शासन व्यवस्था
स्वच्छ सर्वेक्षण 2023
- 26 May 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:SBM-U का दूसरा चरण। मेन्स के लिये:स्वच्छ भारत मिशन, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 के तहत स्वच्छ सर्वेक्षण (SS) 2023 का आठवाँ संस्करण लॉन्च किया है।
- स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 को अपशिष्ट प्रबंधन में चहुँमुखी दिशा में उपलब्धियाँ प्राप्त करने के लिये तैयार किया गया है। इस सर्वेक्षण में 3Rs (रिड्यूस, रिसाइकल एंड रीयूज़) के सिद्धांत को प्राथमिकता दी जाएगी, अर्थात् कचरा कम करें, पुनर्चक्रण करें और पुन: उपयोग करें।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2023:
- स्वच्छ सर्वेक्षण को वर्ष 2016 में शहरी स्वच्छता की स्थिति में सुधार के लिये शहरों और बड़े पैमाने पर नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये एक प्रतिस्पर्द्धी ढाँचे के रूप में MoHUA द्वारा प्रारंभ किया गया था।
- इन वर्षों में स्वच्छ सर्वेक्षण दुनिया में सबसे बड़े शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण के रूप में उभरा है।
- स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में कचरे का स्रोत पर पृथक्करण, अधिक अपशिष्ट उत्पन्न करने वाले शहरों की अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि और डंपसाइट पर जाने वाले कचरे को कम करने पर अधिक ध्यान दिया गया है।
- प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से कम करने, प्लास्टिक कचरे के प्रसंस्करण, वेस्ट टू वंडर पार्कों को प्रोत्साहित करने और शून्य अपशिष्ट घटनाओं पर ज़ोर देने हेतु अतिरिक्त भारांक के साथ संकेतक पेश किये गए हैं।
- स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के माध्यम से शहरों के भीतर वार्डों की रैंकिंग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
- शहरों में 'खुले स्थान पर मूत्र' (पीले धब्बे) और 'खुले स्थान पर थूक' (लाल धब्बे) से संबंधित मानकों पर भी शहरों का मूल्यांकन किया जाएगा।
- MoHUA आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में ‘बैक लेन’ की सफाई को बढ़ावा देगा।
स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0:
- परिचय:
- केंद्रीय बजट 2021-22 में घोषित स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0, स्वच्छ भारत मिशन शहरी के प्रथम चरण की एक निरंतर श्रृंखला है।
- सरकार शौचालयों के माध्यम से सुरक्षित प्रवाह, मल कीचड़ के निपटान और सेप्टेज का उपयोग करने का भी प्रयास कर रही है।
- शहरी भारत को खुले में शौच से मुक्त (ODF) बनाने और नगरपालिका के ठोस कचरे का 100% वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 2 अक्तूबर, 2014 को SBM-U का पहला चरण शुरू किया गया था जो अक्तूबर 2019 तक चला।
- इसे 1.41 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ वर्ष 2021 से वर्ष 2026 तक पाँच वर्षों में लागू किया गया है।
- इस मिशन को "अपशिष्ट से धन"(Waste to Wealth) और "चक्रीय अर्थव्यवस्था" के व्यापक सिद्धांतों के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है।
- उद्देश्य:
- यह कचरे का स्रोत पर पृथक्करण, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक और वायु प्रदूषण में कमी, निर्माण एवं विध्वंस गतिविधियों से उत्पन्न कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन तथा सभी पुराने डंपसाइट के बायोरेमेडिएशन पर केंद्रित है।
- इस मिशन के तहत सभी अपशिष्ट जल को जल निकायों में छोड़ने से पहले ठीक से उपचारित किया जाएगा और सरकार इसके अधिकतम उपयोग को प्राथमिकता देने का प्रयास कर रही है।
- मिशन के संभावित परिणाम:
- इससे सभी वैधानिक शहर (पानी, रखरखाव और स्वच्छता के साथ शौचालयों पर केंद्रित) ODF+ प्रमाणित हो जाएंगे।
- 1 लाख से कम आबादी वाले सभी वैधानिक शहर (कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन के साथ शौचालयों पर केंद्रित) ODF++ प्रमाणित हो जाएंगे।
- 1 लाख से कम आबादी वाले सभी वैधानिक कस्बों का 50% जल + प्रमाणित हो जाएगा (जिसका उद्देश्य पानी के उपचार और पुन: उपयोग करके शौचालयों को बनाए रखना है)।
- कचरा मुक्त शहरों के लिये आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल के अनुसार, सभी वैधानिक कस्बों को कम-से-कम कचरा मुक्त 3-स्टार दर्जा दिया जाएगा।
- सभी पुराने डंपसाइट्स का बायोरेमेडिएशन(जैव उपचार)।