुसंधान और विकास में अच्छा प्रदर्शन किया।
- यह तुलनात्मक रूप से कम लागत पर उपलब्ध योग्य और उच्च कुशल मानव संसाधनों की प्रचुर आपूर्ति के रूप में परिलक्षित होता है।
- हालाँकि संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश सीमांत प्रौद्योगिकियों के लिये "बेस्ट प्रिपेयर्ड" श्रेणी में थे।
विकसित देशों के सम्मुख चुनौतियाँ:
- जननांकिकीय परिवर्तन: निम्न आय और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में विस्तार और युवा आबादी है जो श्रम की आपूर्ति में वृद्धि करेगी और ऑटोमेशन क्षेत्र के प्रभाव को कम करते हुए मज़दूरी को कम करेगी।
- कम तकनीकी और नवाचार क्षमताएँ: कम आय वाले देशों में कम कुशल लोग होते हैं और कृषि पर काफी हद तक निर्भर होते हैं जो नई तकनीकों का लाभ उठाने में अपेक्षाकृत धीमे होते हैं।
- कम विविधीकरण: विकासशील देश आमतौर पर औद्योगिक देशों का अनुकरण कर उनकी अर्थव्यवस्थाओं में विविधता लाने और स्थानीय उपयोग के लिये नई तकनीकों को गृहण करते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया सबसे गरीब देशों में सबसे धीमी है।
- कमज़ोर वित्तपोषण तंत्र: अधिकांश विकासशील देशों ने अपने अनुसंधान एवं विकास व्यय में वृद्धि की है, लेकिन ये अभी भी अपेक्षाकृत कम है।
- बौद्धिक संपदा अधिकार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: सख्त बौद्धिक संपदा संरक्षण सीमांत प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रतिबंधित करेगा जो कृषि, स्वास्थ्य और ऊर्जा जैसे SDG से संबंधित क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं।
सुझाव:
- रिपोर्ट का तर्क है कि सतत् विकास के लिये सीमांत प्रौद्योगिकियाँ आवश्यक हैं, वे प्रारंभिक असमानताओं को भी कम कर सकती हैं।
- यह जोखिम को कम करने के लिये नीतियों पर निर्भर है, साथ ही सीमांत प्रौद्योगिकियाँ समानता बढ़ाने में योगदान करती हैं।
- एक मज़बूत औद्योगिक आधार का निर्माण और सीमावर्ती प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिये एक संतुलित दृष्टिकोण इक्कीसवीं सदी में सफलता प्राप्त करने हेतु ज़रूरी है।
सीमांत प्रौद्योगिकियाँ:
- सीमांत प्रौद्योगिकियों को संभावित विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बड़े पैमाने पर चुनौतियों या अवसरों को संबोधित कर सकती हैं।
- इनमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा, ब्लॉकचेन, 5जी, 3-डी प्रिंटिंग, रोबोटिक्स, ड्रोन, जीन एडिटिंग, नैनो टेक्नोलॉजी और सोलर फोटोवोल्टिक शामिल हैं।
व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD)
- वर्ष 1964 में स्थापित व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development- UNCTAD) विकासशील देशों के विकास के अनुकूल उनके एकीकरण को विश्व अर्थव्यवस्था में बढ़ावा देता है।
- यह एक स्थायी अंतर-सरकारी निकाय है।
- इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
- इसके द्वारा प्रकाशित कुछ रिपोर्ट हैं:
- व्यापार और विकास रिपोर्ट (Trade and Development Report)
- विश्व निवेश रिपोर्ट (World Investment Report)
- न्यूनतम विकसित देश रिपोर्ट (The Least Developed Countries Report)
- सूचना एवं अर्थव्यवस्था रिपोर्ट (Information and Economy Report)
- प्रौद्योगिकी एवं नवाचार रिपोर्ट (Technology and Innovation Report)
- वस्तु तथा विकास रिपोर्ट (Commodities and Development Report)