स्वदेश दर्शन योजना 2.0 | 20 Oct 2022
प्रिलिम्स के लिये:स्वदेश दर्शन योजना, PRASHAD, आत्मनिर्भर भारत मेन्स के लिये :पर्यटन क्षेत्र और संबंधित पहलें |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 'स्वदेश दर्शन 2.0' (जनवरी 2023 से शुरू) के पहले चरण के हिस्से के रूप में, सरकार ने भारत की नई घरेलू पर्यटन नीति को बढ़ावा देने के लिये देश भर के 15 राज्यों की पहचान की है।
- यह नीति थीम आधारित पर्यटन सर्किट से इतर गंतव्य पर्यटन को पूर्व रूप में लाने पर केंद्रित है।
- पहचान किये गए कुछ प्रमुख स्थान उत्तर प्रदेश में झांसी और प्रयागराज, मध्य प्रदेश में ग्वालियर, चित्रकूट और खजुराहो तथा महाराष्ट्र में अजंता एवं एलोरा हैं।
स्वदेश दर्शन योजना:
- परिचय:
- इसे वर्ष 2014-15 में देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास के लिये शुरू किया गया था। इस योजना के तहत पंद्रह विषयगत सर्किटों की पहचान की गई है- बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, डेज़र्ट सर्किट, इको सर्किट, हेरिटेज सर्किट, हिमालयन सर्किट, कृष्णा सर्किट, नॉर्थ ईस्ट सर्किट, रामायण सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, जनजातीय सर्किट, वन्यजीव सर्किट।
- यह केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित है और केंद्र एवं राज्य सरकारों की अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण हेतु तथा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और कॉर्पोरेट क्षेत्र की कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (CSR) पहल के लिये उपलब्ध स्वैच्छिक वित्तपोषण का लाभ उठाने के प्रयास किये जाते हैं।
- उद्देश्य:
- पर्यटन को आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन के प्रमुख इंजन के रूप में स्थापित करना।
- नियोजित और प्राथमिकता के आधार पर पर्यटन क्षमता वाले सर्किट विकसित करना।
- पहचान किये गए क्षेत्रों में आजीविका उत्पन्न करने के लिये देश के सांस्कृतिक और विरासत मूल्य को बढ़ावा देना।
- सर्किट/गंतव्यों में विश्व स्तरीय स्थायी बुनियादी ढाँचे को विकसित करके पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाना।
- समुदाय आधारित विकास और गरीब समर्थक पर्यटन दृष्टिकोण का पालन करना।
- आय के बढ़ते स्रोतों, बेहतर जीवन स्तर और क्षेत्र के समग्र विकास के संदर्भ में स्थानीय समुदायों में पर्यटन के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाना।
- उपलब्ध बुनियादी ढाँचे, राष्ट्रीय संस्कृति और देश भर में प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट स्थलों के संदर्भ में विषय-आधारित सर्किटों के विकास की संभावनाओं एवं लाभों का पूरा उपयोग करना।
- आगंतुक अनुभव/संतुष्टि को बढ़ाने के लिये पर्यटक सुविधा सेवाओं का विकास करना।
स्वदेश दर्शन योजना 2.0:
- परिचय:
- 'वोकल फॉर लोकल' के मंत्र के साथ स्वदेश दर्शन 2.0 नामक नई योजना का उद्देश्य पर्यटन गंतव्य के रूप में भारत की पूरी क्षमता को साकार कर "आत्मनिर्भर भारत" के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
- स्वदेश दर्शन 2.0 एक वृद्धिशील परिवर्तन नहीं है, बल्कि स्थायी और ज़िम्मेदार पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिये स्वदेश दर्शन योजना को एक समग्र मिशन के रूप में विकसित करने हेतु पीढ़ीगत बदलाव है।
- यह पर्यटन स्थलों के सामान्य और विषय-विशिष्ट विकास के लिये बेंचमार्क एवं मानकों के विकास को प्रोत्साहित करेगी ताकि राज्य परियोजनाओं की योजना तैयार करने एवं विकास करते समय बेंचमार्क तथा मानकों का पालन किया जा सके।
- योजना के तहत पर्यटन क्षेत्र के लिये निम्नलिखित प्रमुख विषयों की पहचान की गई है।
- संस्कृति और विरासत
- साहसिक पर्यटन
- पारिस्थितिकी पर्यटन
- कल्याण पर्यटन
- एमआईसीई पर्यटन
- ग्रामीण पर्यटन
- तटीय पर्यटन
- परिभ्रमण- महासागर और अंतर्देशीय।
- महत्त्व:
- संशोधित योजना स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में पर्यटन के योगदान को बढ़ाने का प्रयास करती है।
- इसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों के लिये स्वरोज़गार सहित रोज़गार सृजित करना, पर्यटन एवं आतिथ्य में स्थानीय युवाओं के कौशल तथा निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाना और स्थानीय सांस्कृतिक व प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित एवं समृद्ध बनाना है।
पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु अन्य पहल:
- ‘प्रसाद’ (PRASHAD) योजना
- यह योजना धार्मिक पर्यटन अनुभव को समृद्ध करने हेतु पूरे भारत में तीर्थस्थलों का संवर्धन एवं उनको पहचान प्रदान करने पर केंद्रित है।
- इसका उद्देश्य तीर्थस्थलों को प्राथमिकता, नियोजित और टिकाऊ तरीके से एकीकृत करना है ताकि एक पूर्ण धार्मिक पर्यटन अनुभव प्रदान किया जा सके।
- प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल:
- बोधगया, अजंता और एलोरा में बौद्ध स्थलों की पहचान प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल (भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाने के उद्देश्य से) के रूप में विकसित करने के लिये की गई है।
- बौद्ध सम्मेलन:
- बौद्ध सम्मेलन भारत को बौद्ध गंतव्य और दुनिया भर के प्रमुख बाज़ारों के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से हर वैकल्पिक वर्ष में आयोजित किया जाता है।
- देखो अपना देश पहल:
- देश के भीतर नागरिकों को यात्रा हेतु प्रोत्साहित करने और घरेलू पर्यटन सुविधाओं तथा बुनियादी ढाँचे के विकास को मज़बूत बनाने के लिये इसे पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में शुरू किया गया था।
भारत में पर्यटन क्षेत्र परिदृश्य:
- तीसरे पर्यटन सैटेलाइट विवरण के अनुसार देश में 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान रोज़गार में पर्यटन का योगदान क्रमशः 14.78%, 14.87% और 15.34% रहा है।
- पर्यटन द्वारा सृजित कुल रोज़गार 72.69 मिलियन (2017-18), 75.85 मिलियन (2018-19) और 79.86 मिलियन (2019-20) रहा है।
- विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद की 2019 की रिपोर्ट में विश्व जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में योगदान के मामले में भारत के पर्यटन को 10वें स्थान पर रखा गया है।
- वर्ष 2019 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में यात्रा और पर्यटन का योगदान कुल अर्थव्यवस्था का 6.8% था अर्थात् 13,68,100 करोड़ रुपए (194.30 अरब अमेरिकी डॉलर)।