लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

शासन व्यवस्था

राज्यों को मिलना चाहिये कर छूट में संदेह का लाभ: सुप्रीम कोर्ट

  • 31 Jul 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में न्यायाधीश रंजन गोगोई कि अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायलय की एक पाँच सदस्यीय पीठ ने 21 साल पुराने फैसले को पलटते हुए फैसला सुनाया कि जब कर छूट अधिसूचना में चीजें स्पष्ट न हो तो ऐसी अनिश्चितता का लाभ राज्य के पक्ष में जाना चाहिये। 

प्रमुख बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि यदि कर देनदारी संबंधी अधिनियम में चीजें अस्पष्ट हों तो संदेह का लाभ करदाता को मिलना चाहिये। 
  • पीठ ने कहा कि सरकार की कर रियायत संबंधी अधिसूचना में संदेह की स्थिति में उसके लाभ का दावा करदाता नहीं कर सकता। न्यायलय का मानना है कि ऐसी अधिसूचना का गहराई से विश्लेषण किये जाने की आवश्यकता है।
  • न्यायालय के अनुसार, लाभ की प्रासंगिकता साबित करने की जवाबदेही करदाता पर होगी और करदाता को यह साबित करना होगा कि उसका मामला छूट उपबंध या छूट अधिसूचना के मानदंडों के अंतर्गत आता है। 
  • न्यायलय के अनुसार, जब भी कर रियायत अधिसूचना में कोई संदेह होता है तो इस प्रकार की संदेह की स्थिति का दावा करदाता द्वारा नहीं किया जा सकता और इसे राजस्व (सरकार) के पक्ष में परिभाषित किया जाना चाहिये।
  • संविधान पीठ ने 1997 में तीन न्यायाधीशों की पीठ के उस आदेश को पलट दिया। जिसमें पीठ ने सन एक्सपोर्ट कॉर्पोरेशन बनाम सीमा शुल्क कलेक्टर, बॉम्बे के बीच के विवाद में यह व्यवस्था दी थी कि कर छूट प्रावधान में अगर कोई संदेह पैदा होता है तो इसे करदाता के पक्ष में परिभाषित होना चाहिये और वह इस छूट का दावा कर रहा है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, सन एक्सपोर्ट मामले में फैसला सही नहीं था और जो भी फैसले सन एक्सपोर्ट मामले की तरह के हुये उन्हें पलटा हुआ माना जायेगा।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2