तब्लीगी जमात | 07 Apr 2020
प्रीलिम्स के लिये:तब्लीगी जमात मेन्स के लिये:धार्मिक चरमपंथ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इस्लामिक संगठन तब्लीगी जमात संगठन उस समय चर्चा में रहा, जब इस संगठन के दिल्ली मुख्यालय में आयोजित एक धार्मिक मंडली के एक दर्जन से अधिक लोग COVID-19 से पाज़िटिव पाए गए।
मुख्य बिंदु:
- निजामुद्दीन (दिल्ली) में मार्च के शुरुआत में होने वाली तब्लीगी जमात की सभा में इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों से कम-से-कम 2,000 लोग शामिल हुए थे।
- समूह के नेता के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने ‘महामारी रोग अधिनियम’ (Epidemic Disease Act- EDA) के तहत मामला दर्ज किया है।
तब्लीगी जमात का उद्भव:
- तब्लीगी जमात (अर्थात धर्म प्रचारकों की सोसाइटी) की स्थापना देवबंद इस्लामिक विद्वान मोहम्मद इलियास अल-कंधलावी ने मेवात (भारत) में वर्ष 1926 में की थी।
- मेवात उत्तर-पश्चिमी भारत में हरियाणा और राजस्थान राज्यों का एक ऐतिहासिक क्षेत्र है।
संगठन का लक्ष्य:
- भारत ने 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में ‘देवबंद विचारधारा’ तथा 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत में हिंदू धर्म में पुनरुत्थानवादी आंदोलनों जैसे- ‘शुद्धि आंदोलन’ आदि देखने को मिले। इसी समय एक धार्मिक पुनरुत्थानवादी संगठन के रूप में तब्लीगी जमात की स्थापना की गई।
- इस संगठन का लक्ष्य मुस्लिम समाज के पुनरुत्थान के लिये समर्पित प्रचारकों का एक समूह स्थापित करना था जो 'सच्चे' इस्लाम को पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्य करें।
- संगठन ने स्थापना के शुरुआती समय में अपने नेताओं की मुख्य शिक्षाओं तथा जीवन शैली के आधार पर इस्लाम में विश्वास जगाने की दिशा में कार्य किया।
संगठन का विस्तार:
- तब्लीगी जमात की स्थापना मेवात क्षेत्र में की गई थी। वहाँ मुस्लिमों में ‘मेव समुदाय’ (जो की मूलत: राजपूत जातीय समूह से संबंधित थे) ने इस संगठन की परंपराओं का पालन किया।
- ब्रिटिश भारत में संगठन का तेज़ी से विस्तार हुआ तथा नवंबर 1941 में आयोजित इस संगठन के वार्षिक सम्मेलन में लगभग 25,000 लोगों ने भाग लिया।
- विभाजन के बाद पाकिस्तान तथा पूर्वी पाकिस्तान (बाद में बांग्लादेश निर्माण) में यह संगठन काफी मज़बूत हुआ। वर्तमान समय मे बांग्लादेश में तब्लीगी जमात की सबसे बड़ी राष्ट्रीय शाखा है।
- वर्तमान में यह संगठन 150 से अधिक देशों में कार्य कर रहा है तथा इन देशों में इसके लाखों अनुयायी हैं।
संगठन की विचारधारा:
- तब्लीगी जमात ने मुस्लिमों से पैगंबर की तरह जीवन जीने को कहा। वे सूफी इस्लाम की विचारधारा का धार्मिक आधार पर विरोध करते हैं। वे अपने सदस्यों को पैगंबर की तरह कपड़े पहनने (पतलून जो टखने से ऊपर होने चाहिये) का समर्थन करते हैं। पुरुष आमतौर पर अपने ऊपरी होंठ की मूँछों को साफ तथा लंबी दाढ़ी रखते हैं।
- इस संगठन का मुख्य कार्य मुस्लिम धर्म के 'शुद्धिकरण' पर केंद्रित था न कि अन्य धर्मों के लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करने पर।
संगठन की संरचना:
- संगठनात्मक ढाँचा बहुत ही सामान्य है। संगठन के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्त्व आमिर नामक नेता द्वारा किया जाता है, जो हमेशा समूह के संस्थापक मोहम्मद इलियास अल-कांधलावी से संबंधित होते हैं। वर्तमान नेता मौलाना साद कांधलवि है जो इस संगठन के संस्थापक के पोते हैं।
- समूह में एक शूरा परिषद (Shura Council) भी होती है, जो की एक सलाहकार परिषद का कार्य करती है।
संगठन की गतिविधियाँ:
- तब्लीगी जमात खुद को एक गैर-राजनीतिक तथा धार्मिक हिंसा का समर्थन न करने वाले संस्थान के रूप में देखती है। इस समुदाय का मानना है कि पैगंबर मोहम्मद ने सभी मुसलमानों को अल्लाह का संदेश देने की आज्ञा दी है तथा तब्लीगी लोग इसका अपने कर्तव्य के रूप में पालन करते हैं।
- वे खुद को छोटे जमातों (समाज) में विभाजित करते हैं और इस्लाम के संदेश को मुस्लिमों तक पहुँचाने के लिये दुनिया भर की यात्रा करते हैं। इस यात्रा के दौरान वे स्थानीय मस्जिदों में ठहरते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी मुद्दे:
- समूह शांतिपूर्ण तरीके से कार्य करता है और यह मुख्यत: मुस्लिम समुदाय के लिये कार्य करता है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advise- NSA) के अनुसार संगठन में रहस्यवाद की संस्कृति है, जो इस संगठन के प्रति संदेह पैदा करता है।
- आंदोलन को सरकार द्वारा कभी नकारात्मक दृष्टि से नहीं देखा गया लेकिन तब्लीगी जमात को कुछ मध्य एशियाई देशों जैसे कि उज़्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और कज़ाकिस्तान में प्रतिबंधित कर दिया गया है, उनका मानना है कि इस संगठन द्वारा चलाया जाने वाला शुद्धतावादी आंदोलन, चरमपंथी को बढ़ावा देता है।