शासन व्यवस्था
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने ‘स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2018’ का शुभारंभ किया
- 14 Jul 2018
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चर्चा में क्यों?
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने हाल ही में राजधानी दिल्ली में ‘स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2018 (SSG 2018)’ का शुभारंभ किया। इसके तहत सभी ज़िलों में 1 से 31 अगस्त, 2018 तक एक स्वतंत्र सर्वेक्षण एजेंसी द्वारा सर्वेक्षण किया जाएगा और इसके नतीजों की घोषणा मात्रात्मक एवं गुणात्मक स्वच्छता के पैमाने के आधार पर सभी ज़िलों और राज्यों की रैंकिंग के रूप में की जाएगी।
एसएसजी 2018 का उद्देश्य
- ‘एसएसजी 2018’ का उद्देश्य ‘एसबीएम-जी’ (स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण) से जुड़े महत्त्वपूर्ण मात्रात्मक एवं गुणात्मक पैमाने के प्रदर्शन के आधार पर राज्यों और ज़िलों की रैंकिंग करना है।
- इस प्रक्रिया के तहत देशव्यापी संचार अभियान के ज़रिये ग्रामीण समुदायों को अपने आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छता एवं साफ-सफाई में बेहतरी लाने के कार्य से जोड़ा जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण के हिस्से के रूप में देश भर के 698 ज़िलों के 6980 गाँवों को कवर किया जाएगा।
- सर्वेक्षण के लिये इन गाँवों के कुल 34,000 सार्वजनिक स्थानों जैसे कि स्कूलों, आँगनबाड़ी केंद्रों, सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों, हाट/बाज़ार/धार्मिक स्थानों का मुआयना किया जाएगा।
- सीधी बातचीत के साथ-साथ ऑनलाइन फीडबैक के ज़रिये स्वच्छ भारत मिशन (MBM) से जुड़े मुद्दों पर 50 लाख से भी अधिक नागरिकों के फीडबैक को इकट्ठा किया जाएगा।
- इस प्रक्रिया के तहत 65 प्रतिशत भारांक (वेटेज) इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों एवं नतीजों को दिया गया है, जबकि 35 प्रतिशत भारांक सेवा क्षेत्र से जुड़े उन पैमानों को दिया गया है, जिन्हें पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के आईएमआईएस से प्राप्त किया जाएगा।
विभिन्न अवयवों के भारांक
स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण के विभिन्न अवयवों का भारांक निम्नलिखित रूप से होगा :
- सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता का प्रत्यक्ष अवलोकन : 30 प्रतिशत
- स्वच्छता के पैमानों पर नागरिकों से प्राप्त फीडबैक : 35 प्रतिशत
- एसबीएमजी-एमआईएस के अनुसार देश में स्वच्छता के क्षेत्र में सुधार संबंधी सेवा स्तरीय प्रगति : 33 प्रतिशत
भारत में एसबीएम (जी) की दिशा में प्रगति
- जब स्वच्छ भारत मिशन को अक्टूबर 2014 में लॉन्च किया गया था, तो अनुमानतः 550 मिलियन भारतीय खुले में शौच के लिये मजबूर थे जिससे देश का स्वच्छता संकेतक दुनिया में सबसे बुरी स्थिति में था।
- अक्टूबर 2014 से लेकर अब तक स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत ग्रामीण भारत में 7.7 करोड़ से भी अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है।
- सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में वर्ष 2017-18 में किसी अन्य पक्ष (थर्डपार्टी) द्वारा कराए गए एक स्वतंत्र सर्वेक्षण से इनके उपयोग का आँकड़ा 93 प्रतिशत दर्ज किया गया है|
- लगभग 4 लाख गाँवों, 400 से भी अधिक ज़िलों और 19 राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों ने खुद को खुले में शौच मुक्त घोषित किया है।
- हालाँकि, सरकार का अपना आँकड़ा बताता है कि यह प्रगति देश भर में समान नहीं है क्योंकि बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में शौचालयों की पहुँच और उपलब्धता अभी भी एक प्रमुख चिंता है।
- खुले में शौच से मुक्ति का अभियान एक बड़ी चुनौती है| इसका अशिक्षा और गरीबी से गहरा रिश्ता है| सार्थक शिक्षा और गरीबी दूर किये बिना स्वच्छ भारत का सपना साकार नहीं हो सकता|