अंतर्राष्ट्रीय संबंध
तालिबान, अफगानिस्तान में संघर्ष विराम हेतु सहमत
- 30 Dec 2019
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प्रीलिम्स के लिये:
अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति
मेन्स के लिये:
अफगानिस्तान समस्या का कारण, प्रभाव और समाधान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में तालिबान परिषद (Taliban council) ने अफगानिस्तान में एक अस्थायी संघर्ष विराम के लिये सहमति व्यक्त की। अनुमानतः इसके पश्चात् एक विंडो के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ स्थायी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया जा सकता है।
- अमेरिका द्वारा किसी भी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने से पहले संघर्ष विराम की मांग की गई थी। शांति समझौते के बाद अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में 18 वर्ष से सक्रिय सैन्य अभियान को समाप्त कर अपने सैनिकों को वापस लाया जा सकेगा।
- अमेरिकी द्वारा विशेष शांति दूत के रूप में नियुक्त ज़ल्माय खलीलज़ाद (Zalmay Khalilzad) सितंबर 2018 से ही धार्मिक मिलिशिया के साथ शांति हेतु वार्ता कर रहे हैं। मिलिशिया (Militia) को एक नागरिक सेना के रूप में समझा जा सकता है। यह विशेष परिस्थितियों में सैनिकों को सहायता प्रदान करती है या सैनिकों के रूप में कार्य भी करती है।
- पिछले वर्ष प्रारंभ की गई वार्ता के दौरान दोनों पक्षों को शांति समझौते पर हस्ताक्षर करना था लेकिन इसी बीच काबुल में हिंसा बढ़ने से एक अमेरिकी सैनिक की मृत्यु हो गई जिससे वार्ता को रोक दिया गया।
- इसके पश्चात् अमेरिकी राष्ट्रपति की अफगानिस्तान यात्रा ने शांति वार्ता में सकारात्मक भूमिका का निर्वहन किया तथा तालिबान भी हिंसा में कमी करने की घोषणा के साथ वार्ता हेतु सहमत हुआ।
अफगानिस्तान समस्या की पृष्ठभूमि:
- अफगानिस्तान समस्या के लिये सबसे अधिक ज़िम्मेदार तालिबान है। इसका उदय 90 के दशक में उत्तरी पाकिस्तान में अफगानिस्तान से सोवियत संघ सेना की वापसी के पश्चात् हुआ। उत्तरी पाकिस्तान के साथ-साथ तालिबान ने पश्तूनों के नेतृत्व में अफगानिस्तान में भी अपनी मज़बूत पृष्ठभूमि बनाई।
- विदित है कि तालिबान की स्थापना और प्रसार में सबसे अधिक योगदान धार्मिक संस्थानों एवं मदरसों का था जिन्हें सऊदी अरब द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता था।
- अफगानिस्तान से सोवियत संघ की वापसी के पश्चात् वहाँ कई गुटों में आपसी संघर्ष शुरू हो गया था और इससे जन-सामान्य बुरी तरह से परेशान था ऐसी परिस्थिति में राजनीतिक स्थिरता को ध्यान में रखकर अफगानिस्तान में भी तालिबान का स्वागत किया गया।
- प्रारंभ में तालिबान को भ्रष्टाचार और अव्यवस्था पर अंकुश लगाने तथा विवादित क्षेत्रों में अपना नियंत्रण स्थापित कर शांति स्थापित करने जैसी गतिविधियों के कारण सफलता मिली।
- प्रारंभ में दक्षिण-पश्चिम अफगानिस्तान में तालिबान ने अपना प्रभाव बढ़ाया तथा इसके पश्चात् ईरान सीमा से लगे हेरात प्रांत पर अधिकार कर लिया।
- धीरे-धीरे तालिबान पर मानवाधिकार का उल्लंघन और सांस्कृतिक दुर्व्यवहार के आरोप लगने लगे। तालिबान द्वारा विश्व प्रसिद्ध बामियान बुद्ध प्रतिमाओं को नष्ट करने की विशेष रूप से आलोचना की गई।
- तालिबान द्वारा न्यूयॉर्क पर किये गए हमले के पश्चात् इसका वैश्विक स्तर पर प्रभाव बढ़ा इसके शीर्ष नेता ओसामा बिन लादेन को इन हमलों का दोषी बताया गया।
- पिछले कुछ समय से अफगानिस्तान में तालिबान का दबदबा फिर से बढ़ा है और पाकिस्तान में भी उसकी स्थिति मज़बूत हुई है।
- अफगानिस्तान के बारे में?
- अफगानिस्तान दक्षिण पश्चिम एशिया में मुसलमान बाहुल्य जनसंख्या वाला, पामीर पठार के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक स्थलबद्ध देश है।
- काबुल अफगानिस्तान की राजधानी एवं प्रमुख नगर है। कंधार, हेरात, मज़ार-ए-शरीफ और जलालाबाद आदि अन्य मुख्य नगर हैं। अफगानिस्तान की राज्यभाषा पश्तो है।
- अफगानिस्तान के आमू एवं उसकी सहायक कुंदज तथा कोक्चा नदियों द्वारा निर्मित उत्तरी मैदानी भाग को छोड़कर इसका अधिकतर भाग पहाड़ी और पठारी है, जो शेल और चूना पत्थरों से बना है। यहाँ ग्रेनाइट भी मिलता है।
- अफगानिस्तान की मुख्य पर्वत श्रेणी हिंदूकुश है। हिंदूकुश को कोह-ए-बाबा, फिरोज़ कोह और कोह-ए-सफेद जैसे क्षेत्रीय नामों से भी जाना जाता हैं। हिंदूकूश पर्वत के प्रमुख दर्रे खैबर, गोमल एवं बोलन है। प्राचीनकाल में इन्हीं दर्रो से होकर सर्वप्रथम आर्य लोग तथा बाद में मुसलमान, मुगल और अन्य विदेशी भारत आए।
- कार्बनिफेरस युग के पहले यह क्षेत्र टेथिस सागर का एक भाग था। परवर्ती काल में यह ऊपर उठने लगा तथा यहाँ के पठारों एवं पर्वतों का निर्माण तृतीय कल्प (टर्शियरी युग) में हिमालय और आल्प्स के निर्माण के साथ हुआ।
- अफगानिस्तान खनिज पदार्थों की दृष्टि से एक संपन्न देश है, परंतु इसका अभी तक पूरी तरह विकास नहीं हो सका है। निम्न कोटि का कोयला घोरबंद की घाटी में और लटाबाद के समीप मिलता है। नमक कटाघम क्षेत्र में मिलता है। अन्य खनिज पदार्थो में तांबा, हिंदूकुश में; सीसा, हज़ारा में; चाँदी, हज़ाराजत एवं पंजशीर की घाटी में; लोहा घोरबंद की घाटी एवं काफिरिस्तान में; गंधक, मयमाना प्रांत एवं कामार्द की घाटी में; अभ्रक, पंजशीर की घाटी में मिलता है।
- आमू, हरी रूद, मुर्घाब, हेलमाँद, काबुल आदि अफगानिस्तान की प्रमुख नदियाँ हैं। आमू तथा काबुल के अतिरिक्त अन्य नदियाँ अंत:स्थल परिवाही हैं। आमू नदी रोशन एवं दरवाज़ नामक पर्वत श्रेणियों से निकलकर अफगानिस्तान की उत्तरी सीमा निर्धारित करती है। आमू नदी द्वारा अफगानिस्तान के इतर तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान और कज़ाखस्तान में निर्मित मैदान को तूरान का मैदान के नाम से जाना जाता है।
- हेलमाँद अफगानिस्तान की सर्वाधिक लंबी नदी है जो हज़ारा एवं दक्षिणी पश्चिमी मरुस्थल से होती हुई सिस्तान क्षेत्र में विलुप्त हो जाती है।
- दक्षिणी मरुस्थल के पश्चिमी भाग में सिस्तान एवं पूर्व में रेगस्तान नामक मरुस्थल हैं। इस क्षेत्र का जलपरिवाह (Drainage) हमुन-ए-हेलमाँद तथा गौद-ए-ज़िर्रेह नामक झीलों में होता है।