तमिलनाडु ने नई इकोटूरिज्म नीति का अनावरण किया | 29 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में राज्य की समृद्ध प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये इकोटूरिज्म नीति का अनावरण किया है। नीति में स्थानीय सशक्तीकरण के लिये स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी पर ज़ोर दिया गया है।
नीति के उद्देश्य
- नीति के उद्देश्यों में शामिल हैं- इकोटूरिज्म गंतव्य के रूप में प्राकृतिक क्षेत्रों की पहचान और विकास, मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुरूप पर्यावरण अनुकूल आधारभूत संरचना को बढ़ावा, इकोटूरिज्म स्थलों को विकसित करना, बढ़ावा देना, रख-रखाव के लिये सभी हितधारकों के बीच भागीदारी की सुविधा और आजीविका के अवसरों का निर्माण तथा इकोटूरिज्म के संरक्षण में सहयोग के लिये स्थानीय समुदायों के साथ लाभ साझा करना।
- इकोटूरिज्म जैव विविधता और प्राकृतिक मूल्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि संबंधित ईको-साइट्स के मूल निवासियों, संस्कृतियों और परंपराओं से भी संबंधित है।
- तमिलनाडु में इकोटूरिज्म स्थलों को क्षेत्र के जैव विविधता से जुड़े अद्वितीय सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के लिये महत्त्वपूर्ण साधनों के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
योजनाबद्ध गतिविधियाँ
- राज्य का वन विभाग नीति लागू करने के लिये नोडल एजेंसी होगा और स्टेट इकोटूरिज्म बोर्ड (SEB) के रूप में एक स्पेशल पर्पज़ व्हीकल (SPV) तैयार करेगा।
- इकोटूरिज्म विभिन्न लक्षित समूहों की आवश्यकताओं को पूरा करेगा। इसमें लंबी पैदल यात्रा, ट्रेकिंग (trekking), वन्यजीवों को देखना, नौकायन, फोटोग्राफी, संरक्षित क्षेत्र में औषधीय पौधों को देखने, शिल्प निर्माण, स्थानीय हस्तशिल्प, स्थानीय त्योहारों को बढ़ावा देना और साहसिक खेल शामिल होंगे।
- तटीय आर्द्रभूमि स्थलों में समृद्ध तथा विशेष वनस्पतियों और जीवों को देखने और उनकी सराहना करने के लिये स्नॉर्कलिंग (snorkelling), स्कूबा डाइविंग (scuba diving), टहलना और नाव की सवारी जैसी गतिविधियों को शामिल किया जा सकता है।
- SEB मूल्य निर्धारण, उचित पैकेजिंग और इकोटूरिज्म स्थलों की ब्रांडिंग पर एक रणनीति को अंतिम रूप देगा।
- इस नीति की समीक्षा पाँच साल बाद की जाएगी।