प्रारंभिक परीक्षा
राज्य संप्रतीक
- 17 Jan 2025
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स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) से अनुमोदन के बाद त्रिपुरा द्वारा अपने पहले आधिकारिक राज्य संप्रतीक का अनावरण किया गया, जिससे इस मुद्दे पर विमर्श को बढ़ावा मिला है।
- त्रिपुरा सरकार के संप्रतीक/प्रतीक के प्रस्ताव को भारत का राज्य संप्रतीक (प्रयोग का विनियमन) नियम, 2007 के नियम 4(2) के अंतर्गत अनुमोदित किया गया है।
राज्य के ध्वज, प्रतीक और गीत से संबंधित प्रावधान क्या हैं?
- राज्य ध्वज: भारत में राज्यों का अपना राज्य ध्वज हो सकता है, जब तक कि वह संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, 1950, भारतीय ध्वज संहिता, 2002 और राष्ट्र-गौरव अपमान-निवारण अधिनियम, 1971 के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का स्थान न ले ले या उसका विरोधाभाषी न हो।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने S. R. बोम्मई बनाम भारत संघ मामले 1994 में फैसला दिया था कि राज्य अपने स्वयं के झंडे रख सकते हैं, जब तक उससे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान न हो।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि भारत के संविधान द्वारा राज्यों को अपने स्वयं के ध्वज अपनाने पर रोक नहीं लगाई गई है।
- इसने कहा कि राज्य ध्वज को हमेशा राष्ट्रीय ध्वज के नीचे फहराया जाना चाहिये और यह उसके साथ नहीं फहराया जा सकता है तथा इसका उपयोग आधिकारिक या वैधानिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता है।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने S. R. बोम्मई बनाम भारत संघ मामले 1994 में फैसला दिया था कि राज्य अपने स्वयं के झंडे रख सकते हैं, जब तक उससे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान न हो।
- राज्य प्रतीक: भारत का राज्य प्रतीक, भारत के राज्य संप्रतीक (अनुचित प्रयोग प्रतिषेध) अधिनियम, 2005 के अंतर्गत विनियमित होता है।
- भारत में राज्य अपना प्रतीक चिह्न अपना सकते हैं, लेकिन राज्य प्रतीकों के लिये उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी लेनी पड़ती है।
- राज्य के प्रतीकों के अधिकृत उपयोगों में आधिकारिक मुहरें, स्टेशनरी, वाहन और प्रमुख सार्वजनिक भवन शामिल हैं। व्यक्तिगत, संगठनात्मक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये अनधिकृत उपयोग सख्त वर्जित है।
- राज्य गीत: भारत में राज्य गीतों पर एक समान कानून का अभाव है, जिन्हें आमतौर पर राज्य विधानसभाओं या कार्यपालिकाओं द्वारा अनुमोदित किया जाता है। ये गीत राज्य की विरासत को दर्शाते हैं तथा आधिकारिक कार्यक्रमों में गाए जाते हैं, जिससे राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रगान का सम्मान सुनिश्चित होता है।
- उदाहरण: पश्चिम बंगाल ने पोइला बैसाख (बैसाख के बंगाली महीने का पहला दिन) को राज्य दिवस (या बांग्ला दिवस) के रूप में घोषित किया, और रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित बांग्लार माटी बांग्लार जल को राज्य गीत के रूप में घोषित किया।
नोट: संविधान का अनुच्छेद 51A (मौलिक कर्त्तव्य) नागरिकों पर उनके मौलिक कर्त्तव्यों के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय और राज्य प्रतीकों का सम्मान करने का नैतिक कर्त्तव्य डालता है।
- अनुच्छेद 51A (a): संविधान का पालन करना तथा उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रगान का आदर करना।
संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, 1950 क्या है?
- परिचय:
- संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, 1950 उचित अनुमति के बिना निजी संस्थाओं द्वारा वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिये राष्ट्रीय प्रतीकों, नामों और चिह्नों के अनधिकृत उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।
- यह अधिनियम राज्य प्रतीकों पर भी लागू होता है, जिसका अर्थ है कि राज्य के प्रतीकों और नामों को भी इस कानून के तहत संरक्षित किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य प्रतीकों का उचित प्राधिकरण के बिना वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिये दुरुपयोग न किया जाए।
- अनुचित उपयोग का निषेध:
- अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत अनुसूची में सूचीबद्ध नामों या प्रतीकों अथवा उनकी प्रतिकृति का, व्यापार, कारोबार, पेशे, या ट्रेडमार्क/पेटेंट के रूप में, केंद्र सरकार अथवा किसी प्राधिकृत अधिकारी की पूर्वानुमति के बिना उपयोग किया जाना प्रतिबंधित है।
भारतीय झंडा संहिता, 2002
- परिचय:
- भारतीय झंडा संहिता, 2002 में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग, प्रदर्शन और फहराने के नियमों का उल्लेख किया गया है ।
- यह राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 द्वारा अधिनियमित है।
- प्रमुख प्रावधान:
- सामग्री और निर्माण:
- राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते गए, हाथ से बुने हुए या मशीन से बने सामग्रियों जैसे कपास, पॉलिएस्टर, ऊन या रेशम से बना होना चाहिये। दिसंबर 2021 के संशोधन के पश्चात् पॉलिएस्टर और मशीन से बने झंडों को अनुमति दी गई है।
- आरोहण एवं प्रदर्शन:
- व्यक्ति, संगठन या संस्थाएँ किसी भी दिन सम्मान के साथ ध्वज फहरा सकते हैं। जुलाई 2022 में संशोधन के तहत इसे खुले में या निजी संपत्तियों पर दिन-रात फहराने की अनुमति दी गई है।
- डिज़ाइन और आयाम:
- झंडा आयताकार होना चाहिये, जिसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 होना चाहिये।
- प्रतिबंध:
- ध्वज को अन्य झंडों के साथ एक ही ध्वजारोहण केंद्र से नहीं फहराया जा सकता।
- इसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल आदि जैसे गणमान्य व्यक्तियों के अलावा अन्य किसी के वाहन पर नहीं फहराया जा सकता।
- किसी अन्य ध्वज या पताका को राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर या बगल में नहीं रखा जाना चाहिये।
- सामग्री और निर्माण:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. आंध्र प्रदेश के मदनपल्ली के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2021) (a) पिंगली वेंकैया ने यहाँ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का डिज़ाइन किया। उत्तर: (c) |