अपशिष्ट उत्पादकों पर SWM उपकर | 21 Jun 2024

प्रिलिम्स के लिये:

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन उपकर, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, लैंडफिल, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 

मेन्स के लिये:

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित मुद्दे, SWM पर उपकर बढ़ाने की आवश्यकता।

स्रोत:द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बंगलुरु ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) प्रक्रिया में वित्तीय कमी से निपटने हेतु प्रत्येक घर पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) उपकर को बढ़ाकर 100 रुपए प्रति माह करने का प्रस्ताव किया है। 

  • वर्तमान में ULBs द्वारा SWM सेवाओं के लिये लगभग 30-50 रुपए प्रतिमाह लिये जाते हैं, जिसका संग्रहण अक्सर संपत्ति कर के साथ किया जाता है।

SWM उपकर: 

  • परिचय:
    • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) उपकर, भारत में शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) द्वारा लगाया जाने वाला एक उपयोगकर्त्ता शुल्क या प्रभार है। 
      • उपकर एक प्रकार का कर या शुल्क है जो सरकारों द्वारा विशिष्ट सेवाओं या उद्देश्यों (जैसे- अपशिष्ट प्रबंधन या बुनियादी ढाँचे के विकास) हेतु लगाया जाता है।
  • विधिक प्रावधान:
    • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, शहरी स्थानीय निकायों को SWM सेवाओं हेतु उपयोगकर्त्ता शुल्क या उपकर वसूलने का अधिकार है। बढ़ते खर्चों एवं ठोस अपशिष्ट के कुशलतापूर्वक प्रबंधन के क्रम में शहरी स्थानीय निकायों के समक्ष आने वाली कठिनाइयों के संदर्भ में इस शुल्क को बढ़ाने पर विचार किया जाता है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016:

  • इन नियमों द्वारा नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन एवं हैंडलिंग) नियम, 2000 का स्थान लिया गया। 
  • इसमें स्रोत पर अपशिष्ट के पृथक्करण, सैनिटरी और पैकेजिंग अपशिष्टों के निपटान हेतु उत्पादक के उत्तरदायित्व के साथ अपशिष्ट के संग्रहण, निपटान एवं प्रसंस्करण हेतु उपयोगकर्त्ता शुल्क पर बल दिया गया।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • अपशिष्ट पृथक्करण और निपटान: लोगों के लिये अपशिष्ट को गीला (बायोडिग्रेडेबल), सूखा (पुनर्नवीनीकरण योग्य) तथा खतरनाक श्रेणियों में पृथक करना चाहिये। पृथक किया गया अपशिष्ट, अधिकृत संग्रहकर्ताओं या स्थानीय निकायों के पास जाएगा।
    • भुगतान: स्थानीय लोगों को अपशिष्ट के संग्रह के बदले में उपयोगकर्त्ता शुल्क का भुगतान करने के साथ अपशिष्ट फैलाने या अलग न करने पर ज़ुर्माना देना होगा।
    • अपशिष्ट प्रसंस्करण: इसमें संभव होने पर SWM नियमों के तहत अपशिष्ट से खाद बनाने या इसके जैव-मीथेनेशन को प्रोत्साहित करने के साथ लैंडफिल, अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र एवं पहाड़ी क्षेत्रों हेतु विशेष हैंडलिंग नियमों जैसे प्रावधान शामिल हैं।
    • स्थानीय प्राधिकरणों के कर्त्तव्य: नगर पालिकाओं को अपशिष्ट को इकट्ठा करने, उचित प्रसंस्करण/निपटान सुनिश्चित करने तथा संबंधित खर्चों हेतु उपयोगकर्त्ता शुल्क लगाने पर बल देना चाहिये।
    • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व: डिस्पोजेबल (पैकेजिंग) के उत्पादकों की इसके संग्रहण तथा अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को वित्तीय रूप से समर्थन देने की ज़िम्मेदारी है।

अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित अन्य पहल:

  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (PWM) नियम, 2016 एवं प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022
  • जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
  • वेस्ट टू वेल्थ पोर्टल: इसका उद्देश्य ऊर्जा उत्पन्न करने, सामग्रियों को पुनः चक्रित करने और मूल्यवान संसाधनों को निकालने के लिये अपशिष्ट का उपचार करने हेतु प्रौद्योगिकियों की पहचान करना है, जिसमें उनका विकास करना और उनका उपयोग करना शामिल है।
  • वेस्ट टू  एनर्जी: वेस्ट टू एनर्जी या अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र नगरपालिका एवं औद्योगिक ठोस अपशिष्ट को औद्योगिक प्रसंस्करण हेतु विद्युत या ऊष्मा में परिवर्तित करता है।
  • प्रोजेक्ट रिप्लान (REPLAN): इसका उद्देश्य प्रसंस्कृत और उपचारित प्लास्टिक अपशिष्ट को कॉटन फाइबर रैग (Cotton Fibre Rag) के साथ 20:80 के अनुपात में मिलाकर कैरी बैग का निर्माण करना है।

SWM उपकर संग्रह बढ़ाने के पीछे क्या तर्क है?

  • SWM सेवाओं की उच्च लागत: SWM प्रक्रिया अत्यधिक जटिल और संसाधन-गहन है, जो ULB के वार्षिक बजट का 50% तक खर्च करती है।
    • व्यय में पूंजी निवेश के साथ-साथ वेतन, अपशिष्ट संग्रहण और अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों के संचालन सहित परिचालन लागतें भी शामिल हैं।
  • राजस्व संबंधी चुनौतियाँ: SWM पर उच्च व्यय के बावजूद, इन सेवाओं से प्राप्त राजस्व न्यूनतम है।
    • उदाहरण के लिये, बंगलुरु SWM सेवाओं पर लगभग 1,643 करोड़ रुपए खर्च करता है, जबकि SWM सेवाओं से प्राप्त राजस्व, प्राप्त अनुदान को छोड़कर, लगभग नगण्य अथवा 20 लाख रुपए प्रतिवर्ष है।
  • सीमित पुनर्चक्रणीयता: शुष्क अपशिष्ट का मात्र 1-2% ही पुनर्चक्रणीय है, जबकि अधिकांश अपशिष्ट गैर-पुनर्चक्रणीय और गैर-जैवनिम्नीकरणीय है, जिससे पुनर्चक्रण प्रयासों से नगण्य राजस्व प्राप्त होता है, जिसके परिणामस्वरूप शहरी स्थानीय निकायों के वित्तीय संसाधनों पर और अधिक दबाव पड़ता है।
  • परिचालन संबंधी चुनौतियाँ: स्रोत पर अपशिष्ट का उचित पृथक्करण प्रायः नहीं होता है, जिससे अपशिष्ट का प्रसंस्करण जटिल हो जाता है।
    • अपशिष्ट के प्रसंस्करण से प्राप्त तैयार उत्पादों के लिये सीमित बाज़ार है, जिससे यह वित्तीय रूप से अव्यवहारिक हो जाता है।
  • निपटान लागत: गैर-खाद योग्य और गैर-पुनर्चक्रणीय शुष्क अपशिष्ट का निपटान एक महत्त्वपूर्ण व्यय है, विशेष रूप से परिवहन लागत के कारण, क्योंकि उचित अपशिष्ट निपटान की सुविधाएँ प्रायः शहरी केंद्रों से दूर स्थित होती हैं।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तरीके

  • पुनर्चक्रण: कागज़, प्लास्टिक, धातु और काँच जैसी पुरानी सामग्रियों को नए उत्पादों में परिवर्तित करने से संसाधनों पर निर्भरता कम होती है, साथ ही ऊर्जा की बचत भी होती है।
  • लैंडफिल: इनका उपयोग सभी प्रकार के अपशिष्ट के निपटान के लिये किया जाता है क्योंकि ये उन सामग्रियों के लिये अंतिम गंतव्य के रूप में कार्य करते हैं, जिन्हें पुनर्चक्रित नहीं किया जा सकता है या प्राकृतिक रूप से विघटित नहीं किया जा सकता है। आधुनिक लैंडफिल अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिये लाइनर और अन्य रोकथाम विधियों का उपयोग करते हैं।
  • भस्मीकरण: इसमें उच्च तापमान पर अपशिष्ट का दहन शामिल है, जिससे इसकी मात्रा काफी कम हो जाती है। यह वायु प्रदूषण और हानिकारक प्रदूषकों के उत्सर्जन संबंधी चिंताएँ भी उत्पन्न करता है।
  • खाद निर्माण: यह जैविक अपशिष्ट, जैसे कि खाद्य अपशिष्ट और यार्ड के प्रबंधन के लिये एक प्राकृतिक समाधान प्रदान करता है। खाद निर्माण की प्रक्रिया के माध्यम से, इन सामग्रियों को पोषक तत्त्वों से भरपूर उर्वरक में परिवर्तित कर दिया जाता है, जिसका उपयोग मृदा के स्वास्थ्य को समृद्ध करने के लिये किया जा सकता है।

SWM सेवाओं पर परिचालन व्यय को कम करने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?

  • स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण: घरेलू स्तर पर अपशिष्ट पृथक्करण में सुधार करने से खाद निर्माण के कार्य से उपज में वृद्धि हो सकती है और शुष्क अपशिष्ट के पुनर्चक्रण में वृद्धि हो सकती है, जिससे परिचालन लागत कम हो सकती है।
  • एकल-उपयोग प्लास्टिक को कम करना: गैर-पुनर्चक्रणीय एकल-उपयोग प्लास्टिक के बढ़ते प्रचलन से शहरी स्थानीय निकायों के लिये परिवहन और निपटान लागत में वृद्धि होती है। ऐसे प्लास्टिक के उपयोग को कम करने से परिचालन व्यय को कम करने में सहायता मिल सकती है।
  • विकेंद्रीकृत खाद निर्माण: तमिलनाडु और केरल में देखे गए वार्ड स्तर पर माइक्रो खाद केंद्र (MCC) स्थापित करने से तरल अपशिष्ट को स्थानीय स्तर पर संसाधित करने तथा परिवहन लागत को कम करने में सहायता मिल सकती है।
  • थोक अपशिष्ट उत्पादकों द्वारा स्व-अपशिष्ट प्रसंस्करण: बड़े संस्थानों और प्रतिष्ठानों को आंतरिक अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाएँ स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित करने से शहरी स्थानीय निकायों पर बोझ कम करने तथा स्वच्छ परिसर को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
  • सूचना, शिक्षा और जागरूकता (IEC): इससे खुले में कूड़ा फेंकने से रोकने में मदद मिलेगी। अनुचित अपशिष्ट निपटान को हतोत्साहित करने के लिये प्रभावी IEC अभियान सड़कों की सफाई तथा नालियों को साफ करने हेतु आवश्यक श्रम को कम कर सकते हैं, जिससे अपशिष्ट प्रसंस्करण एवं मूल्य वसूली के लिये संसाधनों का पुनर्नियोजन हो सकता है।

वैश्विक अपशिष्ट प्रबंधन आउटलुक 2024 रिपोर्ट (GWMO 2024)

  • इसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) द्वारा फरवरी 2024 में जारी किया जाएगा।
  • मुख्य निष्कर्ष:
    • वैश्विक परिदृश्य: विश्व भर में प्रतिवर्ष दो अरब टन से अधिक नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (Municipal Solid Waste- MSW) उत्पन्न होता है।
    • अपशिष्ट संग्रहण: वैश्विक जनसंख्या के एक तिहाई से अधिक लोग, विशेष रूप से दक्षिण और विकासशील क्षेत्रों में, गंभीर अपशिष्ट प्रबंधन समस्याओं का सामना कर रहे हैं तथा 2.7 बिलियन से अधिक लोगों के पास उचित अपशिष्ट संग्रहण सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
      • लगभग 540 मिलियन टन MSW, जो वैश्विक कुल का 27% है, एकत्रित नहीं किया जा सका है।
    • भविष्य का अनुमान: अपशिष्ट उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, जो वर्ष 2023 में 2.3 बिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2050 तक 3.8 बिलियन टन हो जाएगी।
  • अपशिष्ट प्रबंधन में बाधाएँ: इसमें सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा की कमी, निर्णय लेने में समावेश की कमी, मिश्रित अपशिष्ट से पुनर्चक्रण योग्य सामग्री निकालने में तकनीकी बाधाएँ तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी में बाधा डालने वाली नौकरशाही बाधाएँ शामिल हैं।

दृष्टि मुख्य प्रश्न: 

प्रश्न: अपशिष्ट प्रबंधन मुद्दों से निपटने और पर्यावरणीय स्थिरता में सुधार करने के लिये ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) उपकर शुरू करने के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही है? (2019)

(a) अपशिष्ट उत्पादक को पाँच कोटियों में अपशिष्ट अलग करना करने होंगे। 
(b) ये नियम केवल अधिसूचित नगरीय स्थानीय निकायों, अधिसूचित नगरों तथा सभी औद्योगिक नगरों पर ही लागू होंगे। 
(c) इन नियमों में अपशिष्ट भराव स्थलों तथा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के लिये सटीक और ब्यौरेवार मानदंड उपबंधित हैं। 
(d) अपशिष्ट उत्पादक के लिये यह आज्ञापक होगा कि किसी एक ज़िले में उत्पादित अपशिष्ट, किसी अन्य ज़िले में न ले जाया जाए।

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्राओं का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018)

प्रश्न. “जल, सफाई और स्वच्छता की आवश्यकता को लक्षित करने वाली नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये लाभार्थी वर्गों की पहचान को प्रत्याशित परिणामों के साथ जोड़ना होगा।” ‘वाश’ योजना के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (2017)

प्रश्न. सामाजिक प्रभाव और समझाना-बुझाना स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के लिये किस प्रकार योगदान कर सकते है? (2016)