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कृषि

SUTRA-PIC कार्यक्रम

  • 18 Feb 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

SUTRA-PIC कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

भारत में देशी गायों का संरक्षण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने ’स्वदेशी’ गायों पर शोध करने हेतु विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology-DST) के नेतृत्व में SUTRA-PIC (Scientific Utilization through Research Augmentation- Prime Products from Indigenous Cows) नामक कार्यक्रम की योजना के लिये प्रस्ताव प्रस्तुत करने संबंधी प्रावधान किये हैं।

मुख्य बिंदु:

  • इसे संचालित करने में जैव प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा सहयोग किया जाएगा।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत अनुसंधान संस्थानों, शिक्षाविदों, ग्रासरूट्स ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों/शिक्षाविदों से परियोजना प्रस्ताव आमंत्रित किये गए हैं ताकि स्थानीय स्तर पर अनुसंधान विकास कार्य, प्रौद्योगिकी विकास और क्षमता निर्माण हो सके।

क्या है SUTRA-PIC कार्यक्रम?

  • SUTRA-PIC कार्यक्रम के तहत निम्नलिखित पाँच थीम्स (Themes) के आधार पर प्रस्ताव रखे गए हैं-
    • स्वदेशी गायों की विशिष्टता (Uniqueness of Indigenous Cows):
      • इस थीम के तहत एक प्रमुख उद्देश्य शुद्ध देशी गायों की विशिष्टता की व्यवस्थित वैज्ञानिक जाँच करना है।
      • स्वदेशी गायों से चिकित्सा और स्वास्थ्य के लिये प्रमुख उत्पाद प्राप्त करना (Prime-products from Indigenous Cows for Medicine and Health):
      • इस थीम के अंतर्गत ऐसे अनुसंधान प्रस्ताव रखे गए हैं जिनके अंतर्गत केमिकल प्रोफाइलिंग (Chemical Profiling) तथा ऐसे जैव सक्रिय सिद्धांतों की जाँच की जाएगी जो कि एंटीकैंसर दवाओं और एंटीबॉडीज़ की संख्या को बढ़ाने में सक्षम हैं तथा आधुनिक दृष्टिकोण से देशी गाय के प्रमुख उत्पादों के औषधीय गुणों के संबंध में अनुसंधान किया जाएगा।
    • कृषि अनुप्रयोगों के लिये देशी गायों से प्रमुख उत्पाद प्राप्त करना
      (Prime-products from Indigenous Cows for Agricultural Applications):
      • इस थीम के अंतर्गत मुख्य उत्पादों की भूमिका की वैज्ञानिक जाँच करने, पौधों की वृद्धि, मृदा स्वास्थ्य और पादप प्रणाली में प्रतिरक्षा प्रदान करने वाली देशी गायों, कृषि में जैविक खाद एवं जैव कीटनाशक के रूप में उसके उपयोग संबंधी अनुसंधान का प्रस्ताव रखा गया है।
    • खाद्य और पोषण के लिये देशी गायों से प्रमुख उत्पाद प्राप्त करना
      (Prime-products from Indigenous Cows for Food and Nutrition):
      • इस थीम के तहत भारतीय देशी गायों से प्राप्त दूध और दुग्ध उत्पादों के गुणों तथा उनकी शुद्धता पर वैज्ञानिक अनुसंधान करने संबंधी प्रस्ताव रखा गया है।
      • इसके अंतर्गत पारंपरिक तरीकों से गायों की देशी नस्लों से तैयार दही और घी के पोषण और चिकित्सीय गुणों पर वैज्ञानिक शोध करने के संबंध में भी प्रस्ताव रखा गया है।
      • घी की गुणवत्ता को प्रमाणित करने के लिये जैव/रासायनिक मार्का की पहचान करने के संबंध में भी प्रस्ताव रखा गया है।
    • स्वदेशी गायों पर आधारित उपयोगी वस्तुओं से संबंधित प्रमुख उत्पाद प्राप्त करना:
      (Prime-products from indigenous cows-based utility items):
      • इस विषय के तहत देशी गायों के प्रमुख घटकों से प्राप्त उपयोगी उत्पादों को प्रभावी, आर्थिक और पर्यावरण के अनुकूल तैयार करने के उद्देश्य से प्रस्ताव रखा गया है।

कौन कर सकता है प्रस्तावों के लिये आवेदन?

  • इस कार्यक्रम के लिये अकादमिक/अनुसंधान एवं विकास संस्थाएँ/विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र की संस्थाएँ या भारत में सक्रिय सक्षम गैर-सरकारी संगठनों (जिनका विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के निष्पादन में उपलब्धि का रिकॉर्ड हो) द्वारा स्वैच्छिक रूप से प्रस्ताव किया जा सकता है।

देशी गायों के संरक्षण से संबंधित अन्य तथ्य:

  • वर्ष 2017 में DST के अंतर्गत स्थित प्रभाग Science For Equity Empowerment and Development-SEED ने ‘पंचगव्य के वैज्ञानिक मूल्यांकन और अनुसंधान’ (Scientific Validation and Research on Panchgavya- SVAROP) हेतु एक राष्ट्रीय संचालन समिति का गठन किया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गौ-उत्पादों को विकसित करने के साथ-साथ देशी मवेशियों की नस्लों की आनुवंशिक गुणवत्ता में सुधार करना था।

पंचगव्य:

  • पंचगव्य एक आयुर्वेदिक रामबाण औषधि है जो गाय (गव्य) के पाँच (पंच) उत्पादों (दूध, दही, घी, गोबर और मूत्र) का मिश्रण है।
  • कहा जाता है कि यह कई तरह की बीमारियों का उपचार कर सकता है।

स्रोत- द हिंदू

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