आयोडीन युक्त नमक और भारत | 10 Sep 2019
चर्चा में क्यों?
आयोडीन युक्त नमक के कवरेज को मापने हेतु किये गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, देश में नमक का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद तमिलनाडु में आयोडीन युक्त नमक की सबसे कम खपत होती है।
सर्वेक्षण के मुख्य बिंदु:
- अध्ययन में पाया गया है कि 76.3 प्रतिशत भारतीय परिवार पर्याप्त मात्रा में आयोडीन युक्त नमक का सेवन करते है।
- आयोडीन युक्त नमक का सबसे कम प्रयोग करने वाले 5 राज्य निम्नलिखित हैं:
- तमिलनाडु (61.90%)
- आंध्र प्रदेश (63.90%)
- राजस्थान (65.50%)
- ओडिशा (65.80%)
- झारखंड (68.80%)
- आयोडीन युक्त नमक का सबसे अधिक प्रयोग करने वाले 5 राज्य निम्नलिखित हैं:
- जम्मू-कश्मीर (99.80%)
- नगालैंड (99.70%)
- मणिपुर (99.50%)
- मिज़ोरम (99.20%)
- मेघालय (98.40%)
- उपरोक्त सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करने में सबसे आगे हैं।
- गुजरात अकेले देश में 71 प्रतिशत नमक का उत्पादन करता है, जिसके कारण वह देश में नमक का सबसे बड़ा उत्पादक है। गुजरात के बाद राजस्थान (17%) तथा तमिलनाडु (11%) का स्थान आता है। शेष देश में नमक का उत्पादन मात्र 1 प्रतिशत है।
उल्लेखनीय है कि अक्तूबर 2018 से मार्च 2019 के बीच हुए इस सर्वेक्षण में भारत के 29 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों के कुल 21,406 परिवारों को शामिल किया गया था।
आयोडीन
- आयोडीन एक खनिज पदार्थ है जो आमतौर पर समुद्री भोजन, डेयरी उत्पादों, अनाज और अंडे में पाया जाता है।
- दुनिया भर में आयोडीन की कमी एक गंभीर समस्या है। वैश्विक स्तर पर 2 बिलियन लोग आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के खतरे में हैं।
- आयोडीन की कमी को रोकने में मदद करने के लिये इसे घरेलू नमक में मिलाया जाता है।
- भारत में वर्ष 1992 में मानव उपभोग के लिये आयोडीन युक्त नमक को अनिवार्य किया गया था। इस अनिवार्यता को वर्ष 2000 में शिथिल कर दिया गया, परंतु 2005 में इसे फिर से लागू कर दिया गया।
- वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भी आयोडीन की कमी के नियंत्रण के लिये इसके उपयोग को अनिवार्य कर दिया था।
हमें आयोडीन की आवश्यकता क्यों
- थायराइड ग्रंथि (Thyroid Gland) के माध्यम से हमारे शरीर के उचित कामकाज और विकास को पूरा करने के लिये हमें आयोडीन की आवश्यकता होती है।
- हमारे शरीर में लगभग 70-80 प्रतिशत आयोडीन थायराइडग्रंथि में मौजूद होता है और इसका उपयोग थायराइडहार्मोन (Thyroid Hormones) बनाने के लिये किया जाता है।
- भोजन से आयोडीन को थायराइडग्रंथि द्वारा अवशोषित किया जाता है ताकि थायराइड हार्मोन का उत्पादन किया जा सके जो हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्यों को विनियमित करने हेतु ज़िम्मेदार है।
- शरीर के विकास के लिये
- शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिये
- प्रजनन के लिये
- मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के लिये
- हृदय की गति को नियंत्रित करने के लिये
आयोडीन की कमी के प्रभाव
- आयोडीन की कमी से थायराइडग्रंथि की कार्यक्षमता बाधित होती है जिससे या तो थायराइडग्रंथि का आकार बढ़ जाता है या फिर उसकी गतिविधि अपेक्षाकृत कम हो जाती है। थायराइडग्रंथि की गतिविधि का कम हो जाना हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) कहलाता है।
- जो लोग हाइपोथायराइडिज्म से पीड़ित होते हैं उनका वज़न बढ़ने लगता है एवं उन्हें वज़न घटाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोग जल्द ही थका हुआ महसूस करते हैं एवं उन्हें ठंड भी अपेक्षाकृत काफी जल्दी लगती है।
- गर्भावस्था के दौरान माँ और बच्चे दोनों के लिये आयोडीन की कमी खतरनाक साबित हो सकती है।
- गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की गंभीर कमी के कारण गर्भपात की भी संभावना रहती है। शोधों के अनुसार, तकरीबन 100 में से 6 गर्भपात के मामले आयोडीन की अत्यधिक कमी के कारण होते हैं।
रोकथाम हेतु उपाय
- चूँकि हमारा शरीर स्वाभाविक रूप से आयोडीन नहीं बनाता है, इसलिये हमारा आहार हमें आयोडीन की उचित मात्रा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) आयोडीन की कमी से निपटने के लिये अपने आहार में आयोडीन युक्त भोजन जैसे-समुद्री भोजन, डेयरी उत्पाद, अंडे और मांस को शामिल करने की सिफारिश करता है।