अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत की एन.एस.जी सदस्यता के दावे पर स्विट्ज़रलैंड का समर्थन
- 10 Jun 2017
- 3 min read
संदर्भ
स्विट्ज़रलैंड ने कहा है वह परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (एन.एस.जी.) में शामिल होने के लिये भारत के आवेदन का समर्थन करने को तैयार है, परन्तु वह पाकिस्तान की भी सदस्यता के लिये भी दरवाज़े खुले रखना चाहता है। गौरतलब है कि एन.एस.जी. की अगली वार्षिक बैठक 19 जून को बर्न में होने वाली है। इसी संदर्भ में स्विट्ज़रलैंड की ओर से एक प्रश्न के उत्तर में यह कहा गया है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि पिछले वर्ष सिओल में एन.एस.जी. की वार्षिक बैठक में भारत ने अपनी सदस्यता के लिये भरपूर प्रयास किया था। चूँकि कि भारत ने नाभिकीय अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किया है इसीलिये एन.एस.जी. के अधिकांश सदस्यों ने इस आधार पर भारत की सदस्यता का विरोध किया था।
- स्विट्ज़रलैंड का मानना है कि नाभिकीय तकनीक रखने वाले तथा इसकी आपूर्ति करने वाले सभी देश यदि एन.एस.जी. का सदस्य बन जाते हैं तो यह वैश्वीक अप्रसार के प्रयासों को और मजबूत करेगा।
- स्विट्ज़रलैंड वैश्वीक अप्रसार प्रयासों में भारत के समर्थन की सराहना करता है। गैर एन.पी.टी. वाले देशों को किस तरह एन.एस.जी. में शामिल किया जाए इस बारे में उसमें अभी बातचीत चल रही है। स्विट्जरलैंड इस विषय पर निष्पक्ष, पारदर्शी एवं समावेशी तरीके से काम करना चाहता है।
- दरअसल भारत की सदस्यता की राह में चीन सबसे बड़ी बाधा है।
- भारत और चीन के बीच कई मुद्दों पर तनाव हैं, जैसे-वन बेल्ट वन रोड, संयुक्त राष्ट्र संघ में मसूद अज़हर का मुद्दा, एन.एस.जी. में समर्थन इत्यादि, जिनके कारण भारत को एन.एस.जी. की सदस्यता प्राप्त करने में बाधा आ सकती है।
- ज्ञातव्य हो कि एन.एस.जी में आम सहमति के आधार पर फैसले लिये जाते हैं। इस समय चीन के व्यवहारों में जिस तरह से कठोरता दिख रही है उससे भारत और चीन एक-दूसरे के निकट आने की बजाय दूर ही होते जा रहे हैं।
निष्कर्ष
शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मलेन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति जी जिनपिंग के बीच सौहार्दपूर्ण बातचीत हुई परन्तु चीन की स्थिति में किसी भी तरह के बदलाव को लेकर कोई आधिकारिक कथन जारी नहीं हुआ है।