मानवाधिकार पर राष्ट्रीय कार्य योजना | 09 Oct 2019

चर्चा में क्यों?

भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को सुधारने के लिये सरकार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा के तहत मानवाधिकार पर राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan on Human Rights-NAPHR) तैयार करने हेतु एक टास्क फोर्स का गठन करने जा रही है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस (12 अक्तूबर) पर NAPHR की घोषणा की जा सकती है।

पृष्ठभूमि

  • यह योजना 11 वर्षों से (2008 से) लंबित है, जबकि NHRC इसे तैयार करने के लिये सरकार से कई बार आग्रह कर चुका है।
  • योजना तैयार करने के संबंध में अगस्त 2019 में बैठक हुई थी जिसमें टास्क फोर्स के गठन का निर्णय लिया गया ।
  • टास्क फोर्स में केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) सहित सामाजिक न्याय और स्वास्थ्य से संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और परवर्ती चरण में सिविल सोसाइटी के संगठनों से भी परामर्श किया जाएगा।
  • टास्क फोर्स अंतिम ड्राफ्ट तैयार करने से पहले अन्य देशों की योजनाओं की भी जाँच करेगी ।

सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा

(Universal Periodic Review-UPR)

  • UPR संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के तत्त्वावधान में एक राज्य-संचालित प्रक्रिया है जिसमें सदस्य राज्यों को यह बताना पड़ता है कि उन्होंने मानवाधिकार संरक्षण तथा अपने दायित्वों को पूरा करने के लिये क्या कार्रवाई की है।
  • UNHRC के अनुसार, UPR की अभिकल्पना हर देश के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिये की गई है।
  • क्योंकि इस समीक्षा से सभी देशों में उनके क्रियान्वयन को सुधारने के प्रयासों और मानवाधिकारों के उल्लंघन का पता लगाया जा सकता है।
  • एक समीक्षा चक्र साढ़े चार साल तक चलता है, जिसके दौरान सदस्य राज्यों के रिकॉर्ड की समीक्षा की जाती है। पहला चक्र 2008 से 2011 तक चला, जबकि तीसरा चक्र 2017 से चल रहा है।
  • 2017 में संयुक्त राष्ट्र की तीसरी UPR में भारत ने मानवाधिकारों पर 250 सिफारिशों में से 152 को स्वीकार किया।
  • हालाँकि भारत ने सशस्त्र बल विशेष शक्तियाँ अधिनियम (AFSPA)और विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA ) संबंधी कुछ सिफारिशों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
  • UPR-1 और UPR-3 में संयुक्त राष्ट्र ने सिफारिश की है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य सुरक्षा एवं आवास का अधिकार, सभी के लिये न्याय, महिलाओं और बच्चों की तस्करी के विरुद्ध उपाय जैसे मुद्दों को कवर करने हेतु भारत के पास NAPHR होना चाहिये।

मानवाधिकार (Human Rights)

  • संयुक्त राष्ट्र (UN) की परिभाषा के अनुसार ये अधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किये बिना सभी को प्राप्त हैं।
  • मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और काम एवं शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं।
  • कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का हकदार होता है।

NAPHR के लाभ

  • न्याय के प्रशासन की सुदृढ़ता तथा मानवाधिकार संस्थानों को मज़बूत करने और विकास के साथ अधिकारों को संबद्ध करने के लिये NAPHR का निर्माण किया जा रहा है।
  • एक बार NAPHR के कार्यान्वित होने के बाद यह मानवाधिकार रिकॉर्ड के संदर्भ में भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाओं को कम करने और सामाजिक न्याय व्यवस्था को मज़बूत करने में सहायता करेगा ।

स्रोत : हिन्दुस्तान टाइम्स